जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पुलवामा आतंकी हमले में 40 जवानों की शहादत के बाद पाकिस्तान के खिलाफ देशभर में भारी गुस्सा और क्रोध है. देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग पाकिस्तान की बर्बरता के खिलाफ सड़कों पर आकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. मीडिया और सोशल मीडिया में भी पाकिस्तान के खिलाफ भारी उबाल है. सरकार पर पाकिस्तान को सबक सिखाने का दबाब बढ़ रहा है. सरकार ने फौरी तौर पर इस दिशा में कुछ कदम भी उठाए हैं. नागरिकों के स्तर पर भी कई फैसले लिए जा रहे हैं.
मध्यप्रदेश में भी इस हमले का भारी विरोध हो रहा है. व्यापारी वर्ग भी आम आदमी के साथ इस विरोध में पूरी तरह से शामिल हो गया है. पाकिस्तान में पैदा होने वाला सेंधा नमक का बड़े पैमाने पर भारत में आयात किया जाता है. दरअसल इस नमक का इस्तेमाल त्यौहारों के दौरान अधिक किया जाता है. राज्य के स्थानीय कारोबारियों ने रिजर्व पुलिस बल के जवानों पर हुए हमले के विरोध में पाकिस्तान से सेंधा नमक और छुहारों का आयात पूरी तरह से बंद कर दिया है. जिसके चलते केवल सात दिन में शहर के बाजारों में 5 से 6 रूपए प्रतिकिलो बिकने वाला सेंधा नमक अब 15 से 16 रूपये प्रतिकिलों पर पहुंच गया है. इसके अलावा बेमौसम ओलावृष्टि से पान की खेती वाले किसान भी काफी परेशान हैं. अभी तक सभी कारोबारी पाकिस्तान के अलावा दूसरे देशों से पान का आयात कर रहे थे.
500 किलो सेंधा नमक
अगर हम सेंधा नमक की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो यह मुख्य रूप से पाकिस्तान के झेलम जिले की खेवरा, बरछा, कलाबाग की चट्टानों से आता है. कारोबारियों का कहना है कि उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सेंधा नमक का आयात पूरी तरह से बंद कर दिया है. दरअसल, सेंधा नमक पंजाब के अमृतसर के बेहद बड़े व्यापारियों द्वारा पाकिस्तान से मगांकर उसके बाद मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भेजा जाता है. अगर रोजना थोक व्यापार में सेंधा नमक की बिक्री की बात करें तो हर दिन 500 किलों सेधा नमक की बिक्री होती है.
छुहारा मांगवना बंद
केंद्र सरकार ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान से आयात होने वाली वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाकर 200 फीसदी तक कर दिया है. इस वजह से कारोबारियों ने वहां से छुहारे को पूरी तरह से मंगाना बंद कर दिया है.
पान भी नहीं भेजेंगे
बेमौसम ओलावृष्टि के हो जाने से पान की खेती करने वाले किसान भी पीड़ित हैं. व्यापारी पाकिस्तान समेत दूसरे अन्य देशों में बरई, आतंरी, बिलौआ, संदलपुर आदि का पान बाहर भेज रहे थे. ओलावृष्टि हो जाने से पान का उत्पादन कम रह गया है जो पान पहले 200 से 250 रूपये प्रति किलो मिल रहा था उसकी कीमत 400 रूपये प्रति किलो मिल रही है. इसीलिए वह अब पान को बाहर के देश में नहीं बेचेंगे. कारोबारी अपने ही देश में पान को बेचकर रूपये कमाएंगे. पहले हर महीने करीब 200 डलिया पान विदेश भेजा जाता था.