लॉकडाउन के कहर से कई कारोबार पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं. आइसक्रीम उद्द्योग भी उन्हीं में से एक है. लॉकडाउन के कारण इस बार गर्मियों में भी आइसक्रीम का व्यवसाय ठंडा ही रहा. उद्द्योग विशेषज्ञों के मुताबिक आइसक्रीम से होने वाले आय में तीन महीनों का सबसे बड़ा योगदान होता है. अप्रैल, मई और जून के महीने में 75 प्रतिशत से अधिक की कमाई हो जाती है. किंतु इस बार इन्हीं तीन महीनों में लॉकडाउन के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकले, जिस कारण उद्द्योग को 4 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.
जून में मौसम ने की बेवफाई
कोरोना के आगमन पर अफवाह उड़ी कि आइसक्रीम खाने से ये बीमारी बढ़ रही है, जिस कारण लोगों ने इसे खाना बंद कर दिया. फिर लॉकडाउन के कारण नुकसान होता रहा और अब जून में जब लॉकडाउन खुला तो मौसम ने बेवफाई कर दी. जून माह के पहले सप्ताह से ही मौसम में ठंडाई बनी हुई है, तापमान में गिरावट के कारण लोग आइसक्रीम की तरफ आकर्षित नहीं हो रहे हैं.
शादियों से होता है अधिक मुनाफा
व्यापारियों ने बताया कि शादि, पार्टी एवं समारोह आदि में ही आइसक्रीम की सबसे अधिक मांग होती है. मुनाफे का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है. लेकिन लॉकडाउन में सभी तरह के आयोजनों पर प्रतिबंध लगे रहे, जिस कारण व्यापार को नुकसान हुआ.
जुलाई के बाद कोई उम्मीद नहीं
आइसक्रीम व्यापारियों की अब पूरी उम्मीद जून और जुलाई पर ही है. अगस्त के बाद आइसक्रीम की खपत नाम मात्र ही होती है. ऐसे में अगर कोरोना का कहर कम नहीं हुआ तो बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगें और व्यापार कर्ज की तरफ बढ़ेगा.
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