भारत में गर्मियों का आगमन आम के साथ होता है. लेकिन इस बार कोरोना के कहर के कारण आम के किसान खून के आंसू रो रहे हैं. मामूली आमों को तो छोड़िए बाजार में अपनी सत्ता चलाने वाला दशहरी भी इन दिनों कुछ खास कमाल नहीं कर पा रहा है. अंतराष्ट्रीय व्यापार तो वैसे भी बंद है, लेकिन घरेलू बाजार में भी मांग न के बराबर ही है.
बाजार में फेल हुआ दश्हरी
आम निर्यातकों एवं किसानों के पास घाटा सहने के अलावा कोई चारा नहीं है. अब मलीहाबादी दशहरी को ही ले लीजिए, गर्मियों में ये धड़ाधड़ बिकते थे. लेकिन अब 10 से 15 रुपए किलो भी के भाव भी अगर बिक जाए, तो किसान खुशी से मान जा रहे हैं.
लोकल बाजर के सहारे है आम
कोरोना संक्रमण के कारण मंडियों से रौनक तो वैसे भी गायब ही है, ऊपर से लॉकडाउन के कारण आयत-निर्यात में भी दिक्कत हो रही है. ले देकर लोकल लोकल बाजार का ही सहारा है, जहां भाव बहुत कम है.
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बड़े शहरों ने किया किनारा
दशहरी की मांग बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, जयपुर आदि जगहों पर है. हर बार इन शहरों से लगभग 75 प्रतिशत तक का व्यापार होता था, लेकिन इस बार बस नाम मात्र ही ऑर्डर आया है.
खाड़ी देशों ने भी किया निराश
आम के व्यापारियों को मोटा मुनाफा खाड़ी देशों जैसे दुबई आदि से होता है. हर साल लगभग 150 टन से अधिक दश्हरी आम इन देशों में भेजा जाता है. इस बार मुश्किल से 10 टन आम ही बाहर भेजा गया है. गया है. पिछले साल खाड़ी देशों और यूरोप में 120 टन आम भेजा गया था.
सरकार से मदद की आस
लॉकडाउन में किसानों आम व्यापार में किसानों के घाटे को देखते हुए सरकार तरह-तरह के कदम उठा रही है, लेकिन फिलहाल किसानों में निराशा ही है. आम के नुकसान को देखते हुए कृषिक समाज आर्थिक सहायता की मांग कर रहा है.