चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान चावल से जुड़े क्षेत्रों के लिए अच्छी खबर नहीं है। दरअसल पहले 8 महीनों के दौरान अप्रैल से नबंवर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 5.25 फीसदी की गिरावट आकर 24.90 लाख टन का ही निर्यात हुआ है। पिछले माह से डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रूपए से बासमती चावल के निर्यात सौदे काफी कम हो रहे है इसीलिए ऐसा माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात पिछले वर्ष के मुकाबले 40.51 लाख टन कम रहने की आशंका है।
मूल्य के हिसाब से बढ़ा निर्यात
एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों के दौरान बासमती चावल का निर्यात घटकर 24.90 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वर्ष की वित्तीय समान अवधि में 26.28 लाख टन का निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से जरूर चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में निर्यात बढ़कर 18, 440 करोड़ रूपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 16,871 करोड़ रूपये का ही निर्यात हुआ था।
गैर- बासमती चावल के निर्यात में कमी
गैर-बासमती चावल में निर्यात चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से नबंवर के दौरान 13.96 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 49.21 लाख टन का ही हुआ है। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 57.20 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष में गैर बासमती चावल का निर्यात 13,722 करोड़ रूपये का ही हुआ है जबकि पिछले वर्ष 2017-18 के दौरान इसी समान अवधि में इसका निर्यात 15,125 करोड़ रूपये का हुआ था।
निर्यात में कमी की आशंका
निर्यातक फर्म केआरबीएल लमिटेड के डायरेक्टर श्री मित्तल ने बताया कि दिसंबर में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 6 फीसदी मजबूत हुआ है जिस कारण देश में निर्यात सौदे में काफी ज्यादा कमी आई है। उन्होंने कहा कि आगे बासमती चावल के निर्यात सौदों में तेजी तो आएगी ही लेकिन कुल निर्यात पिछले वर्ष 2017-18 के 40.51 लाख टन से 2 से 3 लाख टन कम होने की आशंका है। विश्व बाजार में बासमती चावल पूसा 1,121 सेला का भाव 1100 से 1125 डॉलर प्रति टन है। चालू सीजन में बासमती धान का उत्पादन भी 12 से 15 फीसदी कम होने का अनुमान है। अभी यह निर्यात इसी तरह से बने रहने की उम्मीद है।