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अतिंदरपाल सिंह ने हल्दी की खेती कर बदली किस्मत, खेती के क्षेत्र में बनाई अपनी अलग पहचान

पंजाब के अतिंदरपाल सिंह ने हल्दी की खेती अपनी किस्मत बदल दी है. वह गेहूं और धान की फसल को छोड़कर हल्दी की खेती शुरु की और वह आज प्रति एकड़ की फसल से एक से 1.5 लाख रुपये का लाभ उठा रहे हैं.

रवींद्र यादव
Atinderpal Singh
Atinderpal Singh

सफलता की कहानी: पंजाब के बरनाला जिले के कट्टू गांव में अतिंदर पाल सिंह पुत्र एस. सरबजीत सिंह ने कृषि के क्षेत्र में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद खेती को ही एक पेशे के रूप में अपनाया. अतिंदर ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से फसल विज्ञान में एमएससी की डिग्री प्राप्त की है. अतिंदर देसी तरीके से अपनी फसल को उगाते हैं. वह कीटों को खत्म करने के लिए देसी तरीके से बनाए गए कीटनाशक को उपयोग करते हैं. इसके अलावा वह फसल में कीटों और बीमारियों से बचने के लिए फसल चक्र बदलते रहते हैं. वह अपने वैज्ञानिक अध्ययन का उपयोग कर खेती में विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक विधियों का भी इस्तेमाल करते हैं.

अतिंदर पाल ने हल्दी की खेती की शुरुआत महज दो एकड़ के खेत से की थी, लेकिन अब वह पूरे 9 एकड़ के खेत में इसकी सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं. वह हल्दी की सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि उसे थोक बाजार में बेचने का भी काम करते हैं. हल्दी की प्रोसेसिंग यूनिट भी उन्होंने अपने घर में लगा रखी है.

वह बताते है कि शुरुआत में उन्हें हल्दी बेचने के लिए गांव-गांव जाना पड़ता था. लेकिन अब उनके घर से ही सारी हल्दी बिक जाती है. अब वह अपनी पैदावार को कनाडा भी बेच रहे हैं. अतिंदरपाल सिंह के मुताबिक, हल्दी की खेती से उन्हें प्रति एकड़ 1,25,000 से 1,50,000 रुपये तक की बचत होती है, जो गेहूं और धान फसल, जिसकी वह पहले खेती किया करते थे, उससे लगभग दोगुनी है.

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अतिंदर ने हल्दी की खेती के बाद गर्म मौसम में मूंगफली की खेती शुरु की और वह इसमें प्रति एकड़ 25 से 30 हजार रुपये की बचत भी कर लेते हैं. उनका कहना है कि युवाओं को कृषि और इससे जुड़े व्यवसाय अपनाने चाहिए और खेती को वैज्ञानिक ढंग देना चाहिए. इससे उनकी आय तो बढ़ेगी ही साथ ही वह लोगों को रोजगार भी मुहैया करा सकेंगे.

अतिंदरपाल अपने फार्म में हर साल 20 से 25 लोगों को रोजगार दे रहे हैं, किसान का कहना है कि जब से उन्होंने धान की जगह हल्दी की खेती शुरू की है, इससे न केवल उनकी आय बढ़ी है, बल्कि उनके खेत की मिट्टी की सेहत भी बेहतर हुई है. वह अपने गांव के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं.

अतिंदर पाल लगातार कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के संपर्क में रहते हैं और उनकी सिफारिशों के आधार पर निर्णय लेते हैं. उनका कहना है कि विशेषज्ञों द्वारा अच्छी तरह से शोध किए गए तरीकों से न केवल पैदावार बढ़ाने में मदद होती हैं बल्कि इससे खेती में होने वाले अनावश्यक खर्चों को भी कम किया जा सकता है.

English Summary: Atinderpal Singh changed his fortune by cultivating turmeric Published on: 01 August 2023, 05:14 PM IST

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