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सुमिंतर इंडिया ने जैविक जीरा उत्पादन के लिए किसानों को दिया फसल पूर्व प्रशिक्षण

सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स द्वारा दो वर्षो से राजस्थान के बाड़मेर जिले में जैविक जीरा उत्पादन हेतु किसानों को प्रशिक्षण दे रही हैं. जीरा इस क्षेत्र की मुख्य नकदी फसल हैं. जिसका उपयोग मसाले एवं औषधि में होता हैं. जीरा मसाला का मुख्य अंग हैं. जिसका निर्यात विदेशो में होता हैं. जीरे की खेती की में किसान रसायनो का प्रयोग करते हैं. जिसके कारण निर्यात नहीं हो पाता हैं. इसी को ध्यान में रखकर सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स ने किसानों को जैविक विधि से जीरा उत्पादन हेतु प्रोत्साहित कर रही हैं. जिसके लिए उन्हे समय समय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं. इसी कड़ी में इसी सप्ताह राजस्थान के जिले बाड़मेर के गांव नाद, नवलदेव, छतरी, आदर्श बस्ती में लगभग 100 किसानों को फसल पूर्व प्रशिक्षण दिया गया. जिसकी विशेषता यह थी,

सुजीत पाल
suminter india Organices

सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स द्वारा दो वर्षो से राजस्थान के बाड़मेर जिले में जैविक जीरा उत्पादन हेतु किसानों को प्रशिक्षण दे रही हैं. जीरा इस क्षेत्र की मुख्य नकदी फसल हैं. जिसका उपयोग मसाले एवं औषधि में होता हैं. जीरा मसाला का मुख्य अंग हैं. जिसका निर्यात विदेशो में होता हैं. जीरे की खेती की में किसान रसायनो का प्रयोग करते हैं. जिसके कारण निर्यात नहीं हो पाता हैं. इसी को ध्यान में रखकर सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स ने किसानों को जैविक विधि से जीरा उत्पादन हेतु प्रोत्साहित कर रही हैं. जिसके लिए उन्हे समय समय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं. इसी कड़ी में इसी सप्ताह राजस्थान के जिले बाड़मेर के गांव नाद, नवलदेव, छतरी, आदर्श बस्ती में लगभग 100 किसानों को फसल पूर्व प्रशिक्षण दिया  गया. जिसकी विशेषता यह थी, कि किसानों के आस पास उपलब्ध संसाधन का बेहतर उपयोग कर कैसे जैविक विधि से जीरा उगाये. किसानों ने प्रश्न किया कि जीरा कि मुख्य समस्या माहों या मोयला कीट हैं. इसका नियंत्रण कैसे करें. जैविक खेती करने में आने वाली समस्या कि चर्चा के साथ प्रशिक्षण शुरू हुआ. सुमिंतर इंडिया ऑर्गॅनिक्स के तरफ से कम्पनी के विरिष्ठ प्रबंधक (शोध एवं विकास) संजय श्रीवास्तव ने किसानों को प्रशिक्षण दिया. जिसमे जैविक जीरा उत्पादन के लिए कम्पोस्ट या उत्तम गोबर कि खाद राष्टीय जैविक खेती केंद्र द्वारा विकसित वेस्ट डिकम्पोस्ट से कैसे बनाये एवं उपयोग करें. इसके साथ ही अन्य खादे जैसे - घनजीवामृत, मटका खाद, जीवामृत, अमृतपानी आदि बनाना बताया गया.

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इसके पश्चात कीट नियंत्रण हेतु चर्चा हुई जिसमे माहू कीट के आगमन कि सूचना हेतु पिले चिपचिपा ट्रैप स्थानी पालीथीन, बोरी जो कि पिले रंग कि हैं. उससे बनाना बताया कीट के आगमन कि सूचना के पश्चात नियंत्रण हेतु नीम से बने उत्पाद नीमबीजसत, नीम तेल नीम खली का उपयोग करना बताया. इसी कड़ी में दशपर्णी अर्क बनाना एवं उपयोग करना बताया दशपर्णी अर्क आस पास उगने वाली वनस्पति जैसे नीम आक, खीप, रोहिड़ा, अरंडी, कनेर, धतूरा, अराड़ि, जाल (पीलू) आदि कि पत्तियों से बनाया जाता हैं. बनाने कि जानकारी किसानों की दी गयी. प्रशिक्षण की व्यवस्था का कार्य सुमिंतर के कर्मचारी अनुपम सिंह, धर्मेंद्र बिरला, एवम सुरेश मील ने किया. किसान प्रशिक्षण की सराहना करते देखे गए. एवं उनके अन्दर उत्साह भी देखा गया. अंत में आये हुए किसानों को सुमिंतर इंडिया के तरफ से संजय श्रीवास्तव ने धन्यवाद दिया.

English Summary: Suminter organised pre- session training for organic cumin production Published on: 14 September 2019, 03:33 PM IST

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