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मौसम की बेमानी से बेहाल हुए किसान, जरा पढ़िए कृषि मंत्रालय के ये आंकड़े

मौसम का मिजाज कृषि गतिविधियों को काफी हद तक प्रभावित करता है. मौसम का मिजाज सकारात्मक रहा, तो किसान भाइयों की चांदी-चांदी हो जाती है. वहीं, अगर इसके विपरीत मौसम का मिजाज नकारात्मक रहा, तो किसान भाइयों की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है. कुछ ऐसा ही खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसान भाइयों के साथ भी हुआ है.

सचिन कुमार
Kharif Crops
Kharif Crops

मौसम का मिजाज कृषि गतिविधियों को काफी हद तक प्रभावित करता है. मौसम का मिजाज सकारात्मक रहा, तो किसान भाइयों की चांदी-चांदी हो जाती है. वहीं, अगर इसके विपरीत मौसम का मिजाज नकारात्मक रहा, तो किसान भाइयों की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है. कुछ ऐसा ही खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसान भाइयों के साथ भी हुआ  है.

जिन उम्मीदों के साथ उन्होंने खरीफ सीजन में प्रवेश किया था. अफसोस उनकी यह उम्मीदें मुकम्मल होने से पहले ही स्वाहा हो गईं. इस संदर्भ में कृषि मंत्रालय ने बकायदा एक आंकड़ा भी जारी किया है, जो किसान भाइयों का दर्द बयां करने के लिए काफी है. आइए, डालते हैं कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों पर एक नजर.

कृषि मंत्रालय का आंकड़ा

कृषि मंत्रालय के इन आंकड़ों के बारे में जानने से पहले यह जान लीजिए कि खरीफ सीजन आते ही किसान भाइयों की सारी उम्मीदें स्वाहा कैसे हो गई. दरअसल, उम्मीदों के मुताबिक बारिश न होने की वजह से खरीफ सीजन में किसान भाई खरीफ फसलों की उस मात्रा में बुआई नहीं कर पाए, जितना की बुआई करने का उन्होंने मन बनाया था. एक तो मानसून ने देरी से दस्तक दिया और जब दस्तक दिया भी तो उम्मीदों के मुताबिक मेहरबानी की बरसात नहीं हुई.

जिसका नतीजा यह हुआ कि किसान भाई अपनी उम्मीदों के मुताबिक, खरीफ फसलों की बुवाई नहीं कर पाए और मुश्किल से जिन फसलों की बुवाई कर पाए थे, उसका कंबख्त इस  भारी बारिश और बाढ़ ने सत्यानाश कर डाला. जिसकी वजह से एक तो पहले से ही किसान भाई परेशान चल रहे थे और ऊपर से भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों को बहुत नुकसान पहुंचाया है.

ऐसे में किसान भाई तो बस यूं समझ लीजिए कि बेहाल ही बेहाल हैं. किसान भाइयों को मौसम की ऐसी नजर लगी है कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए. वहीं, अब इस संदर्भ में कृषि मंत्रालय ने किसान भाइयों की नुकसान हुई फसलों के बारे में विस्तृत आंकड़ा जारी किया है.

कृषि मंत्रालय का आंकड़ा

22 अगस्त को कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसलें जैसे धान, मक्का, ज्वार और बाजारे की बुवाई कम मात्रा में हुई है. इसके अलावा मूंग, सोयाबिन, उड़द, मूंगफली की बुवाई भी कम मात्रा में हुई है. वहीं, कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के चालू खरीफ सीजन में धान जैसी गर्मियों की फसलों के लिए अब तक बुआई का क्षेत्र 1.55 प्रतिशत कम होकर 1,043.87 लाख हेक्टेयर है. आइए, इस लेख में आगे जानते हैं कि आखिर खरीफ फसलें क्या होती हैं?

खरीफ की फसलें क्या होती हैं?

हमने बार-बार ऊपर खरीफ फसलों का जिक्र किया है, लिहाजा आपके जेहन में यह लगातार सवाल उठ रहा होगा कि आखिर खरीफ फसलें क्या होती हैं. तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खरीफ फसलें वे फसलें होती हैं, जिनकी बुवाई जून-जुलाई यानि की मानसून मौसम में की जाती है और कटाई और अक्तूबर-नवंबर माह में की जाती है. इन फसलों की खेती करने के लिए अधिक पानी और शुष्क वातावरण की जरूरत होती है.

English Summary: Ministry of Agriculture has released the data regarding the damage caused to Kharif crops. Published on: 25 August 2021, 06:13 PM IST

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