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Agromet Advisory: उत्तराखंड के किसानों के लिए जरूरी सलाह, फसलों में रखें इन बातों का ख्याल

उत्तराखंड के किसानों के लिए मौसम विभाग ने एग्रोमेट एडवाइजरी जारी की, जिसमें किसानों को जरूरी सलाह दी गई है...

निशा थापा
IMD Advisory for farmers
IMD Advisory for farmers

उत्तराखंड राज्य के अधिकांश स्थानों पर 10 अगस्त तक हल्की से मध्यम वर्षा व गरज के साथ छिटपुट बारिश तथा कई स्थानों पर तीव्र बौछारें पड़ने की संभावना है. बारिश के चलते मौसम विभाग ने राज्य के किसानों के लिए सलाह दी है कि वह इस मौसम में कैसे अपनी फसल व पशुओं का ध्यान रख सकते हैं. मौसम विभाग ने किसानों के लिए सलाह दी है कि फसल के खेत में उचित जल निकासी बनाए रखें. फलों की तुड़ाई समय से करनी चाहिए. बरसात के मौसम में पौधे रोपना जारी रखें.

मक्का - मक्के की फसल में नर लटकन (male tassel) से पहले 1.5 किलो यूरिया प्रति नाली में छिड़काव करें. यूरिया का प्रयोग करने से पहले खरपतवार निकाल दें.

पहाड़ी क्षेत्रों में टमाटर, बैंगन और शिमला मिर्च की फसल में मानसून के मौसम में खेत में उचित जल निकासी बनाए रखनी चाहिए और फलों की तुड़ाई समय पर करनी चाहिए. तो वहीं मैदानी क्षेत्र में टमाटर की पत्तियों पर धब्बे और पत्तियों के झुलसने पर मैनकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रहे कि रसायन का छिड़काव साफ मौसम में करना चाहिए.

पौधा संरक्षण - कीट आबादी के नियंत्रण के लिए फसल के खेत में लाइट ट्रैप/फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें. यदि आवश्यक हो, तो कीटनाशकों के छिड़काव से पहले घोल में चिपकने वाला पदार्थ डालें.

फूलगोभी - मानसून के सीजन को ध्यान में रखते हुए, उस खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था की जानी चाहिए. जहां फूलगोभी की शुरुआती किस्म की रोपाई के बाद निराई और गुड़ाई की जाती है. यदि नर्सरी में फूलगोभी के पौधे तैयार हैं तो उन्हें कतार से पंक्ति में 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी की दूरी पर लगाएं.

गन्ना - हल्की से मध्यम बारिश के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए, यह सलाह दी जाती है कि खेत में उचित जल निकासी बनाए रखी जानी चाहिए. गन्ने की फसल में मैली बग्स होने पर मोनोक्रोटोफॉस 36 एसएल 1500 मि.ली./हेक्टेयर की दर से 500-1000 लीटर पानी/हेक्टेयर में फसल छत्र के अनुसार छिड़काव करें.

चावल - धान के खेत की सतह से पानी निकलने के 2-3 दिनों के भीतर 5.7 सेमी तक सिंचाई करनी चाहिए. रोपाई के 20 और 40 दिन बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. यदि मानव श्रम की उपलब्धता कम हो तो रोपाई के 2-3 दिनों के भीतर 3.0 लीटर बुटाक्लोर 50 ईसी या 1.65 लीटर एनिलोफोस 30 ईसी या 1.5 लीटर प्रीटिलाक्लोर 50 ईसी 500 लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए. रसायनों का प्रयोग करते समय खेत में उचित नमी उपलब्ध होनी चाहिए.

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पशु:  भेंस  के प्रसव के बाद गायनोटोन या यूट्रोटोन दवा 200 मि.ली. की दर से सुबह और शाम तीन दिन तक गर्भ को साफ करने के लिए देना चाहिए. भेड़, बकरी और नवजात बछड़ों जैसे छोटे जुगाली करने वाले जानवरों को बरसात के दिनों में भीगने से बचाना चाहिए ताकि उन्हें सर्दी / खांसी / निमोनिया न हो.

English Summary: Important advice of the Meteorological Department for the farmers of Uttarakhand state Published on: 08 August 2022, 05:57 PM IST

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