1. Home
  2. खेती-बाड़ी

बसंतकालीन गन्ने की खेती इस तरह करें, विस्तार से समझिए तरीका

मध्य जनवरी तक का महीना गुजर चुका है और अब बसंत का आगमन होने वाला है. यही कारण है कि बसंतकालीन गन्ने की बुवाई के लिए किसानों ने तैयारियां शुरू कर दी है. फरवरी के महीने में देश के कई राज्यों में इसकी बुवाई शुरू हो जाएगी. हालांकि बसंतकालीन गन्ने की खेती पैसों के हिसाब से किसानों के लिए अच्छा है, लेकिन फिर भी जानकारी के अभाव में कई बार उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. चलिए आज आपको बसंतकालीन गन्ने की खेती के बारे में विस्तार से बताते हैं.

सिप्पू कुमार
Sugarcane Farming
Sugarcane Farming

मध्य जनवरी तक का महीना गुजर चुका है और अब बसंत का आगमन होने वाला है. यही कारण है कि बसंतकालीन गन्ने की बुवाई के लिए किसानों ने तैयारियां शुरू कर दी है. फरवरी के महीने में देश के कई राज्यों में इसकी बुवाई शुरू हो जाएगी. 

गन्ने की खेती से पहले की तैयारी (Preparation before sugarcane cultivation)

खेती से पहले भूमि की अच्छी जुताई जरूरी है. ध्यान रहे कि पहली गहरी जुताई के लिए कल्टीवेटर का नहीं बल्कि मिट्टी पलटने वाले हल का इस्तेमाल करना है. हां, पहली जुताई के बाद आप देसी हल या कल्टीवेटर का उपयोग कर सकते हैं.

जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल बनाना जरूरी है. पिछले फसलों के अवशेषों को साफ करने के बाद जैविक खाद मिट्टी में डाल सकते हैं.

गन्ने की खेती की बुवाई और मिट्टी उपचार (Sowing and soil treatment of sugarcane cultivation)

गन्ना की फसल की बुवाई के समय तापमान 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तक होना उत्तम है. रोपाई के लिए आप सूखी या पलेवा की हुई गीली मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं. अगर सूखी भूमि पर खेती कर रह हैं, तो गन्ने के टुकड़े डालने के बाद ही सिंचाई कर दे. इसी तरह अगर गीली मिट्टी में बुवाई कर रहे हैं, तो बुवाई से पहले पानी नालियों या खाइयों में छोड़ें.

गन्ने की खेती के लिए संतुलित पोषक तत्व (Balanced nutrients for sugarcane cultivation)

खाद और उर्वरकों को संतुलित मात्रा में उपयोग करना जरूरी है, क्योंकि गन्ने की फसल को तैयार होने में अच्छआ समय लगता है.

ध्यान रहे कि पोषक तत्वों का अवशोषण ये फसल भूमि में से भारी मात्रा में करती है, इसलिए अंतिम जुताई से पहले 10 से 12 टन (प्रति हेक्टेयर) अच्छी सड़ी गोबर खाद का इस्तेमाल करें.

गन्ने की खेती के लिए सिंचाई और जल निकासी (Irrigation and drainage for sugarcane cultivation)

बुवाई के बाद लगभग 8 महीनों तक इसे सबसे अधिक पानी की जरूरत पड़ती है. अगर आपके यहां बरसात 200 से 300 सेमी. के मध्य होती है, तो बहुत बढ़िया है. बरसात के अभाव में हर दूसरे सप्ताह सिंचाई की जरूरत है. भीषण गर्मियों के दिनों में हर 8 दिन पर सिंचाई होनी चाहिए. ध्यान रहे कि बरसात में जलजमाव की स्थिती खेतों में न होने पाए, रूका हुआ पानी कीटों को दावत है.

गन्ना फसल की कटाई (Sugarcane harvest)

बसंत काल में लगाई गई फसल लगभग एक साल बाद पककर तैयार हो जाती है. आपका गन्ना तैयार है या नहीं इसके लिए देखें कि क्या उसमें से धातु जैसी आवाज आ रही है या मोड़ने पर क्या वो सख्ती के साथ टूट रहे हैं, अगर हां तो आपकी फसल कटाई के लिए तैयार है. कटाई के लिए गंडासे का उपयोग कर सकते हैं. इस फसल की कटाई सबसे निचली गाँठों से होनी चाहिए.

गन्ना फसल की उपज और आमदनी (Sugarcane crop yield and income)

बसंतकालीन गन्ने की उपज आम तौर पर अच्छी होती है, लेकिन फिर भी कुछ बातों का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए, जैसे- मिट्टी, जलवायु, किस्म और रखरखाव. औसत उपज की बात करें तो एक हेक्टेयर से लगभग 800 से 1000 क्विंटल फसल प्राप्त हो जाती है. इसकी मांग सबसे अधिक चीनी, रस, राब, सुक्रोज़, शीरा आदि उद्दोग में है, जहां से आपको अच्छा मुनाफा मिल सकता है.

English Summary: this is the right way of sugarcane farming in spring seasson know more about market demand price Published on: 15 January 2021, 03:18 PM IST

Like this article?

Hey! I am सिप्पू कुमार. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News