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किसानों को बुलंदियों पर ले जा रहा FPO, जानिए क्या है और सरकार कैसे करती मदद?

अगर आप किसान हैं तो आपको FPO के बारे में पता होना चाहिए कि ये क्या है और ये किसानों के लिए कैसे मददगार साबित हो सकता है.

राशि श्रीवास्तव
FPO क्या है?
FPO क्या है?

भारत में शुरू से ही कृषि को अहमियत दी गई,  तभी भारत को एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है. देश के विकास में किसानों का अहम योगदान भी है. कोरोना संकट में भी किसानों ने अर्थव्यवस्था को मजबूत किया. किसानों की मेहनत का नतीजा है कि आज दूसरे देशों में अनाजफसल और सब्जियां निर्यात की जा रही है. खेती-किसानी के क्षेत्र में उभरने वाली इस सफलता का श्रेय FPO (farm producer organisation) यानि किसान उत्पादक संगठन  को भी जाता है. जिसके कई फायदे हैं आइये जानते हैं FPO के बारे में...

FPO क्या है? 

किसान उत्पादक संगठन यानी FPO, किसानों का ही एक स्वंय सहायता समूह है. जो खुद किसानों के हित में काम करता है. जाहिर है कि किसान खून-पसीना एक करके मेहनत से अनाजफल-फूल और सब्जियां उपजाते हैं. लेकिन कई बार बाजार में उपज का वाजिब दाम नहीं मिलताजिससे किसानों को भारी नुकसान होता है. ऐसी स्थिति में किसान उत्पादक संगठन बाजार में मोलभाव के वक्त किसानों के हित में पूरी ताकत के साथ खड़े रहते हैं. किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ने पर छोटे किसानों को उपज का अच्छा मोल मिलता है.  

FPO के काम 

FPO के जरिए किसानों को बीजखादमशीनरीमार्केट लिंकेजट्रेनिंगनेटवर्किंगवित्तीय सहायता और तकनीकी मदद उपलब्ध कराई जाती है. FPO किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. कोरोना संकट के दौर में किसान उत्पादक संगठनों की सफलता को सरकार ने भी सराहा है. इन्हीं रुझानों के मद्देनजर अब सरकार ने भी देशभर में 2,500 किसान उत्पादक संगठन की स्थापना करने की घोषणा की. साथ ही कृषि फंड से 700 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला भी किया है. जिससे करीब 60 हजार किसानों को मदद मिलेगी

FPO चलाने का तरीका 

एक FPO को बेहतर ढंड से चलाने वाले संगठन के किसान ही होते हैं. सभी जिम्मेदारियां आपस में बंटी होती हैं. हर FPO में कम से कम 11 किसानों को शामिल करना जरूरी होता है. किसान उत्पादक संगठनों की कार्यशैली से सबसे ज्यादा लाभ छोटे और सीमांत किसानों मिलता है. क्योंकि भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या लगभग 86% है. इनके पास उपजाऊ भूमि कुल 1.1 हेक्टेयर ही होती हैजिस पर उनकी पूरी आजिविका निर्भर करती है. इन्हें सस्ती दरों पर लोन भी उपलब्ध करवाते हैं. ये समूह फसल बिक्री के दौरान उपज की पैकेजिंग और ट्रासंपोर्टेशन में भी किसानों की मदद करते हैं.  

FPO के फायदे 

किसानों को बेहतर सौदेबाजी की शक्ति मिलती है. बहुलता में व्यापार करने से भण्डारणपरिवहन में किसानों की बचत होती. ग्रीन हाउसकृषि मशीनीकरणशीत भण्डारण आदि में सुविधा होती है. कस्टम केंद्र आदि शुरू कर अपने व्यापार का विस्तार कर सकते हैं. संगठन के सदस्य किसान आदानों और सेवाओं का उपयोग रियायती दरों पर ले सकते हैं.  

सरकार से मिलती आर्थिक सहायता 

जब किसान उत्पादक संगठन अपने किसानों के हितों में साल तक लगातार काम करता है. तब सालों में सरकार से 15 लाख रुपये आर्थिक सहायता मिलती है. मैदानी इलाकों में FPO के जरिये सरकार से आर्थिक लाभ लेने के लिए कम से कम 300 किसानों की उपस्थिति बेहद जरूरी है. वहीं पहाड़ी इलाकों में कम से कम 100 किसानों का शामिल होना अनिवार्य है. आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के लिए नाबार्ड कंसलटेंसी सर्विसेज लायक किसान उत्पादक संगठनों की निगरानी करती हैं. सभी बातों पर अमल करके किसान उत्पादक संगठनों को रेटिंग दी जाती है. फिर सहायता राशि मिलती है. 

ये भी पढ़ेंः FPO के माध्यम से पीएम मोदी किसानों को बनाएंगे ताकतवर, कहा- हर सपना होगा साकार

FPO के लिए कैसे करें आवेदन 

 किसानों को अपने संगठन का एक नाम रखकर कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर करवाना होगा. ध्यान रहेआवेदनकर्ता FPO के सभी सदस्य भारत के नागरिक हों और किसान वर्ग के हों. इसके अलावा आवेदन करते समय आधार कार्डस्थायी प्रमाण पत्रजमीनी दस्तावेजबैंक खातापासपोर्ट साइज फोटो और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर होना जरूरी है. सबसे पहले आवेदन के लिए FPO की आधिकारिक बेवसाइट  http://sfacindia.com/FPOS.aspx  पर जायें और FPO ऑप्शन पर क्लिक करें. नये वेबपेज पर आवेदन की लिंक स्क्रीन मिलेगी. लिंक पर क्लिक करने के बाद स्क्रीन पर आवेदन फॉर्म मिलेगा. फॉर्म भरने आपका आवेदन सरकार के पास पहुंच जायेगा.

English Summary: FPO taking farmers to heights, know what it is and how does the government help? Published on: 17 January 2023, 11:03 AM IST

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