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Updated on: 15 September, 2025 11:44 AM IST
मौसम समाचार

देशभर में मौसम ने अब करवट लेना शुरू कर दिया है. पिछले कुछ दिनों से उत्तर भारत में भारी बारिश का दौर लगभग थम चुका है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में फिलहाल बारिश का कोई खास असर नहीं दिख रहा. मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि अगले एक सप्ताह तक यहां बारिश की संभावना नहीं है. हालांकि, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में अब भी हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है.

मौसम के बदलते मिजाज ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब मॉनसून की विदाई होने वाली है? उधर, उत्तर भारत में रातें ठंडी होने लगी हैं और मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल सर्दियां सामान्य से कहीं ज्यादा ठंडी पड़ सकती हैं. यानी गर्मी और बारिश के बाद अब देश के ज्यादातर हिस्सों में ठंड ने धीरे-धीरे दस्तक दे दी है.

कब विदा होगा मॉनसून?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी 15 सितंबर से शुरू हो सकती है. आमतौर पर मॉनसून जून की शुरुआत में केरल से प्रवेश करता है और जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है. इसकी विदाई सितंबर के तीसरे सप्ताह से शुरू होकर अक्टूबर के मध्य तक पूरी हो जाती है.

इस बार मॉनसून सामान्य समय से नौ दिन पहले ही पूरे देश में पहुंच गया था, जो 2020 के बाद पहली बार हुआ है. 2020 में भी मॉनसून जून के आखिरी सप्ताह तक पूरे भारत में सक्रिय हो गया था.

यूपी-बिहार में अभी जारी रहेगा बारिश का दौर

जहां राजस्थान और पश्चिमी भारत में मॉनसून विदाई की ओर बढ़ रहा है, वहीं बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अभी बारिश जारी रहने वाली है. मौसम विभाग ने 18 सितंबर तक कई जिलों में मूसलाधार बारिश की चेतावनी दी है. कई इलाकों में तेज हवाएं चल सकती हैं, जिनकी रफ्तार 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचने का अनुमान है.

बिहार और यूपी के किसानों के लिए यह बारिश मिश्रित प्रभाव डाल सकती है- कुछ फसलों के लिए लाभकारी, तो कहीं जलभराव और नुकसान का कारण भी.

इस बार की बारिश खास क्यों रही?

मॉनसून 24 मई को ही केरल पहुंच गया था, जो 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन था. इस साल पूरे देश में औसत से 7% ज्यादा बारिश दर्ज हुई. सामान्य 778.6 मिमी के मुकाबले अब तक 836.2 मिमी वर्षा हुई है. उत्तर-पश्चिम भारत में तो 34% ज्यादा बारिश दर्ज की गई. भारी बारिश के साथ-साथ कई राज्यों में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं भी देखने को मिलीं.

पंजाब-हिमालयी राज्यों में तबाही

पंजाब दशकों बाद सबसे भीषण बाढ़ से जूझता दिखा. नदियों के उफान और नहरों के टूटने से हजारों हेक्टेयर खेत जलमग्न हो गए और लाखों लोग विस्थापित हुए. हिमाचल और उत्तराखंड में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने सड़कों, पुलों और घरों को भारी नुकसान पहुंचाया. जम्मू-कश्मीर में भी कई बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं. वैज्ञानिकों के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ और मॉनसून की सक्रियता ने इस बार बारिश को और ज्यादा बढ़ा दिया.

क्या इस साल पड़ेगी कड़ाके की ठंड?

गर्मी और बरसात के बाद अब सवाल है कि सर्दी कैसी रहेगी. मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार "ला नीना" की वजह से सर्दियां ज्यादा ठंडी पड़ सकती हैं. अमेरिकी मौसम एजेंसी (CPC) के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना के सक्रिय होने की संभावना 71% है. इसका असर भारत में ठंड को सामान्य से ज्यादा कर सकता है.

ला नीना क्या है और कैसे असर डालता है?

ला नीना एक प्राकृतिक मौसमी घटना है, जो प्रशांत महासागर के पानी के सामान्य से ठंडा होने पर होती है. इसका असर पूरे विश्व के मौसम पर पड़ता है. इससे कहीं बारिश बढ़ जाती है, कहीं सूखा पड़ता है और कहीं सर्दी ज्यादा हो जाती है. भारत में जब ला नीना सक्रिय होता है, तो आमतौर पर मॉनसून अच्छा होता है और सर्दियां भी ज्यादा कड़ाके की पड़ती हैं.

किसानों और आम जनता के लिए मौसम का मतलब

बारिश थमने और ठंड शुरू होने का सीधा असर खेती और रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ेगा. उत्तर भारत में रबी फसलों की बुवाई के लिए यह समय बेहद अहम होता है. मॉनसून की विदाई के बाद नमी से भरपूर जमीन गेहूं, चना, सरसों और जौ जैसी फसलों की बुआई के लिए फायदेमंद होगी. वहीं, ज्यादा ठंड से फसलों को नुकसान का खतरा भी बना रहता है. आम लोगों के लिए इसका मतलब है- ठंडी रातें, गर्म कपड़ों की तैयारी और हीटर की जरूरत.

English Summary: weather update rain alert in UP Bihar monsoon withdrawal and winter forecast 2025
Published on: 15 September 2025, 11:47 AM IST

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