जलवायु परिवर्तन के वजह से इस साल जहां ठंड ने लोगों को मार्च माह तक सताया, वहीं अब गर्मी भी लोगों को रुलाने के लिए तैयार है. दरअसल मौसम विभाग के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन की वजह से इस बार रिकॉर्ड ब्रेक गर्मी पड़ेगी. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास क्षेत्रों का तापमान अभी से सामान्य से ऊपर पहुंच गया है.आने वाले समय में धीरे-धीरे इसमें और इजाफा होगा. मई और जून के महीने में तेज धुप के साथ लू चलेगी. वहीं, इस बार जुलाई से पहले मानसून भी आने का आसार नहीं दिख रहे हैं.
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि.राज्य ‘कोर हीट वेव जोन’ में आते हैं. जिस वजह से इन सभी राज्यों में अप्रैल और मई माह के बीच तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना तकरीबन 37% है. हालांकि,बीच में पश्चिमी विक्षोभ आने से इन राज्यों में लोगों को राहत मिलती रहती है. लेकिन, इस बार इसकी भी बहुत कम संभावना है. गौरतलब है कि 'वर्ष 2018 में भी गर्मी ने लोगों को काफी परेशान किया था.' मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूमध्य रेखा के आसपास प्रशांत क्षेत्र में 'अल-नीनो' का प्रभाव रहता है. इसमें प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान भी असामान्य रूप से बढ़ जाता है. इससे पूरे एशिया के मौसम पर प्रभाव पड़ता है. साथ ही यह भारत में मानसूनी बारिश पर भी प्रभाव डालता है
स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने भी यह माना है कि 'सर्दी के बाद इस साल गर्मी भी पड़ेगी. उन्होंने आगे कहा कि 'जिन मॉडलों को आधार बनाकर मौसम का पूर्वानुमान तैयार किया जाता है, उनमें ज्यादा राहत की फिलहाल कोई संभावना नहीं है. पलावत के अनुसार जोर पकड़ती गर्मी का प्रभाव लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना तय है. दिल्ली और हरियाणा में छठे चरण के अंतर्गत 12 मई को होने वाले मतदान के दौरान भी गर्मी अपने चरम पर होगी.