GFBN Story: कैसे लखन यादव ने बांस और प्राकृतिक खेती से खड़ा किया 2 करोड़ का एग्रो-बिजनेस Solar Subsidy: किसानों को सोलर पंप पर 90% अनुदान देगी राज्य सरकार, मिलेगी बिजली और डीजल खर्च से राहत GFBN Story: रिटायरमेंट के बाद इंजीनियर शाह नवाज खान ने शुरू की नींबू की खेती, अब कमा रहे हैं शानदार मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 29 June, 2019 3:02 PM IST

इस साल गर्मी जमकर पूरे भारत मे अपना कहर बरसा रही है. साल 2019 मे अधिकतम तापमान 50 के पार पहुंच गया है. मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार बीते 100 सालों में पांचवी बार जून सबसे सूखा महीना रहा. पूरे देश में इस बार जून के महीने में बारिश औसत से 35 फीसदी कम रही है. अब जून भी खत्म होने वाला है और बारिश की संभावना फिलहाल कम है. देखा जाए तो आमतौर पर जून महीने में 151 मिलीमीटर बारिश होती है. वहीं इस महीने अब तक यह आंकड़ा 97.9 मिलीमीटर ही रहा है. मानसून की मार सबसे ज्यादा किसानों पर पड़ रही है. किसानों को फसल की बोवाई के कार्य में देरी हो रही है.

फिलहाल संभावनाएं है कि इस महीने के अंत तक 106 से 112 मिलीमीटर तक बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 1920 के बाद से ऐसे 4 ही साल थे जब इस तरह सूखा पड़ा हो. साल 2009 में सबसे कम 85.7 मिलीमीटर, 2014 में 95.4, 1926 में 98.7 मिलीमीटर और 1923 में 102 मिलीमीटर बारिश हुई थी. साल 2009 और 2014 में अल-नीनो के कारण मानसून कमजोर रहा था. इस साल भी ऐसी ही स्थिति है.  मौसम विभाग की वरिष्ठ अधिकारी के. साथी देवी ने कहा है कि  'हम 30 जून के बाद मानसून में अच्छी मजबूती की उम्मीद कर रहे हैं.

दरअसल, अल-नीनो के प्रभाव के कारण पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर की सतह में असामान्य रूप से गर्मी की स्थिति होती है. इससे हवाओं का चक्र प्रभावित होता है और भारतीय मानसून पर इसका बेहद ही विपरीत असर पड़ता है. मौसम वैज्ञानिकों ने आशंका जताई थी कि अल-नीनो देर से सक्रिय और कमजोर रहेगा. हालांकि, पिछले हफ्ते ऐसे इलाकों में भी बारिश हुई जो लंबे समय से सूखे की मार झेल रहे थे. 

3.50 लाख किसानों के लिए संकट 

न के बराबार हुई बारिश के कारण 3.50 लाख किसानों के सामने बोवाई का संकट खड़ा है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार किसानों ने धान की नर्सरी तो डाल दी है लेकिन अब धान की  रोपाई और अन्य फसलों की बुवाई का कार्य शुरू नहीं हो सका है. गौरतलब है कि इस वक्त खरीफ की बोवाई का सीजन चल रहा है. इस सीजन में धान के अलावा मक्का, ज्वार, बाजरा, उर्द जैसी फसलों की बोवाई की जानी है. बारिश न होने की वजह से  धान की रोपाई और फसलों की बोवाई का कार्य प्रभावित है. 

पिछले साल यानी 2018 में जून महीने में 25.7 मि.मी बारिश हुई थी. वहीं इस साल अभी तक जून महीने में महज 9.6 मि.मी बारिश ही हुई है. इस वजह से खेती का काम बुरी तरह से प्रभावित है. नहरों में भी पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. इस वजह से भी किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है. कृषि विभाग ने जो आंकड़े जारी किए है उसके मुताबिक, इस बार कुल फसल का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले 162 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार महज 146.61 लाख हेक्टेयर रहा है. जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल सकता है.

English Summary: Wasting Monsoon: For the fifth time in 100 years, it was so severely dry
Published on: 29 June 2019, 03:06 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now