अर्थ सिस्टम डायनेमिक्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पोट्सडैम इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (जर्मनी) के साइंटिस्ट, प्रोफेसर एंडर्स लीवरमैन ने यह दावा किया है कि उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत की बारिश पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया है. उनके मुताबिक, जितनी बार धरती का पारा ग्लोबल वार्मिंग की वजह से एक डिग्री सेल्सियस ऊपर चढ़ेगा, उतनी बार भारत में मानसून की 5 फीसदी ज्यादा बारिश होगी.
इसके अलावा, इस सदी के अंत तक साल-दर-साल ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान बढ़ेगा. एंडर्स के मुताबिक, इस शोध के लिए उन्होंने क्लाइमेट मॉडल 31 का उपयोग किया है.
भारत में मानसूनी बारिश कब होती है?
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार चार महीनों जून– जुलाई–अगस्त–सितंबर की औसत वर्षा BBM.6 मिमी की तुलना में 2021 में 103 फीसदी बारिश होने को संभावना है. इसमें 5 फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है. आपको बता दें कि 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच हुई बारिश को औसत या सामान्य मानसून के रूप में परिभाषित किया जाता है. आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल के रास्ते दक्षिण पश्चिमी मानसून भारत में प्रवेश करता है. 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है.
वहीं, निजी मौसम एजेंसी स्काइमेट वेदर के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान विदर्भ, तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़, उत्तर आंतरिक कर्नाटक और केरल के कई हिस्सों में मध्यम से भारी वर्षा के साथ भारी बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ सकती हैं.
इसके अलावा, विदर्भ और तेलंगाना मैं एक-दो स्थानों ओले गिरने की संभावना है. वही मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण और पश्चिम मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है.
पश्चिमी हिमालय राज्यों में बारिश और गरज के साथ बौछारें शुरू होने की उम्मीद है, जो धीरे-धीरे तेज हो सकती है और 17 अप्रैल तक जारी रहेगी. राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश के साथ धूल भरी आंधी चल सकती है. गुजरात के पूर्वी जिलों में भी आज बारिश हो सकती है.