एक तरफ जहां देश में बेरोजगारी दर बढ़ने से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं उत्तराखंड में अलकनंदा घाटी की महिलाएं तुलसी की खेती कर देश-विदेश में नाम कमा रही हैं. वैसे तो यहां सब्जी, फल और मसालों की खेती भी होती है, लेकिन मुख्य मुनाफे की स्त्रोत तुलसी ही है.
विदेशों में भी है तुलसी की मांग
आज के समय में इस क्षेत्र की तुलसी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी धमाल मचा रही है. महिलाओं के मुताबिक केवल तुलसी की खेती से ही लाखों रुपये का मुनाफा हो जाता है.
तुलसी क्यों है फायदेमंद
तुलसी को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है, कम सिंचाई में भी अच्छी उपज हो सकती है. एक बार लगने के बाद इससे 3 से 4 बार फसल दुबारा ली जा सकती है. इसकी सबसे अधिक मांग चाय के रूप में है, जो आज के समय में स्वास्थय के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है.
तुलसी के तीन फ्लेवर चाय की मांग
वर्तमान में महिलाएं यहां तुलसी की खेती कर चाय के कुल तीन फ्लेवर को तैयार करती है, जिसमें तुलसी जिंजर टी, ग्रीन तुलसी टी, और तुलसी तेजपत्ता टी प्रमुख है. महिलाओं के मुताबिक पहाड़ों पर रोजगार के स्थाई साधन नहीं होते, जिस कारण प्राय घर के मर्द बाहरी राज्यों की तरफ पलायन करते हैं. लेकिन तुलसी की खेती यहां के लोगों को रोजगार का साधन दे रही है, जिससे क्षेत्र में पलायन घट रहा है और यहां के लोग सशक्त हो रहे हैं.
जानवरों से डर नहीं
यहां की महिलाओँ के मुताबिक अन्य फसलों को बंदरों, सूअरों एवं अन्य जानवरों से बचाने की जरूरत पड़ती थी, लेकिन तुलसी की खेती में जानवरों का डर नहीं होता. खेतों में अगर पशु आ भी जाएं, तो वो तुलसी को नुकसान नहीं पहुंचाते.
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