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Updated on: 21 October, 2024 3:30 PM IST
Progressive farmer Jaynarayan Patidar

MP Farmer Jaynarayan Patidar Success Story: मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के खरदोन कलां गांव के प्रगतिशील किसान जयनारायण पाटीदारने स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर 25 साल पहले खेती में कदम रखा. उनके पास 6 हेक्टेयर की जमीन है, जिसमें वे फसल उत्पादन, बागवानी और पशुपालन का संतुलन बनाते हुए खेती करते हैं.

जयनारायण पाटीदार की 3.5 हेक्टेयर जमीन पर बागवानी होती है, जिसमें 2 हेक्टेयर संतरा, 1 हेक्टेयर अमरूद, और 0.5 हेक्टेयर आम की खेती शामिल है. रबी मौसम में वे गेहूं, चना, मसूर, और सरसों की खेती करते हैं, जबकि खरीफ मौसम में मक्का, लहसुन और धनिया जैसी मसालेदार फसलों की बुवाई करते हैं.

उनके पास 15-20 पशुओं का एक डेयरी फार्म भी है, जो अतिरिक्त आय का स्रोत है और खेती में जैविक खाद का भी योगदान देता है.

गेहूं उत्पादन में रिकॉर्ड

साल 2015 में जयनारायण पाटीदार ने जिले में सबसे अधिक गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड स्थापित किया. उन्होंने गेहूं की उन्नत किस्म पूसा मंगल (HI-8713) Pusa Mangal 8713 की खेती से 102.33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन किया, जिसके लिए उन्हें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि विभाग द्वारा सम्मानित किया गया.

पूसा के सहयोगी संस्थान गेहूं अनुसंधान केंद्र, इंदौर द्वारा जारी पूसा मंगल 8713 एक नवीन कठिया (ड्यूरम) गेहूं की किस्म है, जो मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, और छत्तीसगढ़ जैसे मध्य क्षेत्र के लिए अनुशंसित है.

पूसा मंगल 8713 किस्म में 3 से 4 सिंचाई देने पर अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है, और इसकी फसल 120-125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. पूसा मंगल 8713 गेहूं की किस्म गेरूआ, कर्नाल बंट, लूज स्मट जैसे प्रमुख रोगों के प्रति प्रतिरोधक है और इसमें खिरने (शेटरिंग) की समस्या नहीं होती.

रोग प्रतिरोधकता और अधिक उत्पादन क्षमता के कारण यह किस्म किसानों के लिए एक आदर्श और लाभकारी विकल्प है.

खेती में नवाचार और नई तकनीकों का समावेश

जयनारायण पाटीदार पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों का भी प्रयोग करते हैं. वे सोयाबीन और गेहूं की नई किस्मों की खेती करते हैं, जिससे उन्हें बेहतर गुणवत्ता वाली उच्च उपज प्राप्त होती है. इसके साथ ही, जैविक खेती के प्रति उनकी जागरूकता ने उन्हें और भी सफल बना दिया है.

Progressive farmer Jaynarayan Patidar in his orange orchard

वे रासायनिक उर्वरकों की बजाय जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं और अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं. उनकी खेती की यह विधि न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ती है, जिससे बाजार में उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ाव और किसानों को प्रेरणा

नई-नई तकनीकें और फसलों की किस्में जानने के लिए जयनारायण पाटीदार कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और कृषि विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में नियमित रूप से भाग लेते हैं. यहां वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जिसे वे अपने खेतों में लागू करते हैं. उनका यह समर्पण और सीखने की ललक उन्हें और अधिक सफल बनाती है.

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वे अपने ज्ञान और अनुभवों को अपने क्षेत्र के अन्य किसानों के साथ साझा करते हैं, जिससे खेती में नवाचार को बढ़ावा मिलता है.

जैविक खेती और पशुपालन का महत्व

जयनारायण पाटीदार न केवल फसल उत्पादन में बल्कि जैविक खेती और पशुपालन में भी रुचि रखते हैं. जयनारायण पाटीदार का 15-20 पशुओं का डेयरी फार्म है, जो खेती के साथ-साथ पशुपालन से आय में वृद्धि करता है. उनकी डेयरी फार्म से उन्हें दूध और अन्य दुग्ध उत्पादों से अच्छी आय प्राप्त होती है, जिससे उनका खेती का व्यवसाय और मजबूत हुआ है.

Progressive farmer Jaynarayan Patidar in the Guava orchard

वे अपने डेयरी फार्म से प्राप्त गोबर को जैविक खाद के रूप में उपयोग करते हैं, जिससे उनकी फसलों की उपज और गुणवत्ता में सुधार होता है. उनके जैविक खेती के प्रयासों ने उन्हें अपने समुदाय में एक अग्रणी किसान बना दिया है, जो अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. जैविक खेती और नवाचारों के प्रति उनका समर्पण उन्हें एक आदर्श किसान बनाता है, जो कृषि क्षेत्र में सतत उन्नति की मिसाल हैं.

निष्कर्ष

जयनारायण पाटीदार की मेहनत, अनुभव, और आधुनिक तकनीकों के प्रति जागरूकता ने उन्हें एक सफल किसान के रूप में स्थापित किया है. उनकी खेती में फसलों की विविधता, बागवानी, और पशुपालन का संतुलित उपयोग उनके व्यवसाय को और भी लाभकारी बनाता है. उनके प्रयासों से न केवल उनकी खुद की आय में वृद्धि हुई है, बल्कि उन्होंने अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी उन्नत और जैविक खेती के लिए प्रेरित किया है.

English Summary: Wheat variety Pusa Mangal 8713 gives 102.33 quintals of production per hectare Jaynarayan Patidar success story
Published on: 21 October 2024, 03:46 PM IST

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