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Updated on: 6 December, 2022 11:03 AM IST
हरे-हरे नोटों की बारिश करेगी माइक्रोग्रीन्स की खेती

भारत में अब नौकरीपेशा लोग भी खेती-किसानी की ओर रुख कर रहे हैं. कम जगह व कम संसाधनों में खेती कर अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. इस लेख में हम आपको केरल के किसान की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं. जिन्होंने अपने घर पर ही माइक्रोग्रीन उगाकर बिजनेस शुरु किया और अब महीने के से लाख रुपए कमा रहे हैं. 

क्या है माइक्रोग्रीन

बता दें कि माइक्रोग्रीन किसी भी पौधे की शुरुआती पत्तियों को कहते हैं. जैसे मूलीमूंगसरसों व अन्य फसलों के बीज की जो शुरुआती पत्तियां आती हैं. उसे तोड़ा जाता है. इन्हें युवा सब्जियां कहा जाता है. इन छोटी पत्तियों में बड़ी सब्जियों की तुलना में कहीं अधिक पोषक तत्व होते हैं. यानि 25 मिलीग्राम लाल-गोभी माइक्रोग्रीन्स में किलो लाल गोभी के बराबर पोषक तत्व होते हैं. यह विटामिन सी-के-बी12 आदि का महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं. इनमें आयरनपौटेशियमव अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स भी भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं. लिहाजा बाजार में इनकी मांग बढ़ गई है. इन पत्तों को कच्चा ही खाया जाता है. खास तौर पर सलाद के साथ इसका खूब उपयोग होता है. 

यहां से आया आईडिया

अजय ने यूट्यूब वीडियो देखकर माइक्रोग्रीन्स की खेती करने के बारे में सोचा. उन्होंने सबसे पहले हरे चने से माइक्रोग्रीन्स की खेती के लिए टिशू पेपर का इस्तेमाल किया लेकिन परिणाम अच्छा नहीं रहा. फिर उन्होंने यूके में रहने वाले अपने दोस्त की मदद से माइक्रोग्रीन्स विशेषज्ञ से संपर्क किया. उसने अजय को माइक्रोग्रीन्स उगाने का सही तरीका बताया. उन्होंने बताया कि माइक्रोग्रीन्स की खेती के लिए सभी बीज उपयुक्त नहीं होते. केवल गैर-अनुवांशिक रुप से संशोधित जीव (जीएमओ) गैर संकरउपचारित और खुले परागण वाले बीज अच्छे होते हैं. इसलिए उन्होंने छत्तीसगढ़पुणे और बेंगलुरु से बीज लेना शुरु करे. बीज खरीदने में 600 रुपए प्रति किलो का खर्च आता है.

दो ट्रे से की थी शुरुआत

अजय बताते हैं कि उन्होंने शुरुआत में केवल दो छोटी-छोटी ट्रे में माइक्रोग्रीन्स उगाना शुरु किए. लेकिन जब उन्होंने इसे अपने दोस्तों को दिया तो उन्होंने स्वाद व गुणवत्ता को पसंद किया. जिसके बाद अजय ने सोच लिया कि वह इसकी व्यवसायिक खेती करते हैं उन्होंने 2020 में खेती करना शुरु कर दी. आज अजय 80 वर्गफुट के कमरे में लगभग 15 विभिन्न प्रकार के माइक्रोग्रीन्स उगाते हैं. दैनिक उपज के रुप में किलो तक माइक्रोग्रीन्स बेचते हैं. जिसे वे ग्रो ग्रीन्स बिजनेस में 150 रुपए प्रति 100 ग्राम की दर पर बेचते हैं. वह बेंगलुरुचेन्नई और पूरे केरल में इस फ्रेंचाइजी के मालिक हैं. इसके अलावा अजय माइक्रोग्रीन्स को 20 से 25 प्रकार के ग्राहकों जैसे होटलजिमअस्पताल व अन्य लोगों को बेचते हैं.

ऐसे उगाते हैं माइक्रोग्रीन्स

अजय पिछले तीन सालों से माइक्रोग्रीन्स उगा रहे हैं. इसके लिए अजय ने अपने चित्तूर स्थित घर के बेडरुम में खेती करना शुरु कर दी है. इसकी साइज 80 वर्ग फुट हैमाइक्रोग्रीन्स उगाने के लिए यहां उपयुक्त जलवायु बनाई गई है. इस रुम को हमेशा 40 से 60 प्रतिशत आर्द्र और तापमान 25 डिग्री से नीचे रखा जाता है. 

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ऐसे उगाएं माइक्रोग्रीन

अजय बताते हैं कि हाई क्वालिटी माइक्रोग्रीन्स उगाने के लिए लो ईसी कोकोपीट मीडिया सबसे अच्छी होती है. अजय कोकोपीट को छेद वाले ट्रे में भरते हैं फिर माइक्रोग्रीन्स के बीज डालने के बाद कंटेनरों को सील कर दिया जाता हैउन्हें कम रोशनी व हवादार क्षेत्र में रखा जाता है. दो दिनों के बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं तो उन्हें अच्छी प्रकाश व्यवस्था व हवादार क्षेत्र में खुला रखा जाता है. बीजों से माइक्रोग्रीन्स बनने में लगभग दिनों की अवश्यकता होती है. जिसमें एक छोटा तना और दो पत्तियां होती हैं. जैसे ही बीजपत्र के पत्ते दिखाई दें उन्हें जड़ों के ऊपर से काट लिया जाता है. इसके बाद यह बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं.

English Summary: This Kerala farmer is earning millions by growing microgreens in a small room
Published on: 06 December 2022, 11:10 AM IST

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