प्रगतिशील लेखराम यादव राजस्थान के कोटपुतली जिले के एक किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) को अपनाकर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया और इसे अपने जुनून से जोड़कर 17 करोड़ रुपये का सफल व्यवसाय बना दिया. उन्होंने पांच साल पहले 120 एकड़ जमीन से शुरुआत की थी. आज वह राजस्थान के तीन जिलों- जयपुर, नागौर, जैसलमेर और गुजरात के बोटाद में लीज पर जमीन लेकर कुल 1100 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं.
वह अनाज, फल, सब्जियां, मसाले उगाते हैं और डेयरी व कृषि पर्यटन से भी जुड़े हैं. उनका फार्म अब देश में जैविक खेती का एक प्रेरणादायक मॉडल बन गया है. हाल ही में लेखराम कृषि जागरण की पहल “ग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क” का हिस्सा बनें हैं.
लेखराम ने बायोटेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और जीएमओ टेस्टिंग में विशेषज्ञता हासिल की और एक NABL-मान्यता प्राप्त लैब में तकनीकी प्रबंधक के रूप में काम किया. लेकिन शहरी जीवन की भागदौड़ और सेहत संबंधी परेशानियों ने उन्हें नई दिशा में सोचने के लिए मजबूर किया.
उन्होंने महसूस किया कि प्रकृति के करीब जाकर काम करना और समाज में सकारात्मक योगदान देना ही असली संतोष देता है. इसलिए उन्होंने खेती को अपनाने का निर्णय लिया. यह फैसला करना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी और खेती की ओर कदम बढ़ाया.उनकी इस यात्रा की शुरुआत ऐलोवेरा की खेती से हुई, लेकिन उन्हें इसमें नुकसान उठाना पड़ा. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे.
उन्होंने खुद को जैविक खेती की बारीकियों को सिखाने में लगा दिया. यूट्यूब वीडियो, सेमिनार, किताबें और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेकर उन्होंने गहराई से अध्ययन किया. उन्होंने यूट्यूब को अपना शिक्षक बना लिया और दिन-रात नई जानकारी सीखने में जुटे रहे.
इस दौरान उन्होंने “ताराचंद बेलजी तकनीक” (TCBT) के बारे में जाना. यह एक आधुनिक तकनीक है जो नैनो टेक्नोलॉजी और ऊर्जा विज्ञान के आधार पर पौधों की वृद्धि को बेहतर बनाती है. उन्होंने इस तकनीक को अपने खेतों में अपनाया और बेहतरीन परिणाम पाए.
TCBT के सफल परिणामों से प्रेरित होकर उन्होंने इसे सभी खेतों में लागू कर दिया. इससे उनकी उपज की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार हुआ. यह तकनीक उनके खेती के मॉडल में एक बड़ा बदलाव लेकर आई.
इसके साथ ही उन्होंने प्राचीन भारतीय कृषि विज्ञान “वृक्षायुर्वेद” के सिद्धांतों को भी अपनाया. इसमें भस्म और जैव रसायन का उपयोग करके पौधों की वृद्धि को प्राकृतिक तरीके से बढ़ावा दिया जाता है. यह तकनीक पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल है.
लेखराम केवल खेती तक ही सीमित नहीं रहे. उन्होंने डेयरी फार्मिंग की ओर भी कदम बढ़ाया. उन्होंने देसी नस्ल की साहीवाल गायों को पाला और A2 प्रकार का शुद्ध जैविक दूध, घी और पनीर का उत्पादन शुरू किया.
उनकी डेयरी अब A2 दूध उत्पादन के लिए प्रमाणित है. यह दूध स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है, जिससे उनकी डेयरी उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है. इससे उनकी आय में भी अच्छा इजाफा हुआ.
लेखराम ने खेती और डेयरी के साथ-साथ कृषि पर्यटन को भी अपनाया है. उन्होंने “56 भोग वाटिका” नाम की परियोजना 22 एकड़ भूमि पर शुरू किया है, जहां लोग आकर जैविक खेती का अनुभव ले सकते हैं.
यह परियोजना राजस्थान के कृषि पर्यटन विभाग में पंजीकृत है. इसमें मेहमानों को खेत में रहने, जैविक खाना खाने और खेती की तकनीकें सीखने का मौका दिया जाता है. इससे उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत मिला.
लेखराम की कंपनी “यूबी ऑर्गेनिक इंडिया” अनाज, मसाले, फल, सब्जियां और डेयरी उत्पाद बेचती है. इनके उत्पाद देशभर में ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से उपलब्ध हैं. लोगों के बीच इनकी गुणवत्ता की काफी सराहना होती है.
आज उनका सालाना कारोबार 17 करोड़ रुपये से अधिक है. उन्होंने जो कुछ भी किया, वह मेहनत, लगन और सही दिशा में ज्ञान अर्जित करने का परिणाम है. उनका फार्म अब युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बन गया है. इसे ध्यान में रखते हुए उन्हें कृषि जागरण द्वारा आयोजित और महिंद्रा ट्रैक्टर्स द्वारा प्रायोजित MFOI अवार्ड्स 2024 में नेशनल कैटेगरी में ‘मिलियनेयर ऑर्गेनिक फार्मर ऑफ इंडिया’ अवार्ड 2024 मिला.
लेखराम यादव की कहानी बताती है कि यदि सही सोच और ईमानदारी से काम किया जाए, तो खेती जैसे पारंपरिक क्षेत्र में भी अपार सफलता हासिल की जा सकती है. जैविक खेती, आधुनिक तकनीक और परंपरागत ज्ञान के मेल से उन्होंने नई मिसाल कायम की है.
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