Successful Farmer Success Story: प्रगतिशील किसान छमेष्वर मंडल, एक 67 वर्षीय प्रगतिशील किसान हैं, जो 1990 से मखाना उत्पादन और मछली पालन में लगे हुए हैं. वे शीतलनगर, सुरंग टोला गांव के रहने वाले हैं, जो बलिया पंचायत, कोचाधामन प्रखंड, किशनगंज जिला में स्थित है. उनकी शैक्षिक योग्यता माध्यमिक है, लेकिन उनके अनुभव और मेहनत ने उन्हें कृषि क्षेत्र में एक सफल उद्यमी बना दिया है. आज, वे 85-90 एकड़ में मखाना और मछली पालन कर रहे हैं और लगातार बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. 2022-23 में, उन्होंने लगभग 15 से 16 लाख रुपये की आय अर्जित की और 2023-24 में 16 से 20 लाख रुपये तक की आय की उम्मीद जताई है. ऐसे में आइए प्रगतिशील किसान छमेष्वर मंडल की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
प्रारंभिक जीवन और चुनौतियां
प्रगतिशील किसान छमेष्वर मंडल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद माध्यमिक शिक्षा वर्ष 1972 में किशनगंज से प्राप्त की. पारिवारिक आय कम होने के कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए. एक ओर जहां उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, वहीं दूसरी ओर उनका गांव बहुत बड़े जलाशयों से घिरा हुआ था. मंडल ने इस जलकर की उपयोगिता को समझते हुए मखाना उत्पादन का विचार किया. 1990 में, उन्होंने सिर्फ 2 एकड़ में मखाना उगाना शुरू किया. शुरुआत में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, जैसे जलाशयों का सही प्रबंधन, मखाना बीज की बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव, और अधिक बारिश के कारण फसल की बर्बादी.
सहायता और विकास
इन चुनौतियों का सामना करने के बाद, प्रगतिशील किसान छमेष्वर मंडल ने कृषि विज्ञान केन्द्र, किशनगंज से संपर्क किया. वहां से उन्होंने मखाना उत्पादन और मछली पालन पर वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके साथ ही, उन्होंने जूट और सब्जी उत्पादन पर भी जानकारी प्राप्त की. इस प्रशिक्षण ने उन्हें अपने काम को बेहतर तरीके से करने की दिशा दिखाई.
प्रगतिशील किसान छमेष्वर मंडल ने अपने गांव के अन्य किसानों को भी मखाना उत्पादन के वैज्ञानिक तरीके सिखाए. इससे न केवल उनकी खुद की आय में बढ़ोतरी हुई, बल्कि आदिवासी किसानों और नवयुवकों को भी रोजगार के अवसर मिले. मंडल ने इन तकनीकों को अपनाने के बाद गांव में किसान उत्पादक संगठन का गठन किया, जिससे किसानों की सामूहिक आय में सुधार हुआ.
समाजसेवा और आर्थिक उन्नति
प्रगतिशील किसान छमेष्वर मंडल का समाजसेवा के प्रति गहरा लगाव है. उन्होंने जलाशयों का नवीनीकरण करवाने के लिए विभागीय अधिकारियों से सहायता प्राप्त की. आज, वे लगभग 85 से 90 एकड़ क्षेत्रफल में मखाना उत्पादन और मत्स्य पालन कर रहे हैं. उन्होंने अपने गांव में नवयुवकों को मखाना उत्पादन में शामिल किया और सामाजिक कार्यों को भी महत्व दिया.
प्रगतिशील किसान मंडल की आय में लगातार वृद्धि हुई है. 2022-23 में, उन्होंने लगभग 15 से 16 लाख रुपये की आय अर्जित की और 2023-24 में 16 से 20 लाख रुपये तक की आय की उम्मीद जताई है. इस बढ़ी हुई आय से उनके पारिवारिक जीवन स्तर में सुधार हुआ है और वे गरीब बच्चों को नवोदय विद्यालय में दाखिला दिलवाने और रोजगार प्रदान करने जैसे सामाजिक कार्य भी कर रहे हैं.
ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि प्रगतिशील किसान छमेष्वर मंडल की कहानी यह साबित करती है कि अगर सही जानकारी और तकनीकी सहायता उपलब्ध हो, तो किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ नए अवसर भी खोज सकते हैं. उनकी मेहनत और सही मार्गदर्शन ने यह सिद्ध कर दिया है कि कोई भी किसान अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है. मंडल की सफलता ने यह दिखाया है कि समर्पण, सही दिशा और निरंतर प्रयास से आर्थिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में उन्नति संभव है.
लेखक: डा० अलीमुल इस्लाम, विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि प्रसार), कृषि विज्ञान केन्द्र, किशनगंज, बिहार
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, बिहार