Success Story: देश में मछली पालन का व्यवसाय काफी तेजी से बढ़ रहा है. यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसके जरिए मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है. आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताएंगे, जिन्होंने बीटेक की डिग्री लेने के बाद मछली पालन का व्यवसाय शुरु किया और आज वे लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. ये कहानी है उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मोदी नगर तहसील के पतला देहात के रहने वाले रजनीश कुमार की, जो पिछले कई सालों से मछली पालन का काम कर रहे हैं. अगर इनकी शिक्षा की बात करें, तो इन्होंने बी.टेक तक की पढ़ाई की हुई है. वह मुख्य तौर मछली पालन का व्यवसाय करते हैं और पिछले पांच सालों से इस काम को कर रहे हैं.
मछली पालन में पॉन्ड फार्मिंग है अच्छा विकल्प
रजनीश कुमार भारत में सबसे ज्यादा पालन की जाने वाली मछली मगूर कैटफिशो समेत कई मछलियों का पालन करते हैं.उन्होंने बताया कि वह तालाब और बायोफ्लॉक तकनीक दोनों के जरिए मछली पालन करते हैं. हालांकि, इसमें सबसे अच्छा विकल्प आज भी पॉन्ड फार्मिंग यानी तालाब में मछली पालन है. उन्होंने कहा कि क्योंकि मछलियों की ग्रोथ के लिए उन्हें पानी और खुली जगह की जरूरत होती है और तालाब में वैसा ही वातावरण मछलियों को मिलता है.उन्होंने बताया कि वैसे तो मछली पालन के दोनों तरीके सही हैं, लेकिन आज भी देश में सबसे पुराना और कारगर तरीका तालाब में मछली पालन है.
उन्होंने बताया कि वे बायोफ्लॉक तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ मछलियों के अंडे देने के लिए करते हैं.जैसे ही मछलियां बड़ी होने लगती है, वे उन्हें तालाब में डाल देते हैं.जहां उनकी ग्रोथ काफी अच्छी होती है.उन्होंने बताया कि वह 100 एकड़ जमीन पर मछली पालन का व्यवसाय करते हैं.जिसमें से 30 से 35 एकड़ में वह अपना नर्सरी मैनेजमेंट करते हैं, जबकि बचे हुए 65 एकड़ में वह मछली पालन करते हैं.
अन्य किसानों को भी दे रहे प्रशिक्षण
उन्होंने बताया कि उनका एक ब्रांड भी है, जिसका नाम PVR AQUA है.वह इसी नाम ने अपनी मछलियों को बेचते हैं.इसके अलावा, वे किसानों को मछली पालन का प्रशिक्षण भी देते हैं.उन्होंने बताया कि उनका एक यूट्यूब चैनल भी है, जिस पर किसानों के लिए कई तरह के एजुकेशनल वीडियो भी हैं.इसी तरह वे किसानों को मछली पालन के लिए निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें जागरूक करते रहते हैं.
सालाना 40 लाख तक का मुनाफा
उन्होंने बताया कि बजार में मछलियों की डिमांड काफी ज्यादा रहती है, लेकिन इनकी सप्लाई डिमांड के मुकाबले काफी कम है.इसी के वजह वे इस व्यवसाय में आए.उन्होंने बताया कि वे हर साल 300 टन का प्रोडक्शन करते हैं और सीधे दिल्ली के होलसेल व्यापारियों को अपनी मछलियां बेचते हैं.उन्होंने आगे बताया कि इस व्यवसाय में लागत काफी ज्यादा है.हर साल इस व्यवसाय पर उनकी लागत 2 करोड़ रुपये के आसपास आती है; और वे सालाना 40 लाख तक का मुनाफा कमा लेते हैं.वे सिर्फ मछली पालन का ही काम करते हैं और अपने फ्री टाइम में किसानों को मछली पालन के प्रति जागरूक करते हैं.
नौकर छोड़ अपनाई मछली पालन की राह
उन्होंने बताया कि शुरुआत से ही उनका रुझान फार्मिंग की ओर था, जिसके चलते उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ फार्मिंग करने का फैसला लिया.लेकिन मछली पालन ने उनका ध्यान इसलिए आकर्षित किया क्योंकि यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आप अपनी फसल को होल्ड कर सकते हैं.उन्होंने कहा कि किसी भी अन्य व्यवसाय में आप ऐसा नहीं कर सकते.चाहे हम बात पोल्ट्री फार्मिंग करें या डेयरी बिजनेस की करें.मछली पालन में आप अपनी फसल को होल्ड करके कभी भी बाजार में भेज सकते हैं.उन्होंने बताया कि व्यवसाय के संबंध में उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र, आईसीएआर के वैज्ञानिकों से जानकारी मिलती रहती है.लेकिन, शुरुआती दिनों में उन्होंने पहले इस पर खुद रिसर्च की और इस व्यवसाय से जुड़े किसानों और लोगों से जानकारी जुटाई.
'आमदनी के विकल्प तलाशें किसान'
रजनीश कुमार ने बताया कि इस व्यवसाय के लिए उन्होंने देश भर का भ्रमण किया है. उन्होंने बताया कि मछली पालन एक अच्छा व्यवसाय है और इसके जरिए आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.भारत के किसान आज भी पारंपरिक तौर पर खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इससे आगे बढ़कर कुछ नए विकल्प तलाश करने चाहिए. इसके लिए वे मछली पालन का विकल्प चुन सकते हैं.क्योंकि वह इसे सीमित जगह पर भी कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर किसान ऐसा करते हैं तो वे पाएंगे कि इससे उनकी आय में कई गुना तक बढ़ जाएगा.ऐसे में मछली पालन किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है.वे इसे अपनाकर अपनी आमदनी तो कई गुना तक बढ़ा सकते हैं. लेकिन, ये व्यवसाय शुरू करने से पहले इसके संबंध में जानकारी जरूर जुटा लें, ताकि बाद में कोई पछतावा न हो.