Success Story of UP Progressive Farmer Yuvraj Parihar: भारत में कृषि को हमेशा से एक अहम पेशा माना जाता है. यहां के किसान अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे होते हैं, जो कृषि में न सिर्फ पारंपरिक तरीकों से काम करते हैं, बल्कि उसे नए विचारों और तकनीकों के साथ एक नया मुकाम भी देते हैं. यूपी के आगरा जिले के बंगुरी गांव के रहने वाले युवराज परिहार ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान हैं, जिनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने उन्हें आज भारत के सबसे बड़े किसानों में से एक बना दिया है.
युवराज परिहार ने हाल ही में कृषि जागरण द्वारा आयोजित और महिंद्रा ट्रैक्टर्स के द्वारा प्रायोजित "मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया (MFOI)" अवार्ड्स 2024 में फर्स्ट रनर-अप "रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया" का अवार्ड प्राप्त किया है. यह पुरस्कार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ कृषि जागरण के संस्थापक एवं प्रधान संपादक एम.सी. डोमिनिक, कृषि जागरण की प्रबंध निदेशक शाइनी डोमिनिक और महिंद्रा फार्म डिवीजन के मार्केटिंग सेवाओं के प्रमुख उज्ज्वल मुखर्जी और मंच पर मौजूद अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रदान किया गया.
यह प्रतिष्ठित सम्मान युवराज परिहार के कृषि में उल्लेखनीय योगदान और उनकी परिवर्तनकारी यात्रा को दर्शाता है. इस सम्मान को लेकर कृषि जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, "इस आयोजन के लिए कृषि जागरण के संस्थापक और टीम बहुत बधाई के पात्र है. अवार्ड हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है और इससे सबका हौसला बढ़ता है. साथ ही, जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं. मैं इस जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए और मेहनत से काम करूंगा और कृषि से जुड़ी जागरूकता फैलाऊंगा."
प्रारंभिक जीवन और कृषि में कदम
युवराज परिहार का जन्म एक डॉक्टर के घर हुआ था, उनके पिता एक डॉक्टर थे. इसलिए उनके परिवार में कृषि कार्य को प्रमुखता से नहीं किया जाता था, लेकिन उनका मन हमेशा से कृषि के क्षेत्र में ही रमता था. युवराज परिहार को जानने वाले भी यही चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें या फिर प्राइवेट सेक्टर में जॉब करें, लेकिन उनके मन में कुछ और ही था.
उनका मानना था कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सफलता की अपार संभावनाएं हैं. हालाँकि, युवराज के लिए यह निर्णय आसान नहीं था, क्योंकि उनका परिवार एक पेशेवर पृष्ठभूमि से था. लेकिन, युवराज ने अपने दिल की सुनी और कृषि क्षेत्र को चुना. 2002 में, युवराज ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद कृषि के क्षेत्र में कदम रखा और तभी से उन्होंने अपनी मेहनत और स्मार्ट तरीके से खेती करने की दिशा तय कर दी.
उन्होंने खुद खेती की शुरुआत की और धीरे-धीरे 2000 से ज्यादा किसानों को अपने साथ जोड़ा, ताकि सभी एक साथ मिलकर नए तरीकों से खेती कर सकें और एक-दूसरे से सीख सकें. उनका कहना है, "हम एक-दूसरे से सीखते हैं और उद्योग में जो भी बदलाव आता है, उस पर चर्चा कर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं."
नई तकनीकों का उपयोग और खेती में सुधार
युवराज परिहार के लिए कृषि सिर्फ एक व्यवसाय नहीं था, बल्कि यह उनका जुनून था. उनका मानना है कि किसी भी व्यवसाय में सफलता के लिए तीन चीजें महत्वपूर्ण होती हैं: प्लानिंग, एक्सीक्यूशन और मॉनिटरिंग. उन्होंने अपनी खेती में इन तीनों पहलुओं को बखूबी लागू किया.
प्लानिंग में युवराज यह सुनिश्चित करते थे कि कौन सी फसल किस मौसम में उगाई जाए. उन्होंने यह समझा कि खेती के लिए सही समय और सही तकनीक की जरूरत होती है. साथ ही, फसल की उपज बढ़ाने के लिए सही समय पर खाद, सिंचाई और कटाई के काम किए जाते थे. उनका कहना है कि सही मॉनिटरिंग से ही सही समय पर सही कदम उठाया जा सकता है, जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाता है.
इसके साथ ही, उन्होंने अपनी खेती में सही मात्रा में पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया गया. उन्हें यह पता था कि हर खेत की ज़रूरत अलग होती है, इसलिए उन्होंने कभी भेड़चाल का पालन नहीं किया और अपनी फसल की ज़रूरत के अनुसार ही खाद और पानी दिया. यह सही तरीकों के इस्तेमाल से न सिर्फ उनकी लागत कम हुई, बल्कि उत्पादकता में भी वृद्धि हुई.
कृषि लागत में कमी और मुनाफा बढ़ाना
युवराज परिहार ने कृषि लागत को कम करने के लिए कई उपाय किए. सबसे पहले, उन्होंने सॉइल टेस्ट करवाकर यह सुनिश्चित किया कि खेत में किस तत्व की कमी है और उसी के हिसाब से उर्वरक डाला. इसके साथ ही, उन्होंने मैकेनाइजेशन पर भी ध्यान दिया, जिससे खेती की लागत कम हुई और उत्पादन क्षमता बढ़ी.
आलू उत्पादन में उनकी विशेष रुचि रही है, और उनका मानना है कि आगरा आलू का एक बड़ा हब है. आगरा जिले के जितने क्षेत्र में आलू का जितना उत्पादन और स्टोरेज होता है दुनिया में कहीं और नहीं होता. यहां पर लगभग 300 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनमें करीब 8 करोड़ बोरियां आलू की स्टोर की जाती हैं. इसके अलावा, वे आलू की खुदाई के बाद मूंग, बाजरा और फूलगोभी जैसी अन्य फसलों की भी खेती करते हैं, जो आगरा और आसपास के क्षेत्रों में बहुत अच्छा उत्पादन देती हैं.
युवराज परिहार का यह कहना है कि कृषि केवल पारंपरिक तरीकों से नहीं की जा सकती. उन्हें यह समझ में आ गया था कि अगर खेती में नए तरीकों और तकनीकों का समावेश किया जाए तो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो सकता है. यही कारण है कि वे हर नये प्रयोग में हाथ डालते हैं और अपने काम में सुधार करते रहते हैं.
"डॉ बीपीएस" ब्रांड और व्यापार
युवराज परिहार ने कृषि व्यवसाय में सफलता के बाद अपनी खुद की पहचान बनाने के लिए "डॉ बीपीएस" नामक ब्रांड की शुरुआत की. यह ब्रांड उनके कृषि क्षेत्र में किए गए कार्यों का प्रतीक बन गया है. इसके तहत, उन्होंने 3 कोल्ड स्टोरेज और 2 वेयरहाउस बनवाए हैं, ताकि उनकी फसलें अच्छी तरह से संरक्षित हो सकें और उन्हें बाजार में बेहतर मूल्य मिल सके. इसके अलावा, युवराज परिहार ने 7 कॉलेज भी खोले हैं.
व्यापार में सफलता और कुल कारोबार
युवराज परिहार का एग्री-बिजनेस टर्नओवर अब 50 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इसके अलावा, उनके सारे व्यापार मिलाकर कुल कारोबार लगभग 100 करोड़ रुपये का हो चुका है. यह सफलता उनकी मेहनत, योजना और सही तरीके से किए गए प्रयासों का परिणाम है.
युवराज परिहार ने यह सिद्ध किया है कि अगर किसी कार्य में पूरे दिल से मेहनत की जाए और उसे सही तरीके से किया जाए तो सफलता की कोई सीमा नहीं होती. उनके इस संघर्ष की कहानी न सिर्फ किसानों, बल्कि हर व्यवसायी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है.
अंतरराष्ट्रीय पहचान और पुरस्कार
युवराज की सफलता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. 2020 में, उन्हें गांधीनगर (गुजरात) में आयोजित इंटरनेशनल पोटैटो कॉन्क्लेव में "बेस्ट पोटैटो ग्रोवर और एक्सपोर्टर" का अवार्ड मिला था. इस कार्यक्रम में भारत के तत्कालीन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और वर्चुअल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी कड़ी मेहनत और कृषि क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की थी.
उनकी मेहनत और सफलता को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर, मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स, नाफेड और हाफेड जैसी संस्थाओं से कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कृषि मंत्रियों से भी उन्हें पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.
कृषि में शिक्षा का महत्व
युवराज परिहार का मानना है कि कृषि क्षेत्र में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है. उनके अनुसार, "डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनना चाहता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बनना चाहता है, लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता है. लेकिन एक वक्त आएगा जब पढ़-लिखकर भी किसान का बेटा किसान बनाना चाहेगा." उन्होंने अपने अनुभव से यह साबित किया है कि अगर कृषि के साथ-साथ अन्य स्रोतों से भी आमदनी हो, तो कृषि से शानदार मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने यह सिद्ध किया है कि कृषि सिर्फ पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि नवाचार और तकनीकी दृष्टिकोण से भी मुनाफे का बड़ा स्रोत बन सकती है.
प्रगतिशील किसान युवराज परिहार का इंटरव्यू देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें- Link