अभिषेक त्यागी: महिंद्रा Arjun 605 DI के साथ नई ऊंचाइयों की ओर, बिजनौर के किसान की प्रेरणादायक कहानी! योगेश भूतड़ा: गौ पालन और महिंद्रा ट्रैक्टर से सफलता की कहानी- पनवेल का किसान जिसने सपनों को किया साकार खेतों से बगीचों तक सभी उत्पादकों के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन, जानें इसे जुड़ी सभी जानकारी केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 29 December, 2024 5:42 PM IST
आलू की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी, फोटो साभार: कृषि जागरण

Success Story of Progressive Potato Farmer Ramkaran Tiwari: प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी उत्तर प्रदेश के ग्राम नावली, पोस्ट चितभवन, जिला इटावा के रहने वाले हैं और उन्होंने 2015 में आलू की खेती शुरू की थी. उनका परिवार लंबे समय से कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ था, लेकिन रामकरन का सपना कुछ अलग था. उन्होंने यह साबित करना चाहा कि खेती केवल एक पारंपरिक व्यवसाय नहीं है, बल्कि अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो यह एक लाभकारी और पेशेवर व्यवसाय बन सकता है. "खेती मेरे खून में है, लेकिन मुझे हमेशा यकीन था कि यह सिर्फ जीवन यापन का तरीका नहीं हो सकता, बल्कि यह एक व्यवसाय, गर्व और समृद्धि का जरिया बन सकता है," रामकरन कहते हैं, जब वे अपने शुरुआती दिनों को याद करते हैं.

वर्तमान समय में प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी 30 एकड़ में आलू की खेती करते हैं और यहां हर साल 3500 से 4000 क्विंटल आलू की पैदावार होती है, जिससे उन्हें सालाना 1 करोड़ रुपये तक की आमदनी होती है. ऐसे में आइए आज उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं.

आलू की खेती में बदलाव: सीपीआरआई से सीखी नई तकनीक

रामकरन की सफलता की कहानी को समझने के लिए हमें उनके संघर्ष और कठिनाइयों को जानना होगा. वह भी अन्य किसानों की तरह असमय बारिश, सूखा, ऊंची लागत और अस्थिर बाजार कीमतों जैसी समस्याओं का सामना कर रहे थे. लेकिन उन्होंने यह महसूस किया कि अगर वे अपने खेतों में नई तकनीक और शोध को अपनाएंगे, तो इससे उनकी खेती में बहुत बदलाव आ सकता है.

जिला उद्यान अधिकारी इटावा श्याम सिंह शिवम फार्म नावली चितभवन पर टिश्यू कल्चर विधि द्वारा कु० चिप्सोना -5 एवं कु० फ्रायोम (लाइसेंसिंग) प्रजातियों का अवलोकन करते हुए, साथ में प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी , फोटो साभार: कृषि जागरण

रामकरन का जीवन में असली मोड़ तब आया, जब उन्हें शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) से आलू की नई खेती तकनीकों के बारे में जानकारी मिली. यहां उन्होंने बीज प्लॉट तकनीक (Seed Plot Technique) के बारे में सीखा, जिससे उनके आलू की खेती का तरीका पूरी तरह बदल गया.

प्रगतिशील किसान रामकरन ने बताया, "सीपीआरआई में मैंने बीज प्लॉट तकनीक के बारे में सीखा, जो मेरी आलू की खेती के तरीके को पूरी तरह बदल दी." इसके बाद, रामकरन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से सहयोग लिया और खेत पर अपनी टिशू कल्चर लैब (tissue culture lab) भी स्थापित की. इस तकनीक की मदद से उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले आलू के बीज तैयार किए, जो न केवल अधिक उगते थे, बल्कि बाजार में भी उनकी मांग बहुत बढ़ी. रामकरन का मानना है कि तकनीकी दृष्टिकोण से खेती करने से न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि इससे किसानों की आय भी दोगुनी हो सकती है.

यूपी एग्रो टेक-2024 में ‘इनोवेटिव फार्मर अवार्ड्स’ प्राप्त करते हुए प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी, फोटो साभार: कृषि जागरण

शिवम सीड्स फार्म: एक ब्रांड की शुरुआत

प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी ने अपनी मेहनत और समझदारी से "शिवम सीड्स फार्म" की नींव रखी, जो उनके बेटे शिवम तिवारी के नाम पर है. शिवम तिवारी एक बी.टेक इंजीनियर हैं और वह अपने पिता के साथ फार्म का प्रबंधन करते हैं. उनका फार्म 30 एकड़ में फैला हुआ है और यहां हर साल 3500 से 4000 क्विंटल आलू की पैदावार होती है.

रामकरन के फार्म की एक और खास बात यह है कि वह आलू की कई किस्मों की खेती करते हैं. "हम दस से अधिक किस्मों के आलू उगाते हैं, जैसे- कुफरी लीमा, कुफरी संगम, और कुफरी बहार. हम हर किस्म को बड़े ध्यान से उगाते हैं, ताकि हमारे ग्राहकों को बेहतरीन गुणवत्ता मिले," रामकरन बताते हैं.

रामकरन ने अपनी खेती में सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं किए, बल्कि उन्होंने अपने आलू को बेचने के तरीके में भी बदलाव किया. उन्होंने सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग करके अपने ग्राहकों से सीधे जुड़ने की योजना बनाई. इस कदम से, उन्हें ग्राहकों का सीधा समर्थन मिला और वे सीधे फार्म पर आकर आलू खरीदने लगे. रामकरन का मानना है कि अपने उत्पादों को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए पारंपरिक तरीकों से हटकर नया रास्ता अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है.

समुदाय पर प्रभाव: एटा को आलू का निर्यातक बनाना

रामकरन की सफलता ने न केवल उन्हें बल्कि पूरे एटा जिले को भी लाभ पहुंचाया है. पहले एटा में आलू की कमी होती थी और इसे पंजाब और हरियाणा से आयात किया जाता था. लेकिन अब एटा में आलू का इतना अच्छा उत्पादन होता है कि अब इसे अन्य राज्यों में भेजा जाता है. रामकरन कहते हैं, "अब हम आलू निर्यात करते हैं, जो हमारे लिए गर्व की बात है. आने वाले समय में हम इसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी भेजने की योजना बना रहे हैं."

अपने उत्पादों की प्रदर्शनी करते हुए प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी , फोटो साभार: कृषि जागरण

निवेश और लाभ: 1 करोड़ रुपये का मुनाफा

रामकरन तिवारी का फार्म हर साल 20 से 25 लाख रुपये का निवेश करता है, और बदले में लगभग 1 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाता है. लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी सफलता सिर्फ वित्तीय लाभ नहीं है, बल्कि यह संतुष्टि है कि उन्होंने अपनी मेहनत और सही तकनीकों से एक बड़ा और स्थिर व्यवसाय खड़ा किया है. "मैं हमेशा दूसरे किसानों को सलाह देता हूं कि वे अपने खुद के ब्रांड पर काम करें, अच्छी गुणवत्ता के बीज में निवेश करें और नए तरीकों को अपनाएं," रामकरन कहते हैं.

पुरस्कार और सम्मान: कृषि में योगदान की सराहना

रामकरन तिवारी को उनकी कड़ी मेहनत और कृषि क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं. दिसंबर 2023 में उन्हें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर "किसान सम्मान समारोह" में आलू उत्पादन के लिए तीसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ. इसके अलावा, 2020 में लखनऊ में आयोजित राज्य फल, सब्जी और फूल प्रदर्शनी में भी उन्होंने 500 ग्राम वजन के लाल आलू के लिए तीसरा पुरस्कार जीता. साथ ही यूपी एग्रो टेक-2024 में ‘इनोवेटिव फार्मर अवार्ड्स’ मिला.

प्रगतिशील किसान रामकरन तिवारी राज्य फल, सब्जी एवं पुष्प प्रदर्शनी में 500 ग्राम आकार के लाल आलू की किस्म के लिए प्रमाण पत्र प्राप्त करते हुए, फोटो साभार : कृषि जागरण

यह पुरस्कार केवल उनके आलू की गुणवत्ता का प्रमाण नहीं हैं, बल्कि यह इस बात का संकेत हैं कि कृषि क्षेत्र में नवाचार और अच्छे काम को सराहा जा रहा है.

आगे की दिशा: आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा

रामकरन का मानना है कि उनकी सफलता की कहानी आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा होनी चाहिए. "मैं चाहता हूं कि हर किसान यह विश्वास करें कि वह भी सफलता पा सकता है. खेती सिर्फ एक जीवनशैली नहीं, बल्कि एक रास्ता है जो सफलता और संतुष्टि की ओर ले जाता है," रामकरन कहते हैं.

English Summary: Success Story of UP Potato Farmer Ramkaran Tiwari Annual Income of Over 1 Crore
Published on: 29 December 2024, 06:06 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now