Success Story of Organic and Dairy Farmer Lekhram Yadav: राजस्थान के कोटपूतली जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान लेखराम यादव, आज अपने मेहनत और संघर्ष के बल पर केवल जैविक खेती के ही नहीं, बल्कि डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) के क्षेत्र में भी सफलता की मिसाल बन चुके हैं. वह अब 550 एकड़ से ज्यादा जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं, और डेयरी फार्मिंग में भी उनका व्यवसाय फल-फूल रहा है. लेखराम यादव की सफलता का प्रमुख कारण उनकी पारंपरिक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना और उन्हें व्यावसायिक दृष्टिकोण से समझदारी से लागू करना है.
आज, लेखराम यादव का जैविक खेती और डेयरी फार्मिंग बिजनेस से सालाना कारोबार 17 करोड़ रुपये का है, और उनकी सफलता को कई राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. कृषि जागरण द्वारा आयोजित और महिंद्रा ट्रैक्टर्स द्वारा प्रायोजित "मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स- 2023 और 2024" में उन्हें "नेशनल अवार्ड" से सम्मानित किया गया है. लेकिन इस सफलता तक पहुंचने का उनका सफर आसान नहीं था, बल्कि यह एक संघर्षपूर्ण यात्रा रही है. ऐसे में आइए उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
जैविक खेती से की शुरुआत
प्रगतिशील किसान लेखराम यादव का सफर 120 एकड़ जमीन पर खेती करने से शुरू हुआ था. वह जानते थे कि भविष्य में खेती के क्षेत्र में सफलता केवल जैविक और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से ही मिल सकती है. इस विचार के साथ उन्होंने जैविक खेती शुरू की और इसे अपनी मेहनत और अपने अनूठे दृष्टिकोण से एक सफलता में बदल दिया. आज उनकी खेती 550 एकड़ से ज्यादा में फैली हुई है. उनका लक्ष्य हमेशा यही था कि वह न केवल आर्थिक रूप से लाभान्वित हों, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी कुछ सकारात्मक योगदान दें.
डेयरी फार्मिंग का आगाज
कृषि और पशुपालन एक-दूसरे के पूरक होते हैं, और इस बात को समझते हुए प्रगतिशील किसान लेखराम यादव ने डेयरी फार्मिंग की दिशा में भी कदम बढ़ाया. उन्होंने देखा कि जैविक खेती के लिए गौ उत्पादों की जरूरत बढ़ रही थी, और कोरोना महामारी के दौरान इनकी उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन गई थी. इसके बाद उन्होंने परंपरागत तरीके से गौशाला खोलने का निर्णय लिया.
लेखराम यादव ने 120 देसी गायों के साथ अपनी डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की. उन्होंने "साहिवाल" नस्ल की गायों को चुना क्योंकि यह नस्ल खासतौर पर दूध देने के लिए जानी जाती है और इनके दूध की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है. उनके मुताबिक गायों की सही देखभाल, उचित आहार और उनका स्वास्थ्य सुनिश्चित करने से न केवल दूध उत्पादन बढ़ता है, बल्कि किसान को अच्छा मुनाफा भी मिलता है.
डेयरी फार्मिंग में लागत की बचत और संरचना
प्रगतिशील किसान लेखराम यादव ने अपनी डेयरी फार्मिंग में लागत कम करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई. उनके अनुसार किसान अक्सर गौशाला के निर्माण में ज्यादा खर्च कर देते हैं, जबकि यह जरूरी नहीं है. उन्होंने कम लागत में अपने गौशाला की संरचना तैयार की, जिसमें पुआल और अन्य स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल किया गया, जिससे खर्चों में काफी कमी आई. उनका मानना है कि गौशाला का ढांचा ऐसा होना चाहिए जिसमें पशु आराम से रह सकें और उन्हें प्राकृतिक वातावरण का अनुभव हो.
गौशाला में उन्होंने उत्तर-पूर्व दिशा में जलकोण और दक्षिण-पूर्व दिशा में अग्निकोण रखा. जलकोण का मतलब है जहां पशुओं के पीने के लिए पानी की व्यवस्था हो और अन्य जल-संबंधी कार्य किए जाते हों. वहीं अग्निकोण वह स्थान है जहां दूध को गर्म किया जाता है और अन्य दूध उत्पादों का निर्माण किया जाता है.
नस्ल का चयन और स्वास्थ्य
प्रगतिशील किसान लेखराम यादव का मानना है कि डेयरी फार्मिंग में नस्ल का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है. किसान को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार नस्ल का चुनाव करना चाहिए. यदि बाजार में पनीर का डिमांड है तो भैंस पालन करना अच्छा हो सकता है, क्योंकि भैंस का दूध पनीर बनाने के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है. वहीं यदि दूध और घी का डिमांड है तो गाय पालन बेहतर रहेगा क्योंकि गाय अधिक दूध देती है और लंबे समय तक दूध देती है.
उनके अनुसार यह भी महत्वपूर्ण है कि बछड़ों को टैग किया जाए ताकि जब गायों का पालन किया जाए, तो गाय के साथ उसका बछड़ा भी रहे. इससे दूध का दोहन करते समय कोई समस्या नहीं होती है, क्योंकि गाय तब तक दूध नहीं देती जब तक उसका बछड़ा उसके पास नहीं होता.
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए
प्रगतिशील किसान लेखराम यादव अपनी डेयरी फार्मिंग में पारंपरिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए वातावरण को साफ रखने के लिए भी कई उपाय अपनाते हैं. डेयरी फार्म में मक्खी और मच्छरों की समस्या को निपटाने के लिए वह TCBT फार्मूला का इस्तेमाल करते हैं. इस फार्मूले के द्वारा वह अग्निहोत्र करते हैं, जो वातावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखता है. इस प्रक्रिया में देसी गौ के कंडे, अच्छे चावल और देसी घी का इस्तेमाल होता है. इससे न केवल वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन होता है, बल्कि यह रोगाणुओं और कीटों से भी बचाता है.
इसके अलावा, वह TCBT फार्मूला से वह गंध चिकित्सा (Odour Treatment) करते हैं. यह प्रक्रिया अग्निहोत्र से अलग होती है, हालांकि दोनों का उद्देश्य एक ही है—वातावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखना. TCBT फार्मूला से वह एक संजीवनी वातावरण तैयार करते हैं, जो न केवल पशुओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, बल्कि मच्छरों और मक्खियों जैसे कीटों को भी दूर रखता है.
पशुओं के लिए चारा तैयार करना
TCBT फार्मूला का दूसरा महत्वपूर्ण उपयोग चारा उगाने में करते हैं. लेखराम यादव इस फार्मूला से जैव रसायन तैयार करते हैं, जिससे वह पशुओं का चारा उगाते हैं. यह जैव रसायन चारे की गुणवत्ता को बढ़ाता है और पशुओं को बेहतर पोषण मिलता है. इसके अलावा, यह चारा पशुओं की रोग प्रतिकारक क्षमता को भी मजबूत करता है, जिससे वे स्वस्थ और ऊर्जावान रहते हैं.
सफलता का मूल मंत्र
लेखराम यादव का मानना है कि खेती और डेयरी फार्मिंग में सफलता की कुंजी है सही सोच और सही दृष्टिकोण. उनकी सफलता की कहानी इस बात का उदाहरण है कि यदि मेहनत, सही ज्ञान और पारंपरिक तरीकों का पालन किया जाए तो कोई भी किसान अपने कारोबार को बड़े स्तर तक ले जा सकता है.
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