Success Story of Progressive Millionaire Farmer Lakshay Dabas: मौजूदा वक्त में बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो फसलों से अधिक उपज पाने के प्रयास में ज्यादा से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का सहारा ले रहे है, वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल छोड़ जैविक खाद का इस्तेमाल कर रासायनिक उर्वरक के मुकाबले अधिक उपज प्राप्त करने के साथ ही करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. उन्हीं किसानों में से एक दिल्ली के जट खोर में रहने वाले लक्ष्य डबास भी हैं. लक्ष्य डबास लगभग एक दशक से आर्गेनिक फार्मिंग और नेचुरल फार्मिंग से जुड़े हुए हैं. इनकी आमदनी परंपरागत तरीके से खेती कर रहे किसानों की तुलना में काफी अधिक है. इनकी सालाना टर्नओवर लगभग 7 करोड़ रुपये है.
इसके अलावा, लक्ष्य डबास, सोशल प्लेटफॉर्म ‘यूट्यूब’ पर काफी फेमस हैं. इनके द्वारा बनाए गए वीडियो को लाखों किसानों के द्वारा देखा जाता है. 8 मार्च को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित National Creators Award में पीएम मोदी द्वारा लक्ष्य डबास को नवाचार और प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ कृषि तकनीक में सुधार पर काम के लिए सबसे प्रभावशाली कृषि निर्माता का पुरस्कार/ Most Influential Agri-Producer Award मिला है. यह अवार्ड लक्ष्य डबास के भाई ने उनकी ओर से पुरस्कार प्राप्त किया और देश में जैविक खेती की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. इस दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने 30 हजार से अधिक किसानों को खेती के तरीकों और फसलों को कीड़ों-मकोड़ों से बचाने के बारे में प्रशिक्षण दिया है. वही, लक्ष्य डबास का खुद का एक ब्रांड भी है, जिसका नाम Organic Acre है. ऐसे में आइए प्रगतिशील युवा किसान लक्ष्य डबास के बारे में विस्तार से जानते हैं-
विगत 10 वर्षों से कर रहे सफल खेती
प्रगतिशील किसान लक्ष्य डबास, दिल्ली के जट खोर के रहने वाले हैं जोकि दिल्ली सोनीपत बॉर्डर पर स्थित है. वही, लक्ष्य पिछले 10 वर्षों से खेती कर रहे हैं और हज़ारों युवाओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं. खेती के प्रति अपनी लगन और मेहनत की बदौलत आज लक्ष्य अच्छा मुकाम हासिल करने के साथ अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गये हैं. कृषि जागरण के वरिष्ठ पत्रकार विवेक कुमार राय से बात करते हुए प्रगतिशील किसान लक्ष्य डबास ने बताया कि कृषि क्षेत्र में उनका सफर 2016 में शुरू हुआ था. इससे पहले उन्हें खेती-किसानी की विशेष समझ नहीं थी. मेरे पिता जी सरकारी नौकरी के साथ में साल 2000 से नेचुरल फार्मिंग यानी प्राकृतिक खेती कर करते थे.
2016 में शुरू किए प्राकृतिक खेती
उन्होंने आगे बताया कि उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने 2016 में खेती करनी शुरू की. इसके दो साल बाद उनके भाई मृणाल भी उनके साथ जुड़े और दोनों ने साथ मिलकर काम करना शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने खेती का विस्तार किया और आज वे सफल तरीके से खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली में उनकी काफी बड़ी मार्केट है और आज वे कई तरह के प्राकृतिक उत्पाद बेच रहे हैं.
युवाओं को देते हैं खेती की ट्रेनिंग
लक्ष्य ने बताया कि जब हमारा काम अच्छा चल रहा था, तो कई युवा हमसे प्रभावित हुए और वे भी हमारी तरह खेती करना चाहते थे. जिसके लिए हमने युवाओं को ट्रेनिंग देना शुरू किया. उस दौरान मुझसे काफी लोग सवाल पूछते थे. उन सभी सवालों का जवाब एक जगह पर देने के लिए मैंने एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की. जिस पर लोग सवाल पूछते गए और मैं जवाब देता गया. धीरे-धीरे लोगों के बीच हमारी पहुंच बढती गई और हमारा सोशल मीडिया मजबूत होता गया.
ट्रेनिंग लेकर युवा कमा रहे अच्छा मुनाफा
उन्होंने बताया कि 2023 में हमनें एक बड़ी सफलता हासिल की और सबसे बड़े एग्री यूट्यूब चैनल के तौर पर उभरे. आज हमारे चैनल Organic Acre से लाखों लोग से जुड़े हुए हैं. हम हजारों युवाओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं और आज वही युवा सफल तरीके से खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
30 हजार से अधिक युवाओं और किसानों दे चुके हैं ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि वैसे तो उनके पास लगभग 13 एकड़ निजी जमीन है, जिस पर खेती करते हैं. लेकिन, वह अभीतक हजारों युवाओं को ट्रेनिंग भी दे चुके हैं. इस हिसाब से देखें तो वह 1 लाख एकड़ के करीब जमीन को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित कर चुके हैं. वही, वह अभीतक 30 हजार से अधिक युवाओं और किसानों को खेती करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं.
सालाना 7 करोड़ रुपये का टर्नओवर
उन्होंने बताया कि वह कई तरह की औषधीय फसलों, फल-सब्जी, गेहूं और धान जैसी फसलों की खेती करते हैं. उनके पास एक पोल्ट्री फार्म भी है जिसमें वह मुर्गी पालन करते हैं. इसके अलावा, वह फूड प्रोसेसिंग का काम भी करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके साथ हजारों किसान जुड़े हुए हैं, जो उनके जरिए अपनी फसलों की मार्केटिंग करवाते हैं. इससे किसानों के साथ-साथ उनका भी फायदा होता है. फिलहाल, खेती-बाड़ी, फूड प्रोसेसिंग, फसलों की मार्केटिंग और अन्य कामों से वह सालाना 7 करोड़ रुपये का टर्नओवर जनरेट कर रहे हैं.
फसलों में नहीं करते रसायनों का इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि वह प्राकृतिक रूप से खेती करते हैं और अपनी फसलों में रसायनों का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करते. वह खुद ही अपने फार्म में प्राकृतिक खाद तैयार करते हैं और उसी को खेतों में डालते हैं. उन्होंने बताया कि हम मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता पर विशेष ध्यान देते हैं, जो फसल की पैदावार के लिए महत्वपूर्ण होती है. अगर जमीन उर्वरता अच्छी होगी, तो पैदावार भी अच्छी होगी. इसी वजह से हम प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल करते हैं.
‘खेती है मुनाफे का सौदा’
उन्होंने कृषि जागरण के माध्यम से किसानों को मैसेज देते हुए कहा कि मैं सभी को सलाह देता हूं कि अगर आप खेती बाड़ी करते आ रहे हैं, तो हमारे साथ ऑनलाइन जुड़कर खेती के नई तकनीक और तरीके सीख सकते हैं. वहीं, अगर आप विस्तार से खेती-बाड़ी के बारे में जानना और समझना चाहते हैं तो हमारे फार्म पर विजिट कर सकते है. जो हमनें इतने सालों की गलतियों से सीखा है, वह आप कुछ समय में सीख सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या है की वे इसे व्यवसाय के तौर पर नहीं देखते. जबकि, खेती एक मुनाफे का सौदा है. इसके अलावा, उन्होंने आगे कहा कि फसलों की मार्केटिंग न हो पाना भी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है. क्योंकि, प्राकृतिक तरीके से तैयार किए गए उत्पादों की सही तरीके से मार्केटिंग नहीं हो पाती है. ऐसे में सरकार को इस दिशा में कुछ कदम उठाने चाहिए.