Success Story of Progressive Vegetable Farmer Ravi Rawat: रवि रावत, जो मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के रहने वाले हैं, आज के समय में एक प्रगतिशील किसान के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं. उनका कृषि क्षेत्र में सफर एक प्रेरणा बन चुका है, क्योंकि उन्होंने पारंपरिक खेती से हटकर, विज्ञान और तकनीकी ज्ञान का उपयोग करके सब्जियों की खेती को एक व्यवसाय में बदल दिया. उनका यह सफर न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की सफलता का प्रतीक है, बल्कि उन्होंने अपने पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल कायम की है.
आज, उनका वार्षिक टर्नओवर 50-75 लाख रुपये तक पहुंच चुका है, जो यह साबित करता है कि अगर मेहनत, समर्पण और आधुनिक तकनीकों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो कृषि क्षेत्र में भी शानदार सफलता प्राप्त की जा सकती है. ऐसे में आइए आज उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
कृषि में आधुनिक तकनीकों का उपयोग: सफलता की कुंजी
प्रगतिशील किसान रवि रावत की सफलता की कहानी में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उनकी खेती में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग ने निभाई है. जहां पहले उनका खेती का तरीका पारंपरिक था और वही फसल चक्र अपनाया जाता था, वहीं पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने यह तय किया कि अगर उन्हें खेती में सफलता प्राप्त करनी है, तो उन्हें नई तकनीकों और उन्नत कृषि विधियों को अपनाना होगा.
रवि रावत ने अपनी खेती में प्लास्टिक मल्चिंग और लो टनल जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करना शुरू किया. विशेष रूप से लो टनल का उपयोग उन्होंने पॉली हाउस के छोटे और प्रभावशाली रूप के रूप में किया. इस तकनीक से फसल को तेज बारिश, तेज धूप और बर्फबारी से बचाव मिलता है, जिससे फसल का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उपज की गुणवत्ता में वृद्धि होती है. इसके अलावा, वह ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का भी इस्तेमाल करते हैं, जिससे पानी की बचत होती है और फसलों को सही मात्रा में पानी मिल पाता है. यह प्रणाली उनकी कृषि को अधिक सस्टेनेबल और पर्यावरण के अनुकूल बनाती है.
फसल चक्र में बदलाव और विशेष सब्जियों की खेती
प्रगतिशील किसान रवि रावत के पास कुल 25 एकड़ जमीन है, जिसमें पहले वह पारंपरिक फसलें जैसे सोयाबीन, चना आदि उगाते थे, लेकिन अब उन्होंने इन फसलों की जगह सब्जियों की खेती को प्राथमिकता दी है. सब्जियों में उनकी प्रमुख फसल अब टमाटर है, हालांकि वह अन्य फल और सब्जियों जैसे खीरा, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, भिन्डी, और तरबूज भी उगाते हैं.
रवि रावत ने टमाटर की खेती में एक अनूठा तरीका अपनाया है. आमतौर पर टमाटर की फसल बिना सहारे के उगाई जाती है, लेकिन उन्होंने बांस के सहारे तार के माध्यम से अपनी फसल को चढ़ाया है. इस तकनीक से टमाटर के पौधे मिट्टी से संपर्क में आने से बचते हैं, जिससे न केवल खरपतवार और मिट्टी के संपर्क में आने वाले रोगों से बचाव होता है बल्कि टमाटर की गुणवत्ता में भी सुधार होता है. इस तरह की छोटी-छोटी तकनीकें उनके खेती के तरीके को बहुत प्रभावी बनाती हैं.
ऑफ सीजन की खेती और उच्च गुणवत्ता वाली उपज
प्रगतिशील किसान रवि रावत अपनी खेती को और लाभकारी बनाने के लिए मुख्य रूप से ऑफ सीजन सब्जियां उगाते हैं. ऑफ सीजन में सब्जियों की आपूर्ति कम होती है, जिससे बाजार में इनकी कीमतें उच्च होती हैं. इस प्रकार की खेती से उन्हें न केवल अच्छा मुनाफा होता है, बल्कि उनकी उपज की मांग भी बाजार में अधिक होती है.
इसके अलावा, रवि रावत अपनी फसल में जैविक और रासायनिक उर्वरकों दोनों का उपयोग करते हैं. उनका मानना है कि जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल फसल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, जबकि रासायनिक उर्वरक जल्दी परिणाम देते हैं. दोनों का मिश्रण उनके खेतों की मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखता है और उपज में वृद्धि होती है. इस पद्धति से उनकी लागत में 40-50 प्रतिशत की कमी आई है, साथ ही फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है.
मार्केटिंग और बिक्री का स्मार्ट तरीका
किसानों के लिए अपनी उपज को सही तरीके से बाजार में बेचना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, लेकिन रवि रावत ने इस चुनौती को भी बड़े धैर्य और समझदारी से संभाला है. उनका कहना है कि अगर किसी किसान की उपज की गुणवत्ता बेहतर है, तो व्यापारी खुद उस किसान से उपज खरीदने के लिए तैयार होते हैं. यही कारण है कि कुछ सब्जियां उनके फार्म से सीधे बिक जाती हैं और कुछ सब्जियों को देश के विभिन्न मंडियों में भेजा जाता है.
प्रगतिशील किसान रवि रावत के अनुसार, शिवपुरी जिला अब टमाटर और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों का हब बन चुका है. पहले, शिवपुरी के किसानों को मार्केटिंग में कठिनाइयां आती थीं, लेकिन अब यह समस्या सुलझ चुकी है. रवि रावत का मानना है कि सही मार्केटिंग और गुणवत्ता से ही किसी किसान को अच्छा मुनाफा मिलता है.
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और निरंतर सुधार
प्रगतिशील किसान रवि रावत अपनी खेती में हमेशा कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेते हैं. वह मानते हैं कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से ही उनकी खेती में सुधार आया है. कृषि वैज्ञानिकों से उन्होंने फसल चक्र, उर्वरक चयन, सिंचाई प्रणाली, और उपज की देखभाल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है. उनका मानना है कि किसानों को खुद को तकनीकी दृष्टिकोण से लगातार अपडेट रखना चाहिए ताकि वे समय के साथ बदलते कृषि परिदृश्य का सामना कर सकें और अपनी उपज में सुधार कर सकें.
आधुनिक खेती में लाभ और भविष्य की योजनाएं
रवि रावत का कहना है कि अगर किसानों को अपनी खेती से अधिक लाभ प्राप्त करना है, तो उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा. सब्जियों की एक बीघे में खेती से 1 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है, और कभी-कभी यह मुनाफा 2 लाख रुपये तक भी पहुंच सकता है. उनका उद्देश्य है कि वह न केवल अपने फार्म की उन्नति करें, बल्कि अन्य किसानों को भी इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें.
उनका मानना है कि कोई किसान अपने दृष्टिकोण को बदलता है, वैज्ञानिक सलाह को अपनाता है और नवीनतम कृषि तकनीकों का इस्तेमाल करता है, तो वह खेती को एक व्यवसाय बना सकता है. उनका व्यवसाय आज सालाना 50-75 लाख रुपये का टर्नओवर कर रहा है, जो उनके समर्पण और परिश्रम का परिणाम है.
प्रगतिशील किसान रवि रावत का इंटरव्यू देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें