मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के डुंगासरा गांव के 38 वर्षीय योगेश रघुवंशी आज एक सफल किसान और बागवानी विशेषज्ञ के रूप में पहचाने जाते हैं. एमबीए और बैंकिंग का करियर छोड़कर उन्होंने खेती में अपने पैतृक जड़ों की ओर लौटने का साहसिक कदम उठाया. टिकाऊ खेती और अभिनव तकनीकों के माध्यम से उन्होंने प्रति एकड़ 4 लाख रुपये का मुनाफा कमाकर न केवल आर्थिक सफलता पाई, बल्कि कृषि में नए आयाम भी स्थापित किए.
बता दें कि प्रगतिशील किसान योगेश रघुवंशी कृषि तकनीकों का उपयोग करके 50 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं और टिकाऊ कृषि में अपना अहम योगदान दे रहे हैं.
कॉरपोरेट जीवन को छोड़कर खेती की ओर रुख
2012 में एमबीए करने के बाद योगेश ने एक सरकारी बैंक में नौकरी शुरू की. मेहनत और लगन से 2017 तक उन्होंने प्रबंधक का पद हासिल कर लिया. लेकिन नौकरी के बावजूद उन्हें हमेशा अधूरापन महसूस होता रहा. वह प्रकृति के करीब रहकर काम करना और ग्रामीण समुदायों की भलाई के लिए कुछ करना चाहते थे. योगेश ने अपने सपने को साकार करने के लिए कॉरपोरेट जीवन को अलविदा कहा और खेती में अपने दादा द्वारा शुरू की गई विरासत को फिर से जीवित करने का निर्णय लिया. उनका मकसद न केवल खुद की आजीविका को मजबूत करना था, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देकर सामुदायिक विकास में योगदान देना भी था.
छोटी शुरुआत और चुनौतियों का सामना
2017 में योगेश ने सिर्फ एक फसल, टमाटर की खेती से शुरुआत की. शुरुआत में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. फसल में नुकसान और बाजार के उतार-चढ़ाव ने उनकी राह मुश्किल बना दी. लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी गलतियों से सीखा. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी खेती में शिमला मिर्च, मिर्च और अन्य बागवानी फसलों को शामिल किया. इसके साथ ही, उन्होंने अंतर-फसल पद्धति अपनाई, जिससे उनकी फसलों में विविधता आई और बाजार की अनिश्चितताओं का जोखिम कम हुआ.
अभिनव कृषि तकनीक और टिकाऊ खेती
योगेश ने खेती में उन्नत तकनीकों और अभिनव तरीकों का उपयोग किया. मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई और जैविक खाद के साथ उन्होंने पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ कृषि प्रणाली विकसित की. उन्होंने अपने खेत में सौर ऊर्जा का भी उपयोग शुरू किया, जिससे उनकी ऊर्जा लागत कम हुई और उत्पादन बढ़ा.
आर्थिक लाभ और सफलता
आज योगेश प्रति एकड़ 4 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. उनका खेती का मॉडल अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुका है. उनकी सफलता न केवल उनके कठिन परिश्रम का परिणाम है, बल्कि उनकी नई तकनीकों को अपनाने और बाजार के अनुसार रणनीतियां बनाने की उनकी क्षमता का भी प्रमाण है.
भविष्य की योजनाएं
आने वाले समय में योगेश अपनी खेती को 200 एकड़ तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. वह स्थानीय किसानों के साथ साझेदारी करके अमरूद और मोरिंगा जैसी उच्च-मूल्य वाली फसलों की खेती करना चाहते हैं. उनकी यह योजना न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी होगी, बल्कि स्थानीय किसानों को रोजगार और नए अवसर भी प्रदान करेगी.
मान्यता और सम्मान
योगेश के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. उन्हें अपने नवाचार और टिकाऊ खेती में योगदान के लिए प्रतिष्ठित एमएफओआई पुरस्कार से सम्मानित किया गया. कृषि संस्थान उन्हें अक्सर आमंत्रित करते हैं ताकि वे अपने अनुभव साझा करें और युवा किसानों को मार्गदर्शन दें.
किसानों के लिए प्रेरणा और संदेश
योगेश का मानना है कि खेती में सफलता के लिए नई तकनीकों और नवाचारों को अपनाना बेहद जरूरी है. वह किसानों को सलाह देते हैं कि वे बाजार की मांग और बदलते परिवेश के अनुसार अपनी खेती में बदलाव करें. उन्होंने विशेष रूप से किसानों को फसल विविधीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया. उनका कहना है कि एक ही फसल पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है. विविध फसलें न केवल आय के स्रोत को स्थिर बनाती हैं, बल्कि बाजार में किसी एक फसल की विफलता की स्थिति में किसानों को वित्तीय सुरक्षा भी देती हैं.
खेती केवल व्यवसाय नहीं, जीवन जीने का तरीका
योगेश के लिए खेती केवल आय का जरिया नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका है. उनका मानना है कि "नवाचार, स्थिरता और निरंतर सीखना" खेती के हर पहलू में महत्वपूर्ण है. उन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से अपनी खेती को एक संपन्न और मूल्य-आधारित उद्यम में बदल दिया है. योगेश रघुवंशी की कहानी यह साबित करती है कि अगर इंसान दृढ़ संकल्प और साहस के साथ मेहनत करे, तो वह न केवल अपने सपनों को साकार कर सकता है, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन सकता है.