Success Story: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव ब्लॉक के रहने वाले प्रगतिशील किसान मोतीलाल बंजारा पारंपरिक खेती से हटकर फूलों की खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं, और आज सालाना लगभग 18 लाख रुपये कमा रहे हैं. पहले वे धान, मूंगफली और दालों की खेती करते थे, जिससे ज्यादा मुनाफा नहीं होता था. लेकिन जब उन्होंने गेंदा फूल की खेती शुरू की, तो उनकी आमदनी में जबरदस्त वृद्धि हुई.
आज वे कोलकत्ती और लड्डू किस्म के गेंदे के फूलों के साथ-साथ अरुणा वैरायटी की ग्लेडियोलस भी उगाते हैं. त्योहारों के समय वे एक एकड़ से 15 दिनों में करीब 3 लाख रुपये कमाते हैं. हर चार से पांच महीने में फसल तैयार हो जाती है, जिससे वे साल में तीन से चार बार फूलों की खेती कर स्थिर आमदनी सुनिश्चित कर रहे हैं.
उनकी इस सफलता ने उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि वे अपने क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं. ऐसे में आइए प्रगतिशील किसान मोतीलाल बंजारा की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
परंपरागत खेती से आधुनिक फूलों की खेती तक का सफर
प्रगतिशील किसान मोतीलाल का परिवार पीढ़ियों से पारंपरिक खेती करता आ रहा था. उनके दादा और पिता मुख्य रूप से धान, मूंगफली और दालें उगाते थे, जो केवल परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए होती थी. लेकिन मोतीलाल ने खेती को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने का निर्णय लिया. उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की और फिर कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से आधुनिक खेती के तरीकों के बारे में जानकारी लेना शुरू किया. वहीं से उन्हें फूलों की खेती करने का विचार मिला.
मोतीलाल ने अपने शुरुआती दिनों में पारंपरिक खेती के साथ-साथ फूलों की खेती का भी ट्रेनिंग लिया. उन्होंने पहले त्योहारों के दौरान ही गेंदा फूल उगाना शुरू किया. हालांकि, यह मौसमी आय तक ही सीमित था और नियमित आय का जरिया नहीं बन पाया था.
फूलों की खेती की शुरुआत और विस्तार
2014 में, उन्होंने पहली बार त्योहारों के दौरान गेंदा फूल की खेती की. शुरुआत में उनका ध्यान केवल दीपावली और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के लिए फूल उगाने पर था. हालांकि, यह मौसमी खेती तक सीमित थी, जिससे उनकी आमदनी नियमित नहीं हो पाती थी.
चार साल तक उन्होंने इस खेती के बारे में बारीकी से सीखा और धीरे-धीरे फूलों की खेती के आधुनिक तरीकों को अपनाना शुरू किया. 2018 में, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर उन्होंने ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया, जिससे उनके फूलों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि हुई.
सालभर फूलों की खेती और बाजार में सफलता
मोतीलाल अब पूरे साल फूलों की खेती करते हैं, जिससे उनकी आय लगातार बनी रहती है. वे उच्च गुणवत्ता वाले पौधों का चुनाव करते हैं और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करते हैं. उनका मुख्य बाजार थोक व्यापारी हैं, लेकिन त्योहारों के दौरान वे सीधे खुदरा विक्रेताओं को भी फूल बेचते हैं, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा होता है. लड्डू किस्म का गेंदा सबसे ज्यादा बिकने वाला फूल है, जिसकी बाजार में काफी मांग रहती है.
मोतीलाल यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी फसल की गुणवत्ता बनी रहे, मिट्टी की नियमित जांच करवाते हैं. इससे उन्हें यह पता चलता है कि कौन-कौन से पोषक तत्व मिट्टी में मौजूद हैं और किनकी कमी है. वे उसी के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी फसल बेहतर होती है और बाजार में उनकी मांग अधिक रहती है.
तीन एकड़ में फूलों की जैविक खेती
वह वर्तमान में तीन एकड़ में फूल उगाते हैं, जिससे उन्हें सालाना करीब 18 लाख रुपये की आय होती है. वह गेंदे के अलावा पीले ग्लेडियोलस भी लगाते हैं, जिससे उनके फूलों का उत्पादन बढ़ता है. उनके पास एक छोटा सा किचन गार्डन है, जिसमें भिंडी, टमाटर और मिर्च जैसी सब्जियाँ हैं, इसके अलावा वह निजी इस्तेमाल के लिए फूलों की खेती भी करते हैं. इससे उन्हें 10,000-15,000 रुपये की अतिरिक्त आय होती है.
जैविक खेती और जल संरक्षण पर ध्यान
मोतीलाल अब जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. वे रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैविक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, जिससे उनके फूल अधिक प्राकृतिक और गुणवत्ता वाले होते हैं. इसके अलावा, वे ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग कर पानी की बचत भी कर रहे हैं. इससे उनकी फसल की उत्पादकता बढ़ी है और जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो रहा है.
जल संरक्षण और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए, उन्होंने अपने खेत में जल संचयन तकनीकों को भी अपनाया है. इससे न केवल उनकी खेती पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, बल्कि अन्य किसान भी उनके इन तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं.
भविष्य की योजनाएं और अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
मोतीलाल अपनी खेती को और विस्तार देना चाहते हैं और नए फूलों की किस्मों की खेती करने की योजना बना रहे हैं. वे अन्य किसानों को भी फूलों की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं. कई किसान उनसे खेती के गुर सीख रहे हैं और खुद भी फूलों की खेती शुरू कर रहे हैं.
उन्होंने अपनी खेती में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर यह साबित कर दिया है कि अगर सही तकनीक और मेहनत के साथ खेती की जाए, तो यह भी एक सफल और मुनाफेदार व्यवसाय बन सकता है.