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Updated on: 10 February, 2025 3:10 PM IST
मीना कुमारी ने उन्नत मक्का बीजों से हासिल की शानदार उपज

Success story of meena kumari: भारत में मक्का की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि इसका इस्तेमाल फूड, फीड और फ्यूल तीनों कार्यों के लिए हो रहा है. फ्यूल के लिए इसका इथेनॉल बन रहा है, जिसकी पेट्रोल में ब्लेंडिंग हो रही है. इथेनॉल और पोल्ट्री फीड के लिए मक्के की मांग बढ़ने की वजह से इसकी खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है. लेकिन कोई भी किसान अगर मक्के की खेती कर रहा है तो सबसे पहले उन्नत बीजों की व्यवस्था करे. ऐसा करने पर उत्पादकता बढ़ेगी, जिससे मुनाफे में वृद्धिर हो जाएगी. अच्छे बीजों की वजह से गुरदासपुर (पंजाब) के जांडी गांव निवासी मीना कुमारी नाम की किसान ने प्रति एकड़ 20 क्विंटल की उपज हासिल की, इसके विपरीत, स्थानीय किस्मों का उपयोग करने वाले क्षेत्र के दूसरे किसानों ने प्रति एकड़ केवल 12-14 क्विंटल की ही उपज ली. स्थानीय किस्मों और उन्नत किस्मों के बीजों की खेती में स्पष्ट अंतर देखने को मिला है. 

उन्नत बीजों से मिला बेहतरीन फायदा

गुरदासपुर के किसान मक्का की खेती के लिए लंबे समय से स्थानीय बीजों पर निर्भर रहे हैं, जबकि इसके अच्छे बीज उपलब्ध हैं. मीना कुमारी भी पारंपरिक बीज किस्मों पर निर्भर थी इसलिए खेती में लाभ बहुत नहीं मिलता था. हालांकि 2024 के खरीफ सीजन में भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) ने 'इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि' नामक प्रोजेक्ट के माध्यम से पायनियर बीजों का वितरण किया. इस पहल ने मक्के की खेती में बड़ा बदलाव किया. मीना कुमारी ने उन्नत बीजों को अपनाया और उन्हें इसका बंपर फायदा मि‍ला.

खेती से कैसे मिला बंपर रिटर्न

IIMR के नि‍देशक डॉ. हनुमान सहाय जाट ने बताया कि प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में, मीना कुमारी को 16 किलोग्राम पायनियर मक्का के बीज और एक इनपुट पैकेज दिया गया. जिसमें टाइनज़र, एट्राज़ीन और कोराजेन जैसे उन्नत कीटनाशक भी शामिल थे. इन संसाधनों को उपलब्ध कराने के अलावा प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों ने खेती की नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया. महिला किसान मीना कुमारी ने उचित अंतराल, सिंचाई मैनेजमेंट और इंटीग्रेटेड कीट नियंत्रण सहित खेती करने की अच्छी प्रेक्टिमस की जानकारी देने वाले प्रोजेक्ट के कार्यक्रमों में भाग लिया.

किसान समुदाय के लिए प्रेरणा

प्रोजेक्ट से जुड़े वरिष्ठ मक्का वैज्ञानिक एसएल जाट ने बताया कि स्थानीय किस्मों के साथ अपने पिछले अनुभवों के विपरीत, मीना कुमारी ने पायनियर मक्का बीज की 2 एकड़ के खेत में बुवाई की. प्रोजेक्ट के तहत मीना कुमारी के खेत को दूसरे किसानों के लिए एक मॉडल के तौर पर भी पेश किया गया जिससे वो उससे सीख सकें. दूसरे किसानों ने नियमित तौर पर उनका खेत देखा और पारंपरिक बीजों के मुकाबले खेती में परिवर्तन देखा. दूसरे किसानों ने स्थानीय बीजों का उपयोग करने वाले अपने खेतों के साथ मीना कुमारी के खेत की तुलना की. 

पायनियर मक्का बीज से उच्च उपज और गुणवत्ता

मीना कुमारी के प्रयासों के परिणाम बड़े परिवर्तनकारी थे. पायनियर बीजों का उपयोग करके, उन्होंने प्रति एकड़ 20 क्विंटल की उपज हासिल की, जो उनके 2 एकड़ के खेत से कुल 40 क्विंटल थी. इसके विपरीत, स्थानीय किस्मों का उपयोग करने वाले क्षेत्र के किसानों ने प्रति एकड़ केवल 12 से 14 क्विंटल की उपज की सूचना दी. मीना कुमारी के खेत में पैदा हुए मक्का की गुणवत्ता भी काफी बेहतर थी, एक समान दाने का आकार होने की वजह से बाजार में उसका अच्छा दाम मिला. मीना कुमारी की यात्रा का एक और पहलू यह है कि वो स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी हुई हैं. जिसमें उन्होंने अपनी खेती का अनुभव साझा किया. 

उन्नत बीजों से बढ़ी हुई आय

मीना कुमारी ने अपनी उपज राणा शुगर लिमिटेड को बेची, जिससे उन्हें अच्छी इनकम मिली. उन्हें 1,35,000 रुपये की इनकम हुई, जो पिछले सीज़न की तुलना में ज्यादा थी. इसके बाद उनके लगभग 15 पड़ोसी किसानों ने भी अगले सीज़न में पारंपरिक की बजाय उन्नत मक्का बीजों की बुवाई करने का फैसला लिया.

किसानों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत

असल में मीना कुमारी की सफलता की कहानी उनके व्यक्तिगत लाभ से कहीं आगे भी जाती है क्योंकि उनकी खेती को मॉडल के तौर पर दूसरे किसानों ने भी देखा है. बाकी किसानों के लिए भी यह एक सीख है कि किस तरह उन्नत बीजों के माध्यम से मुनाफा बढ़ाया जा सकता है.

English Summary: Success story meena kumari achieved excellent yield with advanced corn seeds inspiration for farmers
Published on: 10 February 2025, 03:14 PM IST

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