बिहार के भागलपुर (Bhagalpur, Bihar) जिले के रहने वाले एक युवा किसान ने स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) कर नई सफलता कमाई है. पारम्परिक फसलों की खेती में हो रहे गिरावट को देखते हुए यह युवा किसान कुछ नया करने की चाहत रखता था. दरअसल, गोभी, मक्का और केले की खेती में कम मुनाफा होने के कारण वह कुछ नया करने की सोच रहे थे.
इस दौरान उस्मानपुर निवासी खगेश मंडल (KhageshMandal, Osmanabad) ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agricultural University) के सहयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी. खगेश ने शुरुआती दौर में स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) पांच सौ से भी कम पौधों से शुरू की थी, लेकिन आज उनके आसपास की बाईस एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू हो गई है.
यूट्यूब देखकर शुरू की खेती (Started farming by watching YouTube)
खास बात तो यह है कि खगेश ने यूट्यूब देखकर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी. अब इस काम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी उनकी मदद कर रहे हैं. युवा किसान खगेश (YuvaKisanKhagesh) का मानना है कि इस फल की खेती के लिए यहां की जमीन काफी अनुकूल है. साथ ही कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
ड्रिप सिंचाई की आधुनिक तकनीक का करते हैं इस्तेमाल (Use of modern technology of drip irrigation)
खगेश जुगाड़ से खेतों में ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) कर रहे हैं. इसके लिए पांच फीट की ऊंचाई पर दो सौ लीटर का ड्रम रखा जाता है. आधा एचपी की मोटर से पानी ड्रम में जाता है और ड्रम का पानी पाइप के जरिए खेत में जाता है. प्रयोग के तौर पर हम 20 हजार रुपए खर्च कर ड्रिप इरिगेशन से खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ड्रिप सिंचाई के लिए बागवानी विभाग (Horticulture Department) का सहयोग लिया जाएगा.
स्ट्रॉबेरी की होती ऑनलाइन बिक्री (Online sale of strawberries)
खगेश उत्पादित स्ट्रॉबेरी को ऑनलाइन भी बेच रहे हैं. जहां तीन सौ रुपए प्रति किलो लोग स्ट्रॉबेरी खरीदते हैं. ऑनलाइन बिक्री के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है. इस ग्रुप पर खेतों से लेकर उत्पादों और पैकेजिंग तक की तस्वीरें शेयर की जाती हैं. जो लोग हमारे उत्पादों को पसंद करते हैं वे फोन लाइन पर हमसे जुड़ते हैं. लोकेशन मिलते ही हम स्ट्रॉबेरी उनके घर भेज देते हैं.
दूसरे किसानों को मिला प्रोत्साहन (Other farmers got encouragement)
वर्तमान में स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) को लेकर स्थानीय किसानों का नजरिया बदल रहा है. आज अन्य किसान भी इसकी खेती के लिए उत्साहित हैं. पारंपरिक खेती से किसानों का रुझान अब नवाचारों की ओर बढ़ रहा है. इसके साथ ही स्ट्रॉबेरी सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है क्योंकि यह कई जानलेवा बीमारियों के लिए प्रतिरोधी होती है और साथ ही अच्छा मुनाफा भी देती है.
पुणे से लाये थे स्ट्रॉबेरी के पौधे (Strawberry plants were brought from Mahabaleshwar, Pune)
2018 में खगेश ने अपने सहयोगी किसान के साथ पुणे के महाबलेश्वर (Mahabaleshwar, Pune) से 7,000 पौधे लाए और उसे आधा एकड़ में लगाया था. एक पौधा 15 रुपये में खरीदा गया था. खास बात तो यह है कि पहले साल में ही अच्छी फसल हुई थी.
क्या है फ्यूचर प्लानिंग (What is future planning)
खगेश मंडल ने खेतों में पपीते (Papaya Farming) के पौधे भी लगाए हैं. बता दें कि खगेश पपीते के पौधे खुद तैयार करते हैं और इन्हें इस साल पपीते से अच्छी आमदनी की उम्मीद है.