बहुत मशहूर शायरी है कि “पंखों से कुछ नही होता, हौंसलों से उड़ान होती है.” आज हम हौंसले की ऐसी ही एक कहानी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसकी नायिका उमंग श्रीधर है. छोटी सी उम्र में ही अलग और बड़े सपने देखने वाली उमंग अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत देश के टॉप-50 सोशल वर्कस की सूची में शामिल हो गई हैं.भोपाल की रहने वाली उमंग खादी और हैंडलूम संस्कृति की धरोहर को बचाते हुए फ़ैब्रिक तैयार करने का काम करती है. आम तौर पर खादी को घाटे का सौदा माना जाता है, लेकिन इस सोच को उमंग ने गलत साबित करते हुए व्यापार को कामयाबी की शिखर तक पहुंचाया है. आज उनकी बदौलत कई राज्यों के लोगों को रोजगार मिल रहा है.
चरखे पर कामयाब रहा प्रयोग
उमंग ने समय की मांग को देखते हुए चरखे पर प्रयोग करने का सोचा, आखिरकार उन्हें कामयाबी मिल ही गई. चरखे को डिजिटल फॉर्म में बदलने का उपाय लाभदायक साबित हुआ.
जैविक कचरे से तैयार करती है फाइबर
उमंग कोई ऐसा काम ही करना चाहती थी, जो पर्यावरण के अनुकूल हो. आज वो अपने उत्पादों को बनाने के लिए ऑर्गेनिक कॉटन का उपयोग करती है. जानकारी के मुताबिक वो बांस और सोयाबीन आदि के कचरों का उपयोग फाइबर बनाने के लिए करती हैं.
हर साल होता है 60 लाख का टर्नओवर
30 हजार रूपए से इस काम को शुरू करने वाली उमंग आज हर साल 60 लाख का टर्नओवर कमाती है. आज वो रिलायंस और बिरला जैसी कंपनियों के लिए भी
लॉकडाउन में काम आ रही है खादी
कोरोना के कहर से लड़ने में खादी से बने मास्क उपयोगी साबित हो रहे हैं. लॉकडाउन में उमंग खादी के मास्क तैयार कर देश की सेवा कर रही है. इस काम से हजारों लोगों को लॉकडाउन में भी रोजगार मिल रहा है.
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