सरकारी सब्सिडी के साथ करें इलायची की खेती, हर महीने कमाएं लाखों, जानें पूरी डिटेल जायटॉनिक एक्टिव से पाएं रासायनिक दवाओं की बेहतर गुणवत्ता और लंबा असर! वैश्विक मंच पर फिर गूंजेगी बस्तर की आवाज़: रूस यात्रा पर डॉ. त्रिपाठी किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 5 May, 2023 10:20 AM IST
महिला शहद उत्पादक की कहानी

पंजाब की भठिंडा जिले के भोडी पुरा गांव की रहने वाली स्वर्णजीत कौर बराड़ ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत की और वह आज अपने गांव के लोगों के लिए एक मिसाल बन गई हैं. स्वर्णजीत ने मधुमक्खी पालन शुरु करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लिया और एक सफल मधुमक्खी पालक बन गईं.

कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में आने से पहले स्वर्णजीत कौर घर का काम करती थी, इनका परिवार कृषि से जुड़ा हुआ था. लेकिन जमीन की कमी के कारण अकेले कृषि से होने वाली आय से परिवार की जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं था. इसलिए स्वर्णजीत कौर कुछ ऐसा करना चाहती थीं जिससे परिवार की आमदनी बढ़े.

कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 8 साल पहले तीन बक्सों से मधुमक्खी पालन शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिलहाल इस समय उनके पास 150 से ज्यादा बॉक्स हैं. शहद की बिक्री के लिए उन्हें किसी खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. उनके द्वारा उत्पादित सारा शहद भोडीपुरा गांव और आसपास के गांवों में बेचा जाता है. उनकी इच्छा इस काम को और आगे बढ़ाने की है और इसलिए वह इस पेशे की और बारीकियां को सीख रही हैं. उनका बिना ब्रांड वाला शहद 300-350 रुपये किलो बिक रहा है.

केवीके के विशेषज्ञों ने उन्हें अपना शहद एक ब्रांड के तहत बेचने की सलाह दी जिससे उनकी आय में और वृद्धि हुई. स्वर्णजीत कौर बताती हैं कि जब उन्होंने इस पेशे की शुरुआत की थी तब उनकी कमाई पंद्रह सौ रुपये प्रति माह थी, फिर उन्होंने बाद में शहद को बड़े करीने से पैक करके बेचना शुरू कर दिया, जिससे उन्हें अपने उत्पादों की अधिक कीमत मिली और उनका मुनाफा भी बढ़ता चला गया. स्वर्णजीत कौर ने न केवल अपने परिवार को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया बल्कि अपने आसपास की महिलाओं को भी इस काम के लिए हमेशा प्रेरित किया.

ये भी पढ़ें: तरबूज की खेती ने बदली किस्मत, इस किसान ने की लाखों की कमाई

स्वर्णजीत कौर जैसी महिलाएं आज समाज की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो अपने परिवार की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने में विश्वास रखती हैं. स्वर्णजीत कौर की सफलता की कहानी गांव के अन्य लोग खासकर छोटे किसानों को अपनी मेहनत से अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करती है.

English Summary: Punjab's enterprising women honey producer has become a source of inspiration
Published on: 05 May 2023, 10:24 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now