Progressive Farmer: खेती ने देश के कई किसानों की किस्मत बदली है. आज हमारे देश में ऐसे कई किसान हैं, जो खेती-बाड़ी से हर साल लाखों की कमाई कर रहे हैं. इसी क्रम में आज हम ऐसे ही एक किसान की जानकारी लेकर आए हैं, जो सालाना कम से कम 18 लाख रुपये की कमाई करते हैं. यह राजस्थान के जैसलमेर जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान नारायण सिंह हैं. यह पिछले 6-7 सालों से खेती से जुड़े हुए हैं. नारायण सिंह के पास खुद की 100 बीघा जमीन है, लेकिन यह 500-600 बीघा जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं. यह अपने खेतों में जीरा और ईसबगोल की खेती करते हैं. वहीं, किसान नारायण सिंह ने बताया कि जीरा की खेती यह करीब 500 बीघा में करते हैं. इनके खेत में जीरा की फसल 6 महीने का है. बाकी के शेष महीने में इनके खेतों में बारिश का पानी भर जाता है, जिसके चलते यह अपने खेत में सिर्फ 6 महीने तक ही खेती कर पाते हैं. क्योंकि हमारे क्षेत्र ताल वाले इलाके में आता है.
इसके अलावा नारायण सिंह ने कहा कि मैंने अपनी खेती के लिए फिलहाल बीच का रास्ता यानी जैविक खाद के अलावा रासायनिक खाद भी डालते हैं, क्योंकि इसमें लागत व समय दोनों की बचत होती है.
जीरा और ईसबगोल की उपज से किसान की हो रही लाखों की कमाई
अगर उपज की मंडीकरण की बात करें, तो किसान नारायण सिंह के अनुसार, वह अपनी उपज को मार्केट में सीधे तौर पर बेच देते हैं. लेकिन कभी-कभी ITC वाले भी उपज को खेत पर आकर उचित रेट पर खरीदकर ले जाते हैं. किसान नारायण के मुताबिक, फिलहाल उनके क्षेत्र में जीरा की कीमत 600 रुपये प्रति किलो तक है. वह एक बीघा खेत से करीब 70-80 क्विंटल तक जीरा का उत्पादन प्राप्त करते हैं. वही, ईसबगोल की उपज एक बीघा में 2 क्विंटल तक मिलती है, जिसे 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कंपनियों को बेचे देते हैं. इन दोनों ही फसलों से नारायण सिंह लाखों की कमाई सरलता से हर महीने कर लेते हैं.
अगर लागत और मुनाफे की बात करें, तो किसान नारायण सिंह ने बताया कि जीरा की 100 बीघा फसल की लागत लगभग 3-4 लाख रुपये आती है. आगे उन्होंने बताया कि वह 100 बीघा से सालाना मुनाफा 15-18 लाख रुपये प्राप्त कर लेते हैं.
खेत में रासायनिक खादों का इस्तेमाल किसान कम करें
कृषि जागरण के माध्यम से किसान नारायण सिंह ने कहा कि किसान अपने खेत में रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम करें. किसान अपनी फसलों में जहर वाली चीजों का इस्तेमाल न करें. ऐसा करने से किसानों को भविष्य में काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
उनके कहने का मतलब था कि किसान अगर अपने खेत में जैविक तरीके से खेती करते हैं, तो वह अपनी लागत व समय दोनों को कम कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और जो खेती 10 साल तक होती है उसे वह 20 सालों तक आराम से कर सकते हैं.