Success Story : आज हम आपको ऐसे किसान के बारे में बताएंगे, जो रासायनिक और जैविक तरीके से खेती करके सालाना लाखों की कमाई आराम से कर रहे हैं. जिस किसान की हम बात कर रहे हैं, वह प्रगतिशील किसान कुम्प सिंह है. जोकि गांव-बरमसर, जिला जैसलमेर, राजस्थान के रहने वाले हैं. वहीं, कुम्प सिंह बचपन से ही खेती करते आ रहे हैं. अगर शिक्षा की बात करें तो कुंप सिंह ने स्नातक किया है. उन्होंने बताया कि हमारे पूरे परिवार के पास कुल मिलाकर 350 बीघा तक जमीन है जिसमें वह सीजन के अनुसार खेती करते हैं. किसान कुम्प सिंह ने बताया कि वह बारिश के मौसम में ज्वार, मूंग, बाजरा आदि फसलों की खेती करते हैं. इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि वह खेत में काली सरसों, ईसबगोल और जीरा की भी खेती करते हैं.
जैविक खेती से बढ़ेगी आमदनी
कुम्प सिंह के अनुसार वह अपने खेत के लगभग 70 प्रतिशत जमीन पर सिर्फ जीरा की खेती/ Cumin Cultivation करते हैं और अन्य खेत पर बाकी सभी फसलों की खेती लगभग समान करते हैं. जैसे कि 20 प्रतिशत में ईसबगोल और 10 प्रतिशत हिस्से में सरसों की खेती करते हैं. इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि वह अपने खेत में पहले रासायनिक तरीकों से खेती/ Farming by Chemical Methods किया करते थे, लेकिन अब वह धीरे-धीरे जैविक खेती/ Organic farming की तरफ अपना कदम बढ़ा रहे हैं. क्योंकि इससे उपज बढ़ती है और साथ ही लागत भी कम लगती है.
साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी प्रति बीघा जीरा की उपज 70 किलो तक आराम से हो जाती है. वर्तमान में उनके क्षेत्र जीरे के दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल है. वहीं, यह भी बताया कि उनके खेत से ईसबगोल की उपज प्रति बीघा एक से डेढ़ क्विंटल तक मिल जाती है, जिससे लगभग 24 हजार रुपये तक आमदनी हो जाती है. वहीं, उन्होंने बताया कि जीरे की खेती में लागत काफी अधिक लगती है और ईसबगोल में लागत/ Cost in Isabgol जीरे से थोड़ी कम आती है.
अगर मंडीकरण की बात करें, तो किसान कुम्प सिंह के अनुसार उनकी उपज को खरीदने के लिए कंपनी वाले खुद खेत पर आकर उचित दाम देकर लेकर जाते हैं. उन्हें अपनी फसल के सही दाम के लिए मार्केट में नहीं भटकना पड़ता है. लेकिन इसके लिए उन्हें पहले कंपनी को अपनी फसल का एक सैंपल भेजना होता है. अगर वह पास हो जाता है, तभी कंपनी वाले उनके पास उपज खरीदने के लिए आते हैं.
किसान केंचुआ खाद और घरेलू खादों का करें इस्तेमाल
किसान कुम्प सिंह ने कृषि जागरण के माध्यम से कहा कि देश के किसान जैविक खेती की तरफ आगे बढ़ें. जितना हो सके अपने खेत में केंचुआ खाद और साथ ही घरेलू खादों का इस्तेमाल सबसे अधिक करें. क्योंकि इसके उपयोग से फसल अच्छे से विकसित होती है और साथ ही बाजार में भी उचित दाम सरलता से किसान को मिल जाता है.