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Updated on: 8 January, 2024 12:06 PM IST
प्रगतिशील किसान दिनेश चौहान.

Success Story: मौजदा वक्त में हमारे देश में बहुत सारे ऐसे किसान हैं, जो आधुनिक तरीके से खेती कर शानदार मुनाफा कमा रहे हैं. उन्हीं किसानों में से एक है प्रगतिशील किसान दिनेश चौहान, जो हरियाणा के सोनीपत जिले के मनौली गांव के रहने वाले हैं. दिनेश चौहान के अनुसार, उनके गांव को स्वीट कॉर्न विलेज के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उनके गांव में ज्यादातर किसान स्वीट कॉर्न की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि वह आधुनिक तरीके से खेती कर सालाना अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वह साल 1996 से कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और खेती-किसानी से ही अपनी जीविका चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास खेती योग्य 30 एकड़ भूमि है, जिस पर वह खेती करते हैं.

दिनेश चौहान ने बताया कि उन्होंने 1998 में स्ट्रॉबेरी की खेती से शुरुआत की थी. उससे पहले वह पारंपरिक तौर पर उगाए जाने वाली फसलें, जैसे- गेहूं, मक्का और गन्ने की खेती किया करते थे. लेकिन, 1998 में उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. क्योंकि, वह खेती को एक नए मुकाम पर ले जाना चाहते थे. उन्होंने बताया उस दौर में लोग खेती को छोटी दृष्टि से देखा करते थे. किसानी को बहुत ही छोटा दर्ज दिया जाता था और पढ़े-लिखे युवा इस ओर नहीं आकर, नौकरियों की तरफ भागते थे। जबकि इसमें काफी स्कोप था. जिसके बाद उन्होंने इस नजरिए को बदलने की सोची और आधुनिक तरीके से खेती शुरू की.

स्वीट कॉर्न की खेती ने दिलाई पहचान

प्रगतिशील किसान दिनेश चौहान ने बताया कि उन्होंने धीरे-धीरे धान और गेहूं की खेती कम की, और स्ट्रॉबेरी के खेती पर ज्यादा जोर दिया. उन्होंने बताया कि उस समय किसान स्ट्रॉबेरी के खेती या उससे जुड़ी तकनीकों के बारे में नहीं जानते थे. लेकिन, धीरे-धीरे कुछ किसान उनके साथ जुड़े और उन्होंने सभी को इसकी खेती सिखाई. इसके कुछ सालों बाद उन्होंने बेबी कॉर्न या स्वीट कॉर्न की खेती शुरू की, जो इतनी सफल रही है की आज उनका गांव देश भर में स्वीट कॉर्न विलेज के नाम से जाना जाता है और गांव के किसानों इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि वह 2001 से स्वीट कॉर्न की खेती कर रहे हैं, जब देश में लोग इसके बारे ज्यादा नहीं जानते थे. उन्होंने कहा कि शुरुआती समय में लोग इसे अमेरिकन कॉर्न समझ कर खाते थे और लोगों को काफी बाद में जाकर इस बात का पता चला की ये अमेरिका नहीं अपने ही देश के एक गांव में उगाई जा रही है. उन्होंने बताया कि शुरुआती समय में स्वीट कॉर्न की खेती के दौरान उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लोग न इसके बारे में ज्यादा जानते थे और न ही इसका बाजार था. लेकिन, धीरे-धीरे उन्होंने मंडियो में अपनी उपज भेजनी शुरू की, लोगों को इसके बारे में बताया और आज वह इसके जरिए सालाना अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

वरदान साबित हुए लोगों से बोले झूठ

उन्होंने बताया कि शुरुआती समय में उन्होंने स्वीट कॉर्न की खेती के संबंध में लोगों से कई झूठ भी बोले कि इसकी खेती काफी अच्छी होती है. लेकिन, वही झूठ आज उनके लिए वरदान साबित हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनके आसपास के क्षेत्र के किसान भी आज अन्य फसलों की खेती को छोड़कर स्वीट कॉर्न की खेती कर रहे हैं। अकेले उन्हीं के गांव में 60 से 70 प्रतिशत किसान सिर्फ स्वीट कॉर्न की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा, उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती भी जारी रखी, जो आज भी चल रही है.

दिनेश चौहान ने बताया कि स्वीट कॉर्न में सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने तकनीकी खेती की ओर रुख किया और पॉली हाउस लगाकर खेती शुरू की. उन्होंने बताया कि हरियाणा में उन्होंने ने ही सबसे पहले पॉली हाउस के जरिए खेती शुरु की थी, जो शुरुआती चरणों में फेल रही. जिसके बाद कई अन्य किसानों ने निराश होकर अपने पॉलीहाउस कर बंद दिए. लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और वे इसमें डटे रहे. उन्होंने कई सालों तक इसमें संघर्ष किया और इजराइल-स्पेन जैसे देशों के किसानों से जुड़े रहे, जो तकनीकी खेती कर रहे थे. बदलते वक्त के साथ इसे आय के एक बड़े स्तर पर ले गए. जिसके जरिए वह आज अच्छी कमाई कर रहे हैं.

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किसान रत्न पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित

उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे अन्य किसानों और खासकर युवाओं का रुझान भी इस ओर बढ़ा और आज कई पढ़े-लिखे और IIT ग्रेजुएट युवा भी आज खेती से जुड़ रहे हैं. जिसे देखकर उन्हें बेहद खुशी होती है. उन्हें लगता है की वे जिस नजरिए को बदलना चाहते थे, अब वह काफी हद तक बदला चुका है. उन्होंने बताया कि खेती में अपने योगदान के लिए उन्हें 2011 में हरियाणा किसान रत्न पुरस्कार भी मिला था.

मार्केट डिमांड के हिसाब से करते हैं उत्पादन

उन्होंने बताया कि वह कई तरह की फसलों को उगाते हैं, जिसमें मुख्य तौर पर स्ट्रॉबेरी और स्वीट कॉर्न शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वह अपनी आधे से ज्यादा जमीन पर स्वीट कॉर्न की खेती करते हैं, जबकि बची हुए आधी जमीन पर पॉलीहाउस के जरिए बागवानी करते हैं. उन्होंने बताया कि वह कई अन्य तरह की ज्यादा कीमत वाली फसलों की भी खेती करते हैं. सीजन के हिसाब से कई सब्जियां भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वह मार्केट डिमांड के हिसाब से फसलों को उत्पादन करते हैं और हर तरह की सब्जियां उगाते हैं, जिनकी मंडियों में डिमांड रहती है. खेती की इस यात्रा में उन पर ये लाइन पूरी तरह फिट बैठती है की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन्होंने अपनी फसलों के मंडीकरण के लिए बाजार बना लिया. उन्होंने बताया कि वह मुख्यतौर पर अब मंडियों के जरिए ही अपनी फसलों की बिक्री करते हैं.

सालाना 40 लाख रुपये तक की कमाई

अगर लागत और मुनाफे की बात करें, तो स्वीट कॉर्न की एक एकड़ की खेती से लगभग 25 से 30 हजार रुपये का खर्चा आ जाता है. जिससे वह प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख रुपये तक मुनाफा कमा लेते हैं. इसके अलावा, खेती में उन्हें हरियाणा सरकार की योजनाओं और कृषि व बागवानी विभाग की भी मदद मिलती रहती है. इस हिसाब से देखें तो वे सालाना 40 लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. वहीं, कृषि जागरण के जरिए उन्होंने अन्य किसानों को ये संदेश दिया की वे भी तकनीकी खेती से जुड़कर अपनी आर्थिकी स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। इसके लिए वह अपने ही क्षेत्र को देखें और पता करें कि वहां पर लोग क्या खाते हैं और मंडियों में किस चीज की डिमांड ज्यादा रहती है और उसी पर फोकस करके खेती करें.

English Summary: Progressive farmer Dinesh Chauhan is earning more than 40 lakh rupees annually by cultivating sweet corn strawberries and vegetables
Published on: 08 January 2024, 12:07 PM IST

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