किसान आज ऑर्गेनिक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने पर जोर दे रहे है। इसी कड़ी में हरियाणा के फर्कपुर निवासी कृष्णलाल ने अपने घर की छत पर सब्जियां उगाकर असंभव कार्य को संभव कर दिया है। कृष्णलाल बताते हैं कि वह रेलवे में थे, सेवानिवृत्ति के बाद वह बिल्कुल भी आराम से नहीं बैठे हैं। उन्होंने लगातार कार्य के प्रति अपनी साकारात्मक सोच को आगे बनाए रखा है। उन्होनें जगह की कमी के चलते 150 गज मकान की छत पर बागवानी कर हरियाली कर दी है। घर में जो सब्जी तैयार हो रही है उससे ना केवल उनको बल्कि पडोसियों को भी फायदा होता है।
तीन साल पहले का प्रयोग सफल
कृष्ण लाल बताते है कि उन्होनें छत पर गमलों में हरी मिर्च, काला बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, मूली, कई तरह के टामटर, धनिया, पुदीना, लहसुन, गाजर उगाई हुई है। इसके अलावा मसालों के लिए इलायची, काली मिर्च, व विदेशी पेड़ को तैयार कर रहे है। इसके अलावा सुंदरता के लिए कई गमलों में सजावटी पौधे और फूल भी लगे हुए है। कृष्णलाल कहते है कि वह बचपन से ही प्रकृति प्रेमी है। वे कहते है कि उन्होंने अपने घर की छत पर तीन साल पहले कुछ सब्जियों को उगाने का प्रयास किया था जिसका प्रयोग बाद में सफल हो गया ।
लोगों को कर रहे सब्जी उगाने हेतु जागरूक
कृष्ण लाल का कहना है कि पहले लोग उनका इस तरह के कार्य करने पर काफी मजाक उड़ाते थे। छत पर सब्जी और फलों की पैदावार शुरू हो जाने पर वे अब लोगों को इसी तरह से छत पर पेड़ लगाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। वह अपने जानकारों को छत पर तैयार हुई बिना खाद वाली सब्जियां और फल भेजते है। इसके साथ ही इस कार्य के लिए वह लोगों को जागरूक कर रहे है। उनका कहना है कि सभी लोग आज इस तरह से प्रयास करें तो प्रदूषण को फैलने से रोका जा सकता है। उनका कहना है कि आज इंडस्ट्री के बढ़ने से प्रदूषण बढ़ा है जिसके चलते मानव के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
छत पर खेती करने के लिए मिला ईनाम
उन्होंने गमले के अलावा प्लास्टिक के ट्रम में पेड़ व सब्जियों को लगाया हुआ है। वे मिट्टी के साथ केंचुए की खाद का भी प्रयोग करते है। बिना रासायनिक खाद के भी काफी अच्छी पैदावार हो रही है। ऐसा करने से एक साल में आठ से दस हजार रूपये की बचत होगी। उनको सब्जी और फल उगाने के लिए जिला स्तरीय प्रतियोगिता में कई इनाम भी मिल चुके है।
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण