Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 21 April, 2020 5:40 PM IST

एक तरफ लगातार खेत-खलिहानों में कीटनाशकों और रासायनिक खादों के प्रयोग से भूमि जहरीली होती जा रही है, तो वहीं समाज में कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. लेकिन हमारे ही देश में किसानों का एक वर्ग ऐसा भी है, जो हर हाल में जैविक खेती करना चाहता है. इन किसानों को मुनाफे से अधिक चिंता लोगों के स्वास्थय की है.

हिमाचल प्रदेश के शिमला में ऐसा ही एक गांव है, जिसका नाम है पंजयाणु. इस गांव की सबसे खास बात ये है कि यहां हर किसान सौ प्रतिशत प्राकृतिक खेती ही करता है. आज के समय मे यहां लगभग 40 बीघा जमीन पर संपूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती की जा रही है. आपको जानकार हैरानी होगी, लेकिन यहां जैविक खेती को बढ़ावा देने में किसी सरकार से अधिक योगदान महिलाओं का है.

महिलाओं ने जलाई अलख

स्थानीय लोगों के मुताबिक आज गांव और आस-पास के सभी क्षेत्रों किसानों को प्राकृतिक खेती से लाभ हो रहा है. लेकिन ये गांव हमेशा से प्राकृतिक खेती नहीं करता आया था. लोगों को इस ओर मोड़ने की अलख गांव की निवासी लीना ने जगाई थी. आज उनका यह प्रयास राज्य के लिए किसी उदाहरण की तरह प्रसतुत किया जाता है.

ऐसे होता है काम

इस क्षेत्र की सभी महिलाएं खेत खलिहान और घर के कामकाज से मुक्त होने के बाद एक जगह इकट्ठा हो जाती है. यहां वो अपनी-अपनी गाय के गोबर और मूत्र, जड़ी-बूटियों की पत्तियां आदि एकत्रित करती है. इन सभी को मिलाकर जीवामृत, घनजीवामृत और अग्निअस्त्र जैसी दवाईयों का निर्माण किया जाता है.

रंग ला रहा है प्रयास

महिलाओं के इस प्रयास से किसानों को दुगना मुनाफा हो रहा है. एक तरफ तो उत्पादन बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ खाद, केमिकल स्प्रे और दवाईयों के पैसे बच रहे हैं. ऐसी खेती से प्रकृति और खुद किसानों के खेतों को भी किसी तरह की हानि नहीं हो रही है.

3 हजार किसान कर रहे हैं प्राकृतिक खेती

आज के समय में इस गांव को देखते हुए जिले के 3 हजार से अधिक किसान शून्य लागत में प्राकृतिक खेती कर अपना घर चला रहे हैं. जहर मुक्त खेती से जहां एक तरफ क्षेत्र भंयकर बीमारियों से बच रहा है, वहीं किसानों को विशेष पहचान भी मिल रही है. परलागत पर कोई खर्चा नहीं आ रहा है, जिस कारण बचत का पैसा मिश्रित पैदावार में काम आ रहा है.

English Summary: more than 3 thousand farmers earn profit by organic farming know more about it
Published on: 21 April 2020, 05:42 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now