हरियाणा के पलवल जिले के झज्जर तहसील के निवासी रमेश चौहान का नाम आज हरियाणा के अग्रणी किसानों में शामिल किया जाता है. उनकी कृषि यात्रा की शुरुआत 1978 में हुई थी, जब उन्होंने खेती के क्षेत्र में कदम रखा. प्रारंभ में, रमेश चौहान परंपरागत फसलों की खेती करते थे, लेकिन 1998 में उन्होंने मेन्था (जापानी पुदीना) की बड़े पैमाने पर खेती शुरू की. मेन्था की खेती के बाद, रमेश चौहान ने धान और गन्ने की खेती की ओर कदम बढ़ाया, लेकिन समय के साथ उन्होंने धान की खेती को छोड़कर स्वीट कॉर्न और सब्जियों की खेती करने का निर्णय लिया. इस बदलाव के पीछे उनकी सोच थी कि स्वीट कॉर्न और सब्जियों की खेती से बेहतर लाभ मिल सकता है और बाजार में इनकी मांग भी अधिक है.
आज के समय में, रमेश चौहान अपनी चार एकड़ की जमीन पर स्वीट कॉर्न और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. पिछले दो वर्षों से उन्होंने स्वीट कॉर्न की खेती पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है. उनका खेती का तरीका भी अनूठा है; वे एक ही खेत में साल में दो बार स्वीट कॉर्न की फसल लेते हैं और एक बार गेहूं की फसल उगाते हैं.
हालांकि, वर्तमान में रमेश चौहान ने गेहूं की खेती को छोड़कर सर्दियों में खीरा और बटरनट स्क्वैश की खेती करने का विचार किया है. बटर नट की कीमत 800 से 1000 रुपये प्रति किलो तक होती है और इसकी खेती के लिए विशेष संरक्षण की आवश्यकता नहीं होती. बटरनट स्क्वैश खुले में भी उग सकता है, जिससे यह खेती करना और भी सरल हो जाता है.
स्वीट कॉर्न की खेती से मिली नई दिशा
स्वीट कॉर्न की खेती ने प्रगतिशील किसान रमेश चौहान को एक नई दिशा दी है. पिछले वर्ष उन्होंने अपनी उपज को आजादपुर मंडी में बेचना शुरू किया, और वहां अच्छा भाव मिलने के बाद उन्होंने अपनी खेती का दायरा बढ़ा लिया है. वर्तमान में, वे तीन एकड़ में स्वीट कॉर्न की खेती कर रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि पलवल मंडी में पिछले साल उनकी उपज की खपत प्रतिदिन दो से ढाई क्विंटल थी, लेकिन अब यह खपत 8 से 10 क्विंटल तक पहुंच गई है. बाजार में स्वीट कॉर्न की मांग तेजी से बढ़ रही है, और वे प्रतिदिन मंडी में पांच क्विंटल स्वीट कॉर्न ले जाते हैं, जो 20 से 25 मिनट के अंदर बिक जाता है.
स्वीट कॉर्न की खेती में लागत और मुनाफा
प्रगतिशील किसान रमेश चौहान ने लागत और मुनाफा के बारे में बताते हुए कहा कि वे एक किलो स्वीट कॉर्न को मंडी में 15 रुपये में बेचते हैं. यदि मार्केट में उन्हें पूरी फसल का भाव 15 रुपये किलो मिलता है, तो एक एकड़ में एक फसल से उन्हें 1 लाख 5 हजार रुपये प्राप्त होते हैं. इसमें 20 हजार रुपये लागत आती है, जिससे 70 दिनों में उन्हें 75 से 80 हजार रुपये का लाभ होता है. इसके विपरीत, जब उन्होंने अपने आधे एकड़ स्वीट कॉर्न को मंडी में 22 से 25 रुपये प्रति किलो बेचा, तो आधे एकड़ में 70 दिनों में 80 हजार रुपये की फसल बेची. इस प्रकार, एक एकड़ में 1 लाख 50 हजार रुपये की फसल बेचा जा सकता है.
भविष्य की योजना
भविष्य की योजनाओं के बारे में प्रगतिशील किसान रमेश चौहान ने बताया कि उन्होंने एक कंपनी से संपर्क किया है, जहां उन्हें फ्रोजन उत्पाद के बारे में जानकारी मिली है. कंपनी ने उन्हें बताया है कि सरकार से सब्सिडी पर मशीन मिलती है, जिसका उपयोग करके वे पैकिंग कर सकते हैं और फ्रोजन उत्पाद बना सकते हैं. इस योजना से वे अपनी खेती का दायरा और बढ़ाने का विचार कर रहे हैं.
पुरस्कार और सम्मान
प्रगतिशील किसान रमेश चौहान ने बताया कि उनके उत्कृष्ट कृषि कार्य के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. जब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने उनको 51 हजार रुपये का पुरस्कार और प्रोग्रेसिव फार्मर का अवार्ड दिया था. यह पुरस्कार मेन्था की खेती के लिए मिला था. इसके अतिरिक्त, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से भी उन्हें दो बार प्रोग्रेसिव फार्मर का अवार्ड मिल चुका है.
जैविक खेती की ओर कदम
प्रगतिशील किसान रमेश चौहान ने जैविक खेती की ओर बढ़ते हुए अपनी इच्छा व्यक्त की कि वे जैविक विधि से खेती कर अपनी उपज बेचना चाहते हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि हमारे देश में जैविक उत्पादों का मार्केट अभी विकसित नहीं हुआ है और वाजिब कीमत नहीं मिल पाती. जैविक तरीके से स्वीट कॉर्न की खेती करने पर एक भुट्टा का वजन 300-350 ग्राम रहता है, जबकि रासायनिक तरीके से यह वजन 650-700 ग्राम होता है. इसका मतलब, एक एकड़ में 70 क्विंटल उपज की तुलना में जैविक खेती में महज 30 क्विंटल उपज होती है.
प्रगतिशील किसान रमेश चौहान की कहानी रमेश चौहान की यह कृषि यात्रा उनके प्रगतिशील सोच और समय के साथ बदलाव की उनकी क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है. उन्होंने अपनी मेहनत और सही निर्णयों के साथ कृषि क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है और अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं.