Success Story of Organic Farmer: गुजरात के राजकोट जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले महेश पिपरिया आज जैविक खेती की दुनिया में एक प्रेरणास्पद नाम बन चुके हैं. परंपरागत खेती से शुरुआत करने वाले प्रगतिशील किसान महेश ने समय के साथ बदलती जरूरतों को समझा और जैविक खेती की ओर रुख किया. अपने 22 एकड़ के सर्टिफाइड ऑर्गेनिक फार्म "गोकुल वाड़ी ऑर्गेनिक फार्म" में वे गुलाब, गेंदा, व्हीट ग्रास, चुकंदर और अन्य पौधों की जैविक खेती करते हैं.
खास बात यह है कि वे अपने उत्पादों को सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा और लंदन जैसे देशों में निर्यात करते हैं. उनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये से भी अधिक है. महेश की यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर मेहनत और सही दिशा में प्रयास किया जाए, तो खेती से भी अच्छी आमदनी और पहचान हासिल की जा सकती है.
हाल ही में महेश पिपरिया “ग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क” (GFBN) से जुड़े हैं, जो कि कृषि जागरण की एक राष्ट्रीय पहल है. इसका उद्देश्य भारत में टिकाऊ और सफल कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है. अब चलिए महेश पिपरिया की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
परंपरागत खेती से जैविक खेती की ओर यात्रा
प्रगतिशील किसान महेश पिपरिया का परिवार कई वर्षों से खेती से जुड़ा रहा है. शुरुआत में वे भी परंपरागत फसलों जैसे कपास, मूंगफली और गेहूं की खेती करते थे. लेकिन समय के साथ उन्होंने देखा कि इन फसलों से ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है और बाजार में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ती जा रही है. इससे उन्हें खेती के नए तरीकों की तलाश हुई.
करीब 14 साल पहले उन्होंने जैविक खेती के बारे में जानना शुरू किया और शुरुआत के कुछ वर्षों में प्रयोग किए. जब उन्हें इसके अच्छे परिणाम मिले, तो उन्होंने पूरी तरह से जैविक खेती अपनाने का फैसला किया. पहले उन्होंने छोटे पैमाने पर फूलों की खेती शुरू की, और धीरे-धीरे अपनी जमीन को बढ़ाकर 22 एकड़ तक ले गए.
गुलाब की खेती और पंखुड़ियों का निर्यात
प्रगतिशील किसान महेश पिपरिया के फार्म की सबसे प्रमुख फसल देसी गुलाब है, जिसकी खेती वे 10 एकड़ में करते हैं. यह गुलाब विशेष किस्म का होता है जो पूरे साल फूल देता है और एक बार लगाने पर 5 साल तक उत्पादन देता है. गुलाब की खेती के लिए वे कलम विधि का उपयोग करते हैं, जिसमें पौधों को नर्सरी से खरीद कर खेत में लगाया जाता है.
हर एकड़ में लगभग 2200 से 2500 गुलाब के पौधे लगाए जाते हैं, और उनके बीच की दूरी 3 फीट तथा पंक्तियों के बीच 5 फीट रखी जाती है. महेश फूलों को सीधे बेचने के बजाय उनकी पंखुड़ियों को सुखाकर हर्बल टी बनाने में उपयोग करते हैं. इसके लिए वे सोलर और इलेक्ट्रिक ड्रायर का उपयोग करते हैं ताकि पंखुड़ियां ताजगी के साथ सुरक्षित रहें.
ये सूखी पंखुड़ियां अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में निर्यात होती हैं, जहां उन्हें अच्छा मूल्य मिलता है. इस अनोखे तरीके ने महेश को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है.
गेंदा फूल की खेती और लंदन तक पहुंच
गुलाब के साथ-साथ महेश गेंदा फूल की भी जैविक खेती करते हैं. यह फूल भी वे सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि लंदन जैसे देशों में निर्यात करते हैं. हर साल उनके फार्म से लगभग 1 टन गेंदा फूल की पंखुड़ियां तैयार होती हैं. इन पंखुड़ियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग है और इससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है.
महेश खुद गेंदा के पौधे तैयार करते हैं और रोपाई करते हैं. उन्होंने फूलों की जैविक खेती को एक व्यवस्थित व्यवसाय बना दिया है, जिससे उनका फार्म हर साल नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहा है.
व्हीट ग्रास और चुकंदर की खेती
महेश पिपरिया सिर्फ फूलों तक सीमित नहीं हैं. वे अपने फार्म पर व्हीट ग्रास (गेहूं घास) और चुकंदर (बीट रूट) की जैविक खेती भी करते हैं. व्हीट ग्रास में विटामिन A, C, E, आयरन, कैल्शियम और क्लोरोफिल जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है और इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.
बीट रूट भी एक पोषक तत्वों से भरपूर फसल है, जिसे महेश जैविक तरीके से उगाते हैं. इन फसलों की अच्छी क्वालिटी और ऑर्गेनिक उत्पादन के कारण उनके उत्पादों की बाजार में विशेष मांग है.
सिंचाई और आधुनिक तकनीकों का उपयोग
महेश अपने फार्म पर सिंचाई के दो तरीके अपनाते हैं. एक हिस्से में वे ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करते हैं, जिससे पानी की काफी बचत होती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है. फार्म के बाकी हिस्से में वे परंपरागत सिंचाई पद्धति अपनाते हैं.
साथ ही, उन्होंने अपने फार्म पर आधुनिक मशीनों और संसाधनों का प्रयोग शुरू किया है. जैसे कि ड्रायर सिस्टम, उन्नत पौधरोपण तकनीक, और फसल की कटाई व पैकेजिंग की आधुनिक विधियां, जिससे उनके उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहती है.
प्रेरणा और किसानों के लिए संदेश
महेश पिपरिया की सफलता की कहानी आज हजारों किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी मेहनत, दूरदर्शिता और नवाचार ने यह दिखा दिया है कि खेती सिर्फ गुज़ारे का साधन नहीं बल्कि एक सफल व्यवसाय भी बन सकती है. आज उनके काम से प्रेरित होकर आसपास के 7 किसान भी जैविक फूलों की खेती शुरू कर चुके हैं.
भविष्य की योजनाएं
महेश पिपरिया का लक्ष्य है कि वे अपने फार्म का और विस्तार करें और नए जैविक उत्पादों की खेती शुरू करें. वे चाहते हैं कि उनका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये तक पहुंचे. इसके लिए वे नई तकनीकों, नई फसलों और बाजार की मांग के अनुसार योजनाएं बना रहे हैं.
NOTE: अगर आप भी कृषि जागरण की पहल “ग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क” का हिस्सा बनाना चाहते हैं तो लिंक- https://millionairefarmer.in/gfbn/ पर क्लिक करें या 9891443388 पर कॉल या व्हाट्सएप्प करें.