मध्य प्रदेश के किसान बलराम पाटीदार की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे सही तकनीक और मेहनत से खेती को एक सफल व्यवसाय में बदला जा सकता है. उन्होंने परंपरागत फसलों की खेती से हटकर उन्नत तरीके से फलों और सब्जियों की खेती शुरू की, और आज वह फलों और सब्जियों की खेती से सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं. उनकी यह यात्रा अन्य किसानों के लिए एक मिसाल है कि अगर वे आधुनिक कृषि विधियों और नवाचारों को अपनाएं, तो कृषि क्षेत्र में अपार सफलता हासिल की जा सकती है.
बलराम पाटीदार की कृषि यात्रा
मध्य प्रदेश के सारंगी गांव, तहसील पेटलावद के निवासी बलराम पाटीदार पिछले 40 सालों से खेती कर रहे हैं. उन्होंने 2004-2005 में हाइब्रिड किस्मों की खेती शुरू की और ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग तकनीक को अपनाया. शुरुआती दिनों में उन्होंने टमाटर और शिमला मिर्च की खेती की, जिसमें उल्लेखनीय सफलता पाई. शिमला मिर्च की खेती से उन्होंने प्रति एकड़ 130 टन उपज हासिल की. उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च के 13 से 14 दिनों में एक-एक पौधे से पांच-पांच किलो तक उपज प्राप्त की है. इसी तरह उन्होंने टमाटर और पपीते का भी अच्छा उत्पादन लिया है.
फलों की बागवानी की ओर रुख
हालांकि, शिमला मिर्च और मिर्च की फसलों पर वायरस के हमले के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने फलों की खेती की ओर रुख किया. बलराम पाटीदार के खेत में आज अमरूद, सेब, मौसम्बी, संतरा, आम और स्ट्रॉबेरी जैसे फलों के पौधे लगे हैं. उन्होंने बताया कि अमरूद की पिंक ताइवान और वीएनआर जैसी उन्नत किस्में, मौसम्बी की न्यू सेलर और माल्टा किस्में, और सेब की हरिमन शर्मा द्वारा विकसित HRMN-99 किस्में उनके खेत में फल-फूल रही हैं और इससे काफी अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि उनके क्षेत्र के कुछ किसान उन्हें देखकर अपने खेतों में फलों की हाइब्रिड किस्मों की बागवानी करने लगे हैं.
बिना सरकारी मदद के सफलता की कहानी
बलराम पाटीदार ने बिना किसी बाहरी मदद के खुद ही अपने खेतों में उन्नत किस्मों की बागवानी की शुरुआत की. उन्हें केवल ड्रिप इरिगेशन के लिए सरकारी सब्सिडी मिली थी. अपने फलों की बिक्री के लिए वह सीधे दिल्ली, मुंबई, और इंदौर की मंडियों से संपर्क में रहते हैं. उन्होंने बताया कि व्यापारी उनकी उपज को मंडियों में बेच देते हैं और मजदूरी का पैसा काटकर बाकी मुनाफा खाते में ट्रांसफर कर देते हैं.
किसानों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन
बलराम पाटीदार न सिर्फ खुद उन्नत खेती कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हर महीने उनके खेत पर देशभर के अलग-अलग राज्यों से लोग आते रहते हैं, जिन्हें वह अपने खेत में घुमाते हैं और खेती की नई-नई तकनीकों के बारे में जानकारी देते हैं. साथ ही खेती की नई-नई विधियों को सीखने के लिए वह विदेश भी जाते हैं. उन्हें कृषि मेलों और प्रदर्शनी में भी आमंत्रित किया जाता है, और उन्हें कृषि क्षेत्र में कई अवार्ड भी मिल चुके हैं.
मुनाफा और लागत
अगर लागत और मुनाफे की बात करें, तो बलराम पाटीदार ने बताया कि उनके पास 60 बीघा जमीन है. इसमें से लगभग 20 से 25 बीघा में उन्होंने फलों की हाइब्रिड किस्मों की बागवानी की है, जिसमें प्रति बीघा लगभग दो से ढाई लाख रुपये लागत आती है, और वह लगभग ढाई लाख रुपये तक का मुनाफा कमा लेते हैं, जिससे सालाना उनका मुनाफा लगभग 50 लाख रुपये से भी अधिक हो जाता है. बाकी जमीन पर बलराम पाटीदार सोयाबीन और गोभी समेत अन्य सब्जियों की खेती करते हैं, जिसमें भी उन्हें अच्छा मुनाफा होता है.
किसानों के लिए सलाह
बलराम पाटीदार ने अन्य किसानों को सलाह दी कि उन्हें अपने खेतों में गहरी जुताई करनी चाहिए और देसी खाद का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि उद्यानिकी खेती किसानों के लिए अधिक लाभकारी है, क्योंकि इससे एक बार निवेश करने पर 15 से 20 साल तक निरंतर आमदनी होती रहती है. उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे एक ही फसल पर निर्भर न रहें, बल्कि विभिन्न फसलों को अपनाकर जोखिम को कम करें और मुनाफा बढ़ाएं.
बलराम पाटीदार की यह कहानी दर्शाती है कि किस तरह मेहनत, समर्पण, और सही तकनीक के जरिए खेती को एक सफल और लाभदायक व्यवसाय में बदला जा सकता है.