Success Story: जहां एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों से लोग नौकरी के लिए शहरों की ओर जा रहे हैं, तो वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो शहरों की नौकरी छोड़कर खेती-किसानी से तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं. कुछ ऐसी ही कहनी है उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले आनंद मिश्रा की, जिन्होंने शहर में बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में 13 साल नौकरी की और फिर नौकरी छोड़कर किसानी की राह अपानी ली.
आनंद मिश्रा बताते हैं कि बचपन से ही बागवानी के प्रति उनका काफी रुझान था. लेकिन, नौकरी की वजह से वह अपने इस शौक को पूरा नहीं कर पा रहे थे. नौकरी छोड़कर जब वह गांव आए तो उनकी रुचि खेती के प्रति और बढ़ गई. लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे कौन-सी फसल की खेती या बागवानी करें. इसके लिए उन्होंने कई प्रांतों व जिलों में भ्रमण किया. खेती-किसानी की पूरी जानकारी जुटाई. काफी शोध करने के बाद उन्होंने पाया कि बागवानी में अच्छी कमाई हो सकती है.
चूंकि, केला, अमरूद, आंवला समेत अन्य फलों की बागवानी तो यूपी में प्रचलित थी, लेकिन नींबू की खेती कोई नहीं कर रहा था. जिसके बाद उन्होंने थाई प्रजाति के नींबू की बागवानी करने की सोची. इसके लिए उन्होंने नीबू की उपयोगिता और उत्पादन की भी पूरी जानकारी ली. फिर उन्होंने वाराणसी से पौधा खरीदा और गांव में साढ़े तीन बीघा भूमि पर कुल 900 पौधे लगाए. जिसके बाद उन्हें नींबू के एक पौध से सालाना 20 से 25 किलो बिना बीज का फल मिलने लगा.
सालाना 10 लाख से ज्यादा मुनाफ
आनंद मिश्रा बताते हैं कि अब खुद ही व्यापारी गांव आकर उनसे माल खरीद कर ले जाते हैं. इसके अलावा, आनंद मिश्रा से सोशल मीडिया के जरिए कई राज्यों के किसान उनके साथ जुड़ें हुए हैं जो उनसे नींबू की बागवानी के बारे में जानकारी समय-समय पर लेते रहते हैं. आनंद मिश्रा ने अपने गांव में ही नींबू के पौधों की नर्सरी भी खोल रखी है. वर्तमान समय में, वह नींबू की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं. खेती के प्रति उनके इसी जनून के चलते उन्हें आज देश में ‘लेमनमैन’ के नाम से जाना जाता है.
आनंद मिश्रा ने बताया कि वह 3 एकड़ जमीन पर नींबू की खेती करते हैं. जिस पर उनकी लागत 1 लाख रुपये प्रति एकड़ तक आ जाती है. यानी 3 एकड़ के हिसाब से देखें तो उनकी कुल लागत 3 लाख रुपये के आसपास आ जाती है. जिससे वह सालान 10 लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा कमा लेते हैं.
नौकरी छोड़ी तो सभी ने बनाया मजाक
आनंद मिश्रा बताते हैं कि जब उन्होंने एमएनसी की नौकरी छोड़कर बागवानी में हाथ आजमाना शुरू किया, तो लोगों ने उनका काफी मजाक बनाया था. इतना ही नहीं, उनके घर वालों तक ने उनका विरोध किया. सबको लगता था कि मल्टीनेशनल कंपनी में एसी के कमरों में बैठकर काम करने वाले इस युवक को बागवानी में बिल्कुल भी 'आनंद' नहीं आएगा. लेकिन, इंसान की सोच अगर बड़ी हो और समाज से हटकर काम करने का जुनून हो, तो कामयाबी उसके कदम चूम ही लेती है.
कहते हैं बड़ी सफलता हासिल करने के लिए कई बार बड़े जोखिम आपको उठाने पड़ते है. आनंद मिश्रा ने भी कुछ ऐसा ही किया. सालाना करीब 11 लाख रुपए का पैकेज छोड़कर आज वे नींबू की बागवानी से न केवल खुद छप्परफाड़ कमाई कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों और युवाओं को भी इसके गुर सीखा रहे हैं और उनकी सफलता में अपना योगदान दे रहे हैं.
कोरोना काल को बनाया अवसर
आनंद मिश्रा बताते हैं कोरोना काल के बाद बजार में नींबू की डिमांड काफी बढ़ी है. ऐसे में मेरा ये प्रयास रहता है कि बिना बिचौलियों के किसानों का नींबू शहर की बाजार तक डायरेक्ट पहुंचे और उन्हें उसकी अच्छी कीमत भी मिले. आनंद ने कहा मैं आजीविका का साधन नहीं बल्कि समाज के स्वघोषित बुद्धिजीवी व आम जनमानस में कृषि/बागवानी के प्रति व्याप्त संकीर्ण सोच व उदासीनता को खत्म करने के लिए कृषि/बागवानी के क्षेत्र में आया हूं. बागवानी में शुरुआती लागत भी ज्यादा नहीं लगती है जो लगती है वो महज एक से दो साल में ही वापस आ जाती है. ऐसे में लोग इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.