अगर आप आईटी सेक्टर में काम कर रहे हैं तो समाज में आपको लेकर एक अलग छवि बन जाती है. जिससे न आप खुद को निकलना चाहते हैं और ना ही कुछ अलग हट कर करने की चाहत आपके अंदर होती है.
आज भी हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं जो अपनी 9 टू 5 वाली जिंदगी से काफी खुश हैं और उसी के सहारे अपनी बाकी की ज़िंदगी काटना चाहते हैं.लेकिन कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगता कोरोना काल में आई अनेकों परेशानियों ने सबको सदमे में डाल दिया. कई लोग मजबूर हो गए, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो इन सबसे निकलने का रास्ता खोज रहे थे वैसे लोगों को कोरोना ने अवसर प्रदान करते हुए कुछ नया करने का मौका दिया. कुछ ऐसे ही एक सफल कहानी लेकर आज एक बार फिर कृषि जागरण आपके बीच है.
कृषि जागरण की टीम पहुंची ग्रेटर नोएडा
आपको बता दें कि कृषि जागरण की टीम और विवेक कुमार राय, सह-संपादक, कृषि जागरण, एक बार फिर किसानों के बीच पहुंचे. जी हाँ ये वही ग्रेटर नोएडा
है जहां आपने बड़ी-बड़ी इमारतें और मल्टीनेशनल कंपनियां देखी होंगी. लेकिन आज हम आपको बताएंगे की कैसे ग्रेटर नोएडा में रहकर राखी सिंह ने आर्गेनिक फार्मिंग को अपना करियर बनाया.
आपको बता दें कि राखी सिंह आईटी कंपनी में भी काम कर चुकीं हैं जिसके बाद इन्होंने इस क्षेत्र में अपना किस्मत आजमाने का फैसला किया.सफल किसानों की तलाश में जब कृषि जागरण की एक टीम निकली तो उनकी मुलाकात ऊर्जा ऑर्गेनिक फार्म्स की मालकिन राखी सिंह से हुई. जो 10 एकड़ जमीन में इंटीग्रेटेड फार्मिंग, आधुनिक तकनीकों को अपना कर रही हैं. इसमें वह आम, अमरुद, केला, पपीता के साथ-साथ मौसमी फल, सब्जियां दलहन और तिलहन की भी खेती कर इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन सभी फसलों के अलावा, जड़ वाली सब्जियां, चना और मटर आदि की खेती भी राखी सिंह द्वारा जैविक तरीके से किया जा रहा है.
बढ़ती तकनीक और विज्ञान की मदद से आज हर चीज़ संभव हो पाया है. वरना पारम्परिक तरीकों से की जा रही खेती पर अगर नजर डालें तो किसानों द्वारा एक सीजन में सिर्फ एक फसल ही उगाया जाता था. जिससे न सिर्फ अधिक लागत लगता था बल्कि किसानों को मुनाफा भी ज्यादा नहीं हो पाता था. राखी कहती हैं इंटीग्रेटेड फार्मिंग एक ऐसा तरीका है जिससे किसानों को फायदा अधिक होने का चांस होता है. आप एक ही जगह पर एक साथ कई फसलों की बुवाई करते हैं. यानि आपको अलग-अलग पानी और खाद्य लगाने की आवश्यकता नहीं होती एक ही साथ सभी फसलों की जमीनें तैयार हो जाती है.
खाद्य पर चर्चा करते हुए राखी सिंह ने बताया की कैसे वो केमिकल खाद्य का प्रयोग ना करते हुए आर्गेनिक खाद्य का प्रयोग अपनी फसलों में करती हैं. खाद्य के बारे में विशेष जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वो गाय के गोबर और गौ मूत्र से खाद का निर्माण करती हैं और उसी का इस्तेमाल अपनी फसल में करती हैं. इतना ही नहीं कीटनाशक छिड़काव को भी वो खुद से तैयार करती आई हैं.
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जिसमे कैस्टर, नीम, हरी मिर्च, अदरक और लहसुन का इस्तेमाल कर बनाया जाता है, जिसका फसलों पर छिड़काव कर उसे कीड़ों के प्रकोप से भी बचाया जाता है. आपको बता दें इस तरह की कीटनाशक आपके फसल को किसी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुंचती. आज के समय में हर कोई केमिकल रहित सामान लेना अधिक पसंद करता है. जिस वजह से बाज़ारों में आर्गेनिक प्रोडक्ट्स की डिमांड काफ़ी तेज़ हो गयी है.
सिर्फ इतना ही नहीं वो इन फल और सब्जियों की उपज से अच्छा मुनाफा कमा रही हैं. उनका कहना है मंडी में फसल की सही कीमत नहीं मिल पति जिस वजह से उन्हें इस फसलों को एक स्टेप आगे लेकर जाना पड़ता है. और फ़ूड प्रोसेसिसंग का सहारा लेना पड़ता है. अगर बात अमरुद की करें तो वो अमरुद का जैम बनाकर फिर उसे बाजारों में भेजती हैं. जिनका उन्हें सही दाम मिलता है.