भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. यहां बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनका शरीर आवश्यक सन्तुलित आहार न मिलने के कारण कुपोषण से प्रभावित हो चुका है. विशेषज्ञों के मुताबिक कुपोषण की सबसे अधिक समस्या बच्चों और महिलाओं में देखी गई है. आज जहां समाज का बड़ा वर्ग कुपोषण को लेकर सरकार को दोषी ठहरा रहा है, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने इस बीमारी के खिलाफ जंग छेड़ दी है.
हिमाचल प्रदेश के शिमला में रहने वाली एसडीएम शहरी नीरजा चांदला का प्रयास कुपोषण के खिलाफ लड़ने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. शहरी क्षेत्रों में लोगों को आहार की समस्या न हो, इसके लिए उन्होंने गमलों में पौधे लगाने शुरू किए थे. आज उनका प्रयास रंग ला रहा है और क्षेत्र में लोग तेजी से कुपोषण से मुक्त होते जा रहे हैं.
आंगनबाड़ी से शुरू किया था सफर
नीरजा चांदला ने आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषण की समस्या को देखते हुए गमला लगाया था. धीरे-धीर ये श्रृंखला बड़ी होती गई और आज क्षेत्र के लगभग सभी बच्चों का सेहत अच्छा है. आज 10 से अधिक अंगनबाड़ी केंद्रों में गमलों को लगाकर तरह-तरह की फल सब्जियां उगाई जाती हैं.
कृषि विभाग ने दिया सहयोग
इस मुहिम में कृषि विभाग का सहयोग भी नीरजा चांदला को मिलता रहा. समय-समय पर नए गमले एवं पौधों की देखभाल संबंधित जानकारियां उन्हें मिलती रही. आज के समय इन गमलों मे भिंडी, पालक, सहित अन्य तरह की पौष्टिक सब्जियां उगाई जा रही है.
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू होगी योजना
आज नीरजा चांदला की सफलता को देखते हुए क्षेत्र को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए बाकी विभाग भी आगे आएं हैं. किचन गार्डन को बड़े स्तर पर तैयार करने को लेकर सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में गमले लगाने के सुझाव दिए गए हैं. इस संदर्भ में महिला एवं बाल विभाग ने भी सहयोग देने का आश्ववासन दिया है.
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