कृषि क्षेत्र में अगर श्रम की बात करें, तो जितना दिखाई देता है, उससे कई ज्यादा लगता है. ऐसे में कृषि श्रम को कैसे कम किया जाए, इसको लेकर अभी तक किसानों की जंग जारी है. ऐसे में कृषि कार्य को आसान बनाने के लिए तकनीक (Agriculture Technique) का इस्तेमाल करना एक बेहतरीन विकल्प है. कृषि को आसान बनाने के लिए और खेती में समय बचाने के लिए देश के वैज्ञानिकों के साथ किसान भी लगे हुए हैं, ताकि जल्द ही कोई समाधान निकल कर आ सके.
हम सब जानते हैं कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. इस बात को साबित कुछ किसानों ने एक बार फिर किया है. जी हाँ कई किसानों ने इस समस्या का समाधान खुद जुगाड़ टेक्नोलॉजी से निकाल लिया है. जुगाड़ तकनीक से मशीनों का भी अविष्कार कर दिया है, जो उनके लिए बेहद सहायक साबित हो रही है.
आपको बता दें कि केरल के केसी प्रभाकरण जो पेशे से किसान हैं, उन्होंने अपने देसी जुगाड़ के जरिए खेत में पौधा रोपाई करने की मशीन बनाई है. इसके जरिए वो आसानी से काम कर रहे हैं. केसी प्रभाकरण के द्वारा किया गया यह पहला आविष्कार नहीं है, इससे पहले भी अपनी जुगाड़ तकनीक से कारनामा कर चुके हैं. उन्होंने डेढ़ साल पहले एक पोर्टेबल थ्रेसिंग मशीन बनाई थी, जिसका वजन दस किलोग्राम था और उसे बैटरी से आसानी से चलाया जा सकता है. अपने इस अविष्कार के जरिए उन्होंने सबको चौंका दिया था. इस बार उन्होंने जो रोपाई मशीन बनाई है ,उसके लिए उन्होंने घर की बेकर पड़ी वस्तुओं का इस्तेमाल किया है. इसके लिए उन्होंने जीआई पाईप, कनेक्टर, एल्मुनियम प्लेट, स्टील पाइप, स्प्रिंग और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया है.
अब किसानों को होगी मदद
केरल के किसान द्वारा विकसित की गई रोपाई मशीन आज के समय में किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जी हाँ प्रतिस्प्रद्धा इतनी बढ़ गयी है कि कम समय में अधिक से अधिक काम कर मुनाफा कमाना हर कोई चाहता है.
ऐसे में समय की बचत कैसे की जाए, यह सबसे बड़ी समस्या है. वहीँ केसी प्रभाकरण द्वारा विकसित की गयी यह मशीन किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है, क्योंकि इसके जरिए ना सिर्फ कृषि कार्य आसान होगा, बल्कि समय की भी बचत होगी और लागत भी कम लगेगी. इसके साथ ही पौधों के उचित दूरी पर लगाना भी इससे आसान होगा. अक्सर ये देखा गया है कि जब खेती सही तरीके से की जाती है, तो पैदावार भी अच्छी होती है और कमाई भी.
रोपाई में किसानों को होती है सहूलियत
मशीन और मैन पॉवर के बीच मुकाबला करना संभव नहीं है. हम सब जानते है कि मशीन कोई भी काम बिना अधिक समय लिए कर सकता है, लेकिन वही काम मनुष्य को करने में अधिक समय लगता है. मशीन के जरिए रोपाई के लिए 14 से 20 दिन के बीच तैयार किए गए अंकुरित बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. रोपाई के लिए इन छोटे पौधों को 8X21 इंच के चौड़े बोर्ड पर रखा जाता है.
इसके बाद इसे खेत पर लाया जाता है और फिर मशीन में लगे लीवर की मदद से पौधों की रोपाई की जाती है. केसी प्रभाकरण बताते हैं कि इस मशीन के जरिए आठ सेंट जमीन में पौधों की रोपाई करने के लिए 20 मिनट का समय लगता है. इसके लिए खेत में पानी की मात्रा अच्छी होनी चाहिए. खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी रहने पर यह मशीन बेहतर परफार्म करती है.
आस-पास के किसानों की भी खुली किस्मत
प्रभाकरण के अलावा देश के और भी किसान हैं, जो जुगाड़ तकनीक के लिए खुद से कृषि के उपकरण अविष्कार करते हैं और इस्तेमाल करते हैं.
इतना ही नहीं, वो अपने आस-पास के किसानों को भी अपनी तकनीक से मदद करते हैं. केसी प्रभाकरण ने भी ऐसा ही कर रहे हैं. केसी प्रभाकरण अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं. उनकी पत्नी बैंक कर्मी है.