गुजरात में जहां अभी भी लोग परंपरागत व्यवसाय में व्यस्त हैं, वहीं कुछ लोग नए व्यवसाय को भी अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. केवल 10 दुधारू पशुओं से ही राज्य के बनासकांठा स्थित चारड़ा में कानुबेन चौधरी ने अपने नए व्यवसाय की शुरुआत की और आज वह एक सफल उद्यमी हैं. वे शिक्षित तो नहीं हैं, लेकिन महिला उद्यमी बनकर उन्होंने बड़े-बड़ों के कान कतरे हैं. अपने डेयरी (dairy business) के कारोबार से ही वह लाखों रुपए की कमाई हर महीने करती हैं.
केवल कुछ ही पशुओं से की शुरुआत
इस समय वह गुजरात की बाकी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं. दुग्ध उत्पादन का यह व्यवसाय शुरुआती दौर में उनके लिए मुश्किल होगा, इस बात का अंदाज़ा उन्हें पहले ही था. इस डेयरी व्यवसाय में लगभग 10 लाख रुपए तक की जरूरत होती है. साथ ही पशुओं की सही देखभाल, उत्पादन के बाद दूध को मार्केट में बेचना, ये सभी बहुत मायने रखते हैं. इन्हें ध्यान में रखना बेहद ज़रूरी है, तभी उत्पादन भी बढ़ेगा और मुनाफा भी अच्छा होगा. कानुबेन ने इसलिए केवल कुछ ही पशुओं से इसकी शुरुआत की.
दूध निकालने के लिए मिल्किंग मशीनों का करती हैं उपयोग
कानुबेन ने पशुओं के दूध को बेचने के लिए काफी मशक्कत भी की. वे रोज़ाना लगभग 10 किलो मीटर पैदल जाकर दूध बेचती थीं. ऐसे ही कुछ समय बाद उनकी मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे दूध की खपत बढ़ती गई. इसके साथ ही दुधारू पशुओं की संख्या भी बढ़ी और इस समय उनके पास 100 से भी ज़्यादा गाय-भैंस हैं. बढ़ते व्यवसाय को अकेले संभालना, कानुबेन के लिए मुश्किल हो रहा था. ऐसे में उन्होंने कुछ लोगों को अपने साथ जोड़ा और अब हाथ से दूध दुहने की जगह वह मिल्किंग मशीनों से दूध निकालती हैं.
काम के लिए किया गया सम्मानित
दुग्ध उत्पादन में उन्होंने बहुत नाम कमाया और इसे बखानते हुए बनासडेरी की ओर से उन्हें 25 हजार रुपए के 'बनास लक्ष्मी सम्मान' से भी सम्मानित किया जा चुका है. ऐसे ही गुजरात सरकार और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की और से भी उन्हें सम्मान मिल चुका है.
ये भी पढ़ें: Women Empowerment: मुर्गी पालन करके महिला किसान ने किया कमाल, जानें ये दिलचस्प कहानी
पशुओं के लिए की है ख़ास व्यवस्था
कानुबेन अपने पशुओं का ख़ास ख्याल रखती हैं. स्वयं ही उनके लिए चारा, पानी, रख-रखाव का ज़िम्मा उठाती हैं. पशुशाला की उचित सफाई रखते हुए उन्होंने पशुओं के लिए वेंटिलेशन वाले कमरों में पंखों का भी इंतज़ाम किया है. इतना ही नहीं, मिल्किंग मशीनों के साथ ही पशुओं को नहलाने के लिए भी मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है.
दुग्ध उत्पादन के साथ करती हैं खेती
कानुबेन चौधरी (Kanuben Chaudhary) ने बड़े-बड़े उद्यमियों के बीच रहकर आत्मनिर्भरता की मिसाल दी है. उन्होंने अकेले ही अपनी डेयरी खोलने का फैसला किया. ये न केवल दुग्ध उत्पादन (milk production) करती हैं, बल्कि इसके साथ खेती (farming) भी करती हैं.
राजनीति, खेल, मनोरंजन और लाइफ़स्टाइल से जुड़ी ख़बर पढ़ने के लिए hindi.theshiningindia.com पर विज़िट करें.