देश के अधिकतर किसान अपनी मेहनत की बदौलत खेती को प्रगती की ओर बढ़ा रहे हैं. फसलों में नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर खेती को रोचक बना रहे हैं. आज इस लेख के माध्यम से हम ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान की सफल कहानी साझा करने जा रहे हैं, जिन्होंने लाल मूली की खेती कर कई अवार्ड हासिल किए. बता दें कि लाल मूली सेहत के लिए काफी फायदेमंद है जो औषधीय गुणों से भरपूर है और मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है.
किसान कमलेश चौबे कर रहे लाल मूली की खेती
बिहार के नरकटियागंज के मुशहरवा गांवे के प्रगतिशील किसान कमलेश चौबे ने लाल मूली की खेती कर अच्छी उपज प्राप्त की. जिससे बाद अब चंपारण की धरती भी लाल मूली की फसल से लहलहाने लगी है. उनके खेत से निकली लाल मूली गांव से साथ- साथ आसपास के बाजारों में पहुंचने लगी है. उनकी यह कम लागत में अच्छी उपज देख कर आसपास के किसान भी लाल मूली की खेती की ओर आर्कषित हो रहे हैं. अब ऐसा लग रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में लाल मूली की खेती पूरे बिहार में होने वाली है. चंपारण ही नहीं बल्कि समूचे बिहार के लोगों को लाल मूली का स्वाद चखने को मिलेगा.
कमलेश रह चुके हैं खिलाड़ी
बिहार के प्रगतिशील किसान कमलेश चौबे लाल मूली की खेती कर किसानों के बीच मिसाल पेश कर रहे हैं. बता दें कि चौबे लाल पेशे से एक खिलाड़ी रह चुके हैं, लेकिन उनकी पिता के मृत्यु के बाद उन्होंने अपने खेल का त्याग किया तथा खेती में दिलचस्पी दिखाई.
बिहार के समाजसेवी किसान कमलेश चौबे को नई-नई फसलों की खेती का हमेशा से शौंक रहा है. किसान कमलेश चौबे आये दिन नई-नई फसलों का उत्पादन करते रहे हैं. इस बार उन्होंने देहरादून से लाल मूली का बीज मंगवाया और प्रयोग के तौर खेती की, जिससे उन्हें अच्छी पैदावार प्राप्त हुई. किसान कमलेश चौबे बताते हैं कि लाल मूली 30 से 40 दिनों में तैयार हो जाती है. अब वे लाल मूली की खेती 1 एकड़ जमीन पर करने जा रहे हैं.
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कमलेश चौबे को मिल चुके हैं कई पुरस्कार
कमलेश चौबे की इस कदम की हर कोई सराहना कर रहा है. जिसके लिए उन्हें बिहार सरकार की तरफ से कई अवार्ड से पुरस्कृत किया जा चुका है. जिसे देख बाकी के किसान भी उनकी इस सफलता को देख खेती में कुछ नया कर दिखाने की सोच रहे हैं.