Dragon Fruit Farmer Success Story: कृषि में नवाचार और नई फसलों को अपनाने से न केवल मुनाफा बढ़ता है, बल्कि यह किसानों के लिए एक बेहतर भविष्य की ओर मार्ग भी प्रशस्त करता है. जैमिनी कृष्णा जैसे किसान इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं. बिहार के किशनगंज जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान जैमिनी ने ड्रैगन फ्रूट की खेती/ Dragon Fruit Farming करके न केवल अपनी आमदनी में बढ़ोतरी की है, बल्कि उन्होंने क्षेत्र में एक सफल किसान के रूप में अपनी पहचान भी बनाई है. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), दुर्गापुर से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर चुके जैमिनी कृष्णा लगभग 8 साल मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने के बाद ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का निर्णय लिए.
वर्तमान समय में ड्रैगन फ्रूट की खेती/Dragon Fruit Farming से वह हर साल 12-14 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे में आइए सफल किसान जैमिनी कृष्णा की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
आईटी इंजीनियर से किसान बनने का सफर
कृषि जागरण से बातचीत में जैमिनी कृष्णा ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), दुर्गापुर से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद आठ वर्षों तक एक मल्टी नेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया. लेकिन 2020 में आई कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण उनका जीवन एक नई दिशा में मुड़ गया. मैंने लॉकडाउन के दौरान अपने घर से काम करते हुए ड्रैगन फ्रूट की खेती/Dragon Fruit Farming पर शोध शुरू किया. इसी दौरान उन्हें कृषि में अपने भविष्य की संभावना दिखाई दी.
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का विचार/Dragon Fruit Farming
लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद, प्रगतिशील किसान जैमिनी ने कृषि विज्ञान केंद्र, किशनगंज का दौरा किया, जहां उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती/ Dragon Fruit Farming के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की. इस यात्रा के दौरान उन्होंने अन्य किसान और विशेषज्ञों से संपर्क किया और ड्रैगन फ्रूट की खेती/ Dragon Fruit Farming करने का निर्णय लिया. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें डॉ. श्रीनिवास राव के बारे में बताया, जो पेशे से एक डॉक्टर होने के बावजूद ड्रैगन फ्रूट के प्रमुख उत्पादक हैं. जिसके बाद जैमिनी ने हैदराबाद के सांगारेड्डी में स्थित डॉ. राव के फार्म का दौरा किया. इसके अलावा, उन्होंने डेक्कन एक्जोटिक्स के फार्म का दौरा किया और वहां से ड्रैगन फ्रूट की खेती की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई. यहां उन्होंने खेती के लिए उचित किस्मों, मौसम और तापमान की जानकारी हासिल की.
ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत/Dragon Fruit Farming
डॉ. राव से मिलने के बाद प्रगतिशील किसान ने फैसला किया कि वह अपनी जॉब छोड़कर पूरा ध्यान खेती पर फोकस करेंगे. जिसके बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की सैप्लिंग डेक्कन एक्जोटिक्स के फार्म से मंगाई और अपने 2.5 एकड़ खेत में इसे लगाया. खेती की शुरुआत उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र की निगरानी में की. उन्होंने प्राकृतिक खेती की पद्धति अपनाई और धीरे-धीरे अपने अनुभव से खेती के गुर सीखे. उनकी पहली फसल 2022-23 में तैयार हुई, जिसमें उन्हें 8-10 टन का उत्पादन प्राप्त हुआ. इसके बाद 2023-24 में उन्होंने 10-12 टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन किया, जो उनकी कड़ी मेहनत और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग का परिणाम था.
ड्रैगन फ्रूट की खेती की विशेषताएं
ड्रैगन फ्रूट एक उष्णकटिबंधीय फल है, जो 44-45 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकता है. ठाकुरगंज का तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त है. प्रगतिशील किसान जैमिनी बताते हैं कि जून-जुलाई के महीनों में इस फसल में फूल आने लगते हैं, और इसके बाद फलोत्पादन शुरू होता है. सीजन में यह फल 150-180 रुपये प्रति किलो बिकता है, जबकि ऑफ-सीजन (नवंबर से मार्च) में इसकी कीमत 200-250 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है. जैमिनी अपनी अधिकतम उत्पादन सिलीगुड़ी मंडी में बेचते हैं, जबकि लोकल और आसपास के जिलों में भी इसकी सप्लाई करते हैं.
ड्रैगन फ्रूट की खेती से मुनाफा और भविष्य की योजनाएं/Profit from Dragon Fruit Farming
प्रगतिशील किसान जैमिनी कृष्णा ने शुरुआत में 2.5 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की 5000 पौधों का रोपण किया था, जिसमें सैप्लिंग, पोल और खेत की तैयारी में लगभग 12-14 लाख रुपये का खर्च आया. इसके बाद हर साल उन्हें 12-14 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है. जैमिनी कृष्णा का मानना है कि लगातार बढ़ते उत्पादन के साथ, अगले वर्ष यह आंकड़ा 10 टन प्रति एकड़ तक पहुंच सकता है. ड्रैगन फ्रूट एक बहुवर्षीय फसल है, जो 10-12 साल तक लगातार समान उत्पादन देती है.
नवाचारी किसान से प्रेरणा
प्रगतिशील किसान जैमिनी कृष्णा की यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो किसी कंपनी में काम कर रहे हैं और अपनी करियर को छोड़कर कृषि क्षेत्र में कुछ नया करने की सोचते हैं. जैमिनी कृष्णा ने दिखाया है कि यदि किसान चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं और नई तकनीकों और फसलों को अपनाते हैं, तो वे न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं, बल्कि अपनी पहचान भी बना सकते हैं.
लेखक: डा० अलीमुल इस्लाम, विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि प्रसार), कृषि विज्ञान केन्द्र, किशनगंज, बिहार
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, बिहार