किसान और उनकी कृषि जिंदगी से खुद को जोड़ते हुए कृषि जागरण ने एक नया अभियान शुरू किया है. जिसके तहत कृषि जागरण और उसकी टीम किसानों तक पहुँच कर उनकी सफलता, समस्या और अन्य विषयों पर चर्चा कर उसे सभी के समक्ष लाने का काम कर रही है.
इसी क्रम में कृषि जागरण की टीम के साथ विवेक कुमार राय, सह-संपादक - हिंदी रेवाड़ी के सेजल फार्म पहुंचे. जहां उनकी मुलाकात फार्म के मुखिया काशीनाथ यादव से हुई. काशीनाथ से बात-चीत के दौरान कृषि जागरण ने किसानों को इंटीग्रेटेड फार्मिंग के बारे में बताया जो काशीनाथ द्वारा उस फार्म में किया जा रहा है. इंटीग्रेटेड फार्मिंग के तहत उस फार्म में खरगोश पालन, कबूतर पालन, डक पालन के साथ बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन किया जा रहा है.
क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिंग
एकीकृत कृषि प्रणाली का मुख्य उदेश्य खेती की जमीन के हर हिस्से का सही तरीके से इस्तेमाल करना है. इसके तहत आप एक ही साथ अलग-अलग फसल, फूल, सब्जी, मवेशी पालन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन इत्यादि कर सकते हैं. इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम यानी एकीकृत कृषि प्रणाली विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए है. बड़े किसान भी इस प्रणाली के जरिए खेती कर मुनाफा कमा सकते हैं. हालाँकि शहरी इलाकों में इस तरह की फार्मिंग का इस्तेमाल अधिकतर किसान करते आए हैं. जमीनों की किल्लत के चलते यह तरीका किसानों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है. इंटीग्रेटेड फार्मिंग की मदद से आप अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे. लागत में कमी आएगी और उत्पादकता बढ़ेगी. एकीकृत कृषि प्रणाली पर्यावरण के अनुकूल है और यह खेत की उर्वरक शक्ति को भी बढ़ाती है.
इंटीग्रेटेड फार्मिंग के तहत काशी नाथ अपने सेजल फार्म में हर तरह का पशुपालन कर मुनाफा कमा रहे हैं. आइये जानते हैं क्या-क्या है सेजल फार्म में:-
खरगोश पालन: काशी नाथ ने अपने फ़ार्म में सौखिया तौर पर खरगोश भी पाल रखा है. सफ़ेद रंग होने के कारण लोगों और ख़ास कर बच्चों द्वारा काफी पसंद किया जाता है. इसे वो बाजारों से खरीद कर अपने फार्म में लेकर आए थे. वही अब लोग इसे 400 रुपए जोड़ा खरीद कर ले जाते हैं.
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मुर्गी पालन: मुर्गी पालन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा की बच्चे निकलने के लिए उन्होंने खुद से एक्विवटर बनाया है. जिसकी लगत सिर्फ 1000 रुपए की आती है. जिसकी मदद से वो आसानी से बच्चे निकलने में सक्षम हैं. उनके पास कड़कनाथ और देशी मुर्गियां उपलब्ध हैं.
सेजल फार्म में बायोफ्लॉक तकनीक से किया जा रहा है मछली पालन
बायोफ्लॉक मछली पालन की एक नई विधि है। जिसकी मदद से टैंकों में मछली पालन की जाती है। बायोफ्लॉक तकनीक में एक टैंक को बनाने में कितनी लागत आएगी वो टैंक के साइज के ऊपर होता है। टैंक का साइज जितना बड़ा होगा मछली की ग्रोथ उतनी ही अच्छी होगी और आमदनी भी उतनी अच्छी होगी। इस तकनीक से पानी के अंदर एक मोटर लगाया जाता है, जो पानी को स्वचालित रखने में मदद करता है और मछली लम्बे समय तक जीवित रहती है.
काशीनाथ ने इस तकनीक की मदद से अपने फार्म के एक छोटे से जगह में मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया है. जिसमे लगभग 5500 सिंघी मछली को रखा गया है. यह एक बेहतर तरीका है जिसकी मदद से आप भी कम जगहों पर अधिक संख्या में मछली पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.