पंजाब के मालेरकोटला जिले के हटोआ गांव के युवा बागवान किसान गुरसिमरन सिंह अपनी समृद्ध सोच के कारण आज जिले के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. यह युवा किसान गुरसिमरन सिंह अपनी दूरदर्शी सोच से पंजाब के महान गुरुओं-पीरों की पवित्र भूमि का विस्तार कर रहे हैं.वह न केवल प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण को बचाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, बल्कि सभी किसानों और आम लोगों को प्रकृति की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के रूप में प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए संयुक्त प्रयास भी कर रहे हैं.
बता दें कि किसान गुरसिमरन सिंह ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से टिश्यू कल्चर में डिप्लोमा करने के बाद अपनी चार एकड़ की जमीन में जैविक खेती के साथ-साथ विदेशी फलों की खेती शुरु की थी.
वह अपनी निजी नौकरी के साथ-साथ एक ही जगह पर एक ही मिट्टी से 20 प्रकार के विदेशी फल पैदा करने के लिए विभिन्न प्रकार के फलों के पेड़ लगाए थे और इससे उनकी कमाई काफी ज्यादा होने लगी थी. किसान गुरसिमरन सिंह के मुताबिक अगर इंसान के मन में कुछ अलग करने की चाहत हो तो सब कुछ संभव है.
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उनकी कामयाबी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पीएयू लुधियाना से सेवानिवृत्त डाॅ. मालविंदर सिंह मल्ली के नेतृत्व में ग्लोबल फोकस प्रोग्राम के तहत आठ देशों (यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी, न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड आदि) के बोरलॉग फार्मर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने किसान गुरसिमरन सिंह के अनूठे कार्यों का दौरा किया.
वे पारंपरिक फल चक्र से बाहर निकल जामुन, अमेरिकी एवोकैडो, अंजीर, जैतून, चीनी फल लोगान, नींबू, अमरूद, काले और नीले आम के साथ-साथ चोसा, रामकेला, बारामासी, एल्फांजो, ब्लैक स्टोन जैसे 20 प्रकार के फल उगाते हैं.
इस किसान ने पंजाब में पहली बार सौ फल के पौधे लगाकर एक नई पहल शुरु की है. इसके अलावा युवा किसान ने जैविक मूंगफली, माह, चना, बासमती, रागी, सौंफ, हल्दी, गन्ना, ज्वार, बाजरा, देसी और पीली सरसों आदि की खेती कर खुद और अपने परिवार को पारंपरिक फसलों के चक्र से बाहर निकाला है.
गुरसिमरन के इस नई सोच के कारण जिले के किसानों ने भी अपनी आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाया है और साथ ही लोगों को पारंपरिक को छोड़ नई कार्यविधि से खेती करने पर आमंत्रित किया है.