बिहार के बलिया के रहने वाले किसान संतोष सिंह चमेली की खेती कर आज अच्छा पैसा कमा रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि वो हमेशा से ही चमेली की खेती करते आएं हैं, एक समय ऐसा भी था जब वो मौसमी फसलों की ही खेती करते थे. लेकिन 2012 में पटना में कृषि विभाग के एक कैंप से उन्होंने चमेली के फायदों के बारे में जाना और प्रयोग के तौर पर इसकी खेती करने का फैसला किया. चलिए आपको इस बारे में बताते हैं.
आरंभ में आई चुनौतियां
अपनी कहानी के आरंभ को याद करते हुए संतोष कहते हैं कि किसी भी स्टार्टअप को शुरू करते समय कई तरह की परेशानियां आती है, उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी समस्या तो फंड की ही थी, किसी तरह काम शुरू किया तो परिणाम वैसा नहीं मिला. पहली बार चमेली की खेती में नुकसान अधिक हुआ, लोगों ने मजाक भी बनाया.
नई योजना के तहत मिली सफलता
अक्सर हार से निराश होकर इंसान अपनी गलतियों के बारे में सोचता है. संतोष के साथ भी यही हुआ, वो सोचते रहे कि मेहनत और इतनी लागत लगाने के बाद भी मुनाफा क्यों नहीं हुआ और एकाएक उन्हें अपनी कमियां समझ आने लगी. बस फिर क्या था, उसी हिम्मत के साथ उन्होंने नई योजना के तहत काम करने का फैसला किया. इस बार मेहनत रंग लाई और अच्छा मुनाफा हुआ.
25 से अधिक प्रजातियां प्रचलन में
संतोष सिंह बताते हैं कि सुगंधित पुष्पों में चमेली का अपना महत्व है, इसकी 25 से अधिक प्रजातियां आज चलन में हैं. वो बताते हैं कि दुनिया के लगभग हर देश में इसकी खेती की जाती है, लेकिन भारत में प्राय इस तरफ लोगों का ध्यान नहीं जाता. वैज्ञानिक तकनीकों के सहारे अगर इसकी खेती की जाए, तो मुनाफा अच्छा हो सकता है.
उपयुक्त भूमि
चमेली की खेती के लिए दोमट भूमि सबसे अधिक उत्तम है. संतोष कहते हैं कि इसे जल की जरूरत तो होती है, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि सिंचाई के दौरान जल का जमाव न होने पाए. जल-जमाव के कारण आपकी फसल बेकार हो सकती है.
कलम विधि से करते हैं खेती
चमेली की खेती के लिए संतोष कलम विधि का उपयोग करते हैं, जिसमें वो एक वर्ष पुरानी शाखाओं से लगभग 15 से 20 सेंटीमीटर आकार की कलम तैयार करते हैं. इन कलमों को बाद में वो वर्षा ऋतु के समय पौधशालाओं में लगाते हैं. संतोष बताते हैं कि पौधाशालाओं में इसे लगाने के बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है.
लॉकडाउन में हुआ फायदा
इस लॉकडाउन के समय उन्हें चमेली से अच्छे पैसे मिले हैं, क्योंकि काढ़े में चमेली की खूब मांग रही. संतोष बताते हैं कि लोगों ने कोरोना काल में कई तरह के काढ़ों का सेवन किया, जिसमें से एक पंचपल्लव भी है. पंचपल्लव काढ़े को पटोल, निम्बू, जम्बू, आम्र और चमेली के पत्तों की सहायता से तैयार किया जाता है.
किसी दवाई की तरह है चमेली
संतोष बताते हैं कि चमेली अपने आप में किसी दवाई की तरह है, दो कई तरह की बीमारियों को सही कर सकती है. इसका सबसे अधिक वात दोष को ठीक करने में होता है. वात दोष के साथ-साथ मासिक धर्म के विकारों में चमेली की जड़ को पीसकर उसकी मालिश से राहत मिलती है.