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Updated on: 5 February, 2019 5:50 PM IST

इस  महंगाई के दौर में देश के युवा पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी या फिर किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी करना चाहते हैं, लेकिन कोई भी युवा किसान नहीं बनना चाहता. यहां तक की कोई किसान भी अपने बेटे या बेटी को किसान नहीं बनाना चाहता. देश की लगभग 52 % आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खेती से जुड़ी हुई है जो की धीरे-धीरे अब कम हो रही है, वजह खेती घाटे का सौदा बनता जा रहा है. लेकिन इसी में कुछ किसान ऐसे है जो आधुनिक तरीके से खेती करके भारी मुनाफा कमा खेती को मुनाफे का सौदा बना रहे हैं.

उन्‍हीं किसानों में से एक किसान  हैं तमिलनाडु के रहने वाले मुरुगा पेरुमल. पेरुमल कम लागत में तरबूज की खेती कर न केवल अपने जीवन में मिठास भर रहे हैं बल्कि लाखों में कमाई कर, तरबूज की खेती करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं.  तमिलनाडु के तिरुवन्नमलाई जिले के रहने वाले मुरुगा पेरुमल के गांव वेपुपुचेक्की के अधिकतर लोग खेती पर निर्भर हैं. भी अलग -अलग फसलों की खेती करते है. वही पेरुमल ड्रिप इरीगेशन सिस्टम के जरिए तरबूज की खेती करते है.

लागत

पेरुमल ने वेपुपुचेक्की को-ऑपरेटिव सोसाइटी से 1 हेक्‍टेयर जमीन के लिए 49 हजार रुपए का लोन लिया. उसके बाद 1 हेक्टेयर जमीन पर खेती करने के लिए उन्होंने 300 किलोग्राम डीएपी खाद, 150 किलो पोटाश एक बेसल डोज, 3.5 किलो बीज का इस्तेमाल किया. नवंबर में बीज को बोये. साथ ही ड्रिप सिस्टम के जरिए प्रति दिन 1 घंटे खेत की सिंचाई करते थे.

मुनाफा

पेरुमल के मुताबिक, उन्होंने करीब 70 दिनों के बाद मजूदरों के साथ मिलकर फसल को काटा. तब खेत से Pukeeza किस्म के तरबूज 55 टन की पैदावार हुई जबकि अपूर्व किस्म में 61 टन तरबूज की पैदावार हुई. वही दो सप्‍ताह बाद उन्होंने जब एक बार फिर से फसल काटी. तब उन्‍हें Pukeeza किस्म से 6 टन और अपूर्व किस्म से 4 टन तरबूज मिले. तरबूज की पहली खेप पेरुमल ने 3100 रुपये/टन बेचा. जबकि दूसरे खेप को 1000 रुपये/ टन बेचा. जिसमें पेरुमल को कुल 3 लाख 30 हजार रुपये का मुनाफा हुआ.

विवेक राय


English Summary: Earn good profit by cultivating watermelon
Published on: 05 February 2019, 05:54 PM IST

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